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Nepal Politics: नेपाल में प्रचंड सरकार गिरी, ओली और देउबा बारी-बारी से संभालेंगे प्रधानमंत्री पद

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड शुक्रवार को संसद में विश्वास मत प्राप्त करने में विफल रहे। सीपीएन-यूएमएल ने पिछले सप्ताह प्रचंड सरकार से समर्थन वापस लेकर नेपाली कांग्रेस के साथ मिलकर नई सरकार बनाने का समझौता किया है। नेपाल के पूर्व पीएम केपी ओली और नेपाली कांग्रेस नेता शेर बहादुर देउबा बारी-बारी से डेढ़-डेढ़ वर्ष के लिए प्रधानमंत्री पद संभालेंगे।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Sat, 13 Jul 2024 05:45 AM (IST)
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ओली और देउबा बारी-बारी से संभालेंगे प्रधानमंत्री पद
 पीटीआई, काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड शुक्रवार को संसद में विश्वास मत प्राप्त करने में विफल रहे। इसके साथ ही नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मा‌र्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) के नेता पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में नई गठबंधन सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया।

सीपीएन-यूएमएल ने पिछले सप्ताह प्रचंड सरकार से समर्थन वापस लेकर नेपाली कांग्रेस के साथ मिलकर नई सरकार बनाने का समझौता किया है। ओली और नेपाली कांग्रेस नेता शेर बहादुर देउबा बारी-बारी से डेढ़-डेढ़ वर्ष के लिए प्रधानमंत्री पद संभालेंगे।

ओली सरकार बनाने का दावा पेश किया

ओली ने शुक्रवार को प्रचंड सरकार गिरने के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के समक्ष 165 सांसदों के समर्थन से नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। इन सांसदों में उनकी पार्टी के 77 और नेपाली कांग्रेस के 88 सांसद शामिल हैं। इस गठबंधन सरकार को कुछ अन्य छोटी पार्टियों का भी समर्थन प्राप्त है।

इससे पहले नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के चेयरमैन पुष्प कमल दहल प्रचंड को 275 सदस्यीय संसद में विश्वास मत प्रस्ताव पर केवल 63 मत मिले। विश्वास मत जीतने के लिए कम से कम 138 मतों की जरूरत थी।

प्रचंड को अब तक चार बार विश्वास मत का सामना करना पड़ा

प्रस्ताव के विरोध में 194 मत पड़े। 25 दिसंबर, 2022 को प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से प्रचंड को अब तक चार बार विश्वास मत का सामना करना पड़ा है।

प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष देव राज घिमिरे ने प्रचंड के विश्वास मत को संविधान के अनुच्छेद 100 खंड 2 के अनुसार मतदान के लिए रखा। मतदान पूरा होने के बाद उन्होंने घोषणा की कि प्रधानमंत्री प्रचंड द्वारा रखा गया विश्वास मत पारित नहीं हो सका।