Move to Jagran APP

2010 में कतर को FIFA से मिली थी 2022 Football World Cup की मेजबानी, जानें इस फैसले का क्‍यों हुआ था विरोध

Qatar Football World Cup 2022 कतर दो दिन बाद से शुरू होने वाले वर्ल्‍ड कप के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है। इसकी मेजबानी कतर को 2010 में ही मिल गई थी। हालांकि इसको लेकर हमेशा विवाद बना रहा।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 18 Nov 2022 04:07 PM (IST)
Hero Image
2010 में मिली थी कतर को वर्ल्‍ड कप की मेजबानी
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। कतर 20 नवंबर से 18 दिसंबर तक चलने वाले फुटबाल वर्ल्‍ड कप के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है। 30-37 डिग्री सेल्सियस के बीच यहां पर होने वाले सभी मैचों को लेकर फुटबाल प्रेमियों की दिवानगी भी चरम पर है। आने वाले दिनों में इस आयोजन को देखने के लिए यहां पर काफी संख्‍या में पर्यटक आ सकते हैं। दोहा कुछ समय पहले तक इस आयोजन के लिए किसी बड़े निर्माण स्‍थल की ही तरह नजर आ रहा था। एक तरफ कतर में इस विश्‍व कप का आयोजन है तो दूसरी तरफ कतर को लेकर आलोचना भी नहीं रुक रही है। जब से कतर को इसकी मेजबानी मिली है तभी से आलोचनाओं का भी सिलसिला शुरू हो गया था। 

शुरु से ही हो रही आलोचना 

आपको बता दें कि कतर को वर्ष 2010 में 2022 वर्ल्‍ड कप के आयोजन की मेजबानी मिल गई थी। हालांकि, तब भी विश्‍व स्‍तर पर इस फैसले की कड़ी आलोचना की गई थी। आरोप लगाया गया था कि ये फैसला जुगाड़बाजी के चलते किया गया है। वहीं, दूसरी तरफ कतर ने इसके लिए खुद को तैयार भी किया है। सड़कों की मरम्‍मत हो या स्‍टेडियम को चमकाने का काम सभी जगहों पर काम हुआ दिखाई देता है। 

ह्यूमन राइट्स वाच का ये कहना 

कतर में फुटबाल विश्‍व कप के आयोजन की बात करें तो ह्युमन राइट्स वाच (एचआरडब्लू) से जुड़े वेन्जेल मिचालस्की का कहना है कि कतर की विश्‍व में अच्‍छी इमेज नहीं है। यही वजह है कि यहां की हालत में पहले और अब में कोई खास फर्क नहीं आया है। हालांकि, कतर ने अपनी इमेज को बेहतर बनाने के लिए कई तरह के प्रयास किए हैं, लेकिन ये सभी कागजों तक ही सीमित हैं। इनकी हकीकत कुछ और ही है।   

मानवाधिकारों के मामले में बेहद खराब हालत 

ह्यूमन राइट्स वाच के मुताबिक कतर की स्थिति मानवाधिकारों के मामले में भी बेहद खराब है। यहां पर कानून का राज नहीं है। एलजीबीटीक्यू के लोगों को किसी बड़े गुनाहगार के रूप में देखा जाता है। इन लोगों को कोई अधिकार नहीं है। प्रेस आजाद नहीं है। कतर में विरोध प्रदर्शन को इजाजत नहीं है। यहां पर महिलाओं को भी दोयम दर्जा दिया गया है। महिलआों को अधिकारों के नाम पर कुछ नहीं दिया गया है। कागजों पर काफी कुछ बदल चुका है लेकिन हकीकत में कुछ नहीं बदला है।

काफी कुछ बदल गया कतर

वहीं दूसरी तरफ ह्यूमन राइट्स के आरोपों को कतर के मंत्री सिरे से खारिज कर रहे हैं। कतर का कहना है कि काफी कुछ बदल गया है और आगे भी ये बदलाव जारी रहेंगे। गौरतलब है कि विश्‍व कप की मेजबानी मिलने के बाद कतर ने अपनी छवि को सैक्‍युलर बनाने की पूरी कोशिश की है। एलजीबीटी को लेकर कतर के अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर के खिलाफ और वर्ल्ड कप दूत खालिद सलमान भी मानते हैं कि ये एक गुनाह है।

आरोप निराधार

वहीं कतर के विदेश मंत्री मुहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी का कहना है कि देश में जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं और सभी को समान अधिकार भी दिए गए हैं। वो कतर की आलोचना को सिरे से गलत करार दे रहे हैं। ह्यूमन राइट्सस वाच का कहना है कि कतर में प्रवासी मजदूरों के हालात बेहद दयनीय हैं। कतर में बीते कुछ वर्षों में कई प्रवा‍सी मजदूरों की मौत हुई हैं।