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US-Iran Tension: अमेरिका व ईरान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर भारत सतर्क

US-Iran Tension अमेरिका व ईऱान के बीच युद्ध होने की स्थिति में ना सिर्फ भारत को आर्थिक तौर पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 04 Jan 2020 08:39 AM (IST)
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US-Iran Tension: अमेरिका व ईरान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर भारत सतर्क
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। US-Iran Tension: ईरान सेना के शीर्ष कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर मार गिराया गया है। इससे अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ मौजूदा हालात को हाल के वर्षों में सबसे खराब दौर के रूप में बता रहे हैं। इसकी वजह से वैश्विक अस्थिरता बढ़ना तय माना जा रहा है। हालात पर भारत भी बेहद करीबी नजर रखे हुए है।

इसके असर से अछूता नहीं रहेगा भारत

अमेरिका व ईरान के बीच युद्ध होने की स्थिति में ना सिर्फ भारत को आर्थिक तौर पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है बल्कि इन दोनो देशों के बीच सामंजस्य बनाने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है। पिछले महीने दिसंबर, 2019 में ही भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका और ईरान की यात्रा की थी।

भारत के लिए ईऱान की अहमियत

भारत और अमेरिका के बीच विदेश व रक्षा मंत्रियों की बैठक में जब ईरान के चाबहार पोर्टे को लेकर भारत को छूट देने पर अमेरिका तैयार हुआ था। इससे माना गया था कि वह ईरान व भारत के रिश्तों को लेकर बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहा। वैसे भारत ने ईरान से तेल खरीदना पूरी तरह से बंद कर दिया है। इसके बावजूद कई वजहों से भारत के लिए ईऱान की अहमियत है। इसमें सबसे बड़ा कारण यह है अफगानिस्तान में पाकिस्तान के प्रभाव को रोकने के लिए ईरान की जरूरत रहेगी।

अमेरिका भारत को ईऱान से संपर्क तोड़ने का बना रहा दबाव

पिछले महीने ही चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान तक रेल व सड़क मार्ग बनाने की परियोजना पर बात हुई है। भारत चाबहार पोर्ट से मध्य एशिया के तमाम देशों को कारोबार के लिहाज से जोड़ने की मंशा भी रखता है। इसके लिए भारत, ईरान व रूस के बीच पहले से ही एक योजना पर काम हो रहा है। लेकिन नए हालात में अमेरिका एक बार फिर भारत को ईऱान से सारे संपर्क तोड़ने का दबाव बना सकता है। ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ के इस महीने के मध्य में भारत आने की भी संभावना है। पूर्व में भी कई बार अमेरिकी दबाव में भारत को ईरान के साथ अपने रिश्तों की समीक्षा करनी पड़ी है।

अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले में सुलेमानी की भूमिका

अमेरिकी के रक्षा मंत्रालय पेंटागन की तरफ से जो सूचना मिली है उसके मुताबिक ईराक के अंतरराष्ट्रीय एय़रपोर्ट पर शुक्रवार को सोलेमानी को मौत के घाट उतारा गया है। माना जा रहा है कि दो दिन पहले ईराक स्थित अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले में सुलेमानी की भूमिका थी। इसकी कड़ी भर्त्सना करते हुए ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा है कि यह अमेरिका का अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद है क्योंकि जेनरल सोलेमानी अल-कायदा व आइएसआइएस जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ लड़ाई की अगुवाई कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा है कि अब जो भी होगा उसकी जिम्मेदारी अमेरिका की होगी।

वैसे खाड़ी के क्षेत्र में हालात मई, 2018 से ही तनावपूर्ण है। तब अमेरिका ने ईरान के साथ किये गये शांति समझौते को रद्द कर दिया था और उस पर नए प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था। लेकिन सोलेमानी की मौत के बाद हालात के बेहद बिगड़ जाने की आशंका जताई जाने लगी है। इसका सबसे पहला असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ने की बात कही जा रही है।

पिछले एक महीने में युद्ध के हालात बनने से कच्चे तेल की कीमतों में पहले से ही तेजी आ रही थी। यह स्थिति पहले से ही सुस्त पड़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकती है। भारत अभी भी अपनी कुल जरुरत का 84 फीसद कच्चा तेल बाहर से खऱीदता है। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार के खुलने के साथ ही कच्चे तेल की कीमत में 4 फीसद की इजाफा होने की सूचना है। यह पिछले चार महीनों में किसी एक दिन में दर्ज की गई सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। कच्चे तेल की कीमत अभी 68-69 डॉलर प्रति बैरल है। इसमें होने वाली बड़ी वृद्धि भारत के भुगतान संतुलन को बिगाड़ सकती है जिससे महंगाई भी बढ़ने का खतरा है।

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