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फ्रांस में पेंशन सुधार योजनाओं का विरोध करने सड़कों पर उतरे लोग; राष्ट्रपति ने कहा- व्यवस्था में सुधार जरूरी

पेंशन प्रणाली में सुधार की राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की नीति के खिलाफ फ्रांस के विभिन्न शहरों में शनिवार को करीब 10 लाख लोग सड़कों पर उतरे। इस दौरान पूरे फ्रांस में पुलिस बल को तैनात किया गया था। प्रदर्शनकारी सरकार पर पेंशन नीति वापस लेने का दबाव बना रहे हैं।

By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Sun, 12 Feb 2023 04:13 AM (IST)
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मैक्रों की पेंशन नीति के खिलाफ फ्रांस में सड़कों पर उतरे 10 लाख लोग
पेरिस, रायटर। एक तरफ जहां भारत में अलग-अलग राज्यों में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की मांग उठ रही है, वहीं फ्रांस में भी लाखों लोग सड़कों पर उतरकर सरकार की पेंशन सुधार योजनाओं का विरोध कर रहे हैं। फ्रांस में शनिवार को लाखों लोगों ने सरकार की पेंशन सुधार योजनाओं के विरुद्ध जगह-जगह प्रदर्शन किए। फ्रांस सरकार सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 64 करना चाहती है, ताकि देश पर पेंशन का बोझ घट सके, वहीं कर्मचारी संघ उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार पर दबाव डालने के लिए बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरेंगे।

पेंशन सुधारों के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन

दीगर है कि पश्चिमी और आर्थिक रूप से समृद्ध देशों के संगठन ओईसीडी के सदस्य देशों में से फ्रांस में पेंशन की अवधि सर्वाधिक है। देश के ज्यादातर लोग चाहते हैं कि यह व्यवस्था आगे भी चलती रहे और वे पेंशन लाभों में कटौती का विरोध कर रहे हैं। वहीं, देश के राष्ट्रपति इमेनुअल मैक्रों का कहना है कि पेंशन व्यवस्था में सुधार जरूरी है, ताकि इसे बरकरार रखा जा सके।

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फ्रांस में अधिकाधिक लोग पेंशन सुधारों के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। फ्रांस के अखबार ले फिगारो ने जानकारी दी कि शुरुआती अनुमानों के अनुसार, पिछले प्रदर्शन से अब तक प्रदर्शन में भाग लेने वाले लोगों की संख्या में लगभग 20% वृद्धि हुई थी।

प्रमुख यूनियनों ने सरकार को फ्रांस बंद करने की दी धमकी

देश की सभी प्रमुख यूनियनों ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे 7 मार्च से फ्रांस में सामान्य जनजीवन ठप कर देंगे। 16 फरवरी को पहले ही हड़ताल निर्धारित है। पेंशन सुधारों को लेकर फ्रांस के राजनीतिक दलों में भी गहरे मतभेद हैं। सुधारों पर संसद में चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने हजारों संशोधन प्रस्तावित किए जिसके बाद सरकार ने संसद में मतदान के बिना डिक्री के माध्यम से इन सुधारों को लागू किया है।

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