Move to Jagran APP

विश्‍व के लिए बेहद चौकाने वाली है WMO की रिपोर्ट, दुनिया के अन्‍य क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म हुआ यूरोप

मौजूदा वर्ष में क्‍लाइमेट चेंज का असर पूरी दुनिया ने देखा है। यूरोप में भी इस बार तापमान कहर बनकर टूटा है। 30 वर्षों में यूरोप का तापमान सबसे अधिक रिकार्ड किया गया है। ये एक खतरे की भी घंटी है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 03 Nov 2022 05:16 PM (IST)
Hero Image
तीन दशकों में सबसे अधिक गर्म हुआ है यूरोप

नई दिल्‍ली (आननलाइन डेस्‍क)। क्‍लाइमेट चेंज का असर जितना मौजूदा वर्ष में देखने को मिला है उतना पहले कभी नहीं देखा गया है। जानकारों की राय में ये धरती के लिए एक खतरनाक संकेत हैं जो प्रकृति दे रही है। मौजूदा वर्ष में धरती के सभी महाद्वीपों पर रिकार्ड गर्मी दर्ज की गई है। लेकिन, यूरोप के लिए तो ये किसी बुरे सपने के सच होने जैसा है। मौजूदा वर्ष में यूरोप में जो गर्मी पड़ी है उसने बीते तीन दशकों का रिकार्ड तोड़ दिया है। यूरोप को लेकर सामने आई विश्व मौसम विज्ञान संस्थान की ताजा रिपोर्ट भी इसी तरफ इशारा कर रही है। इसमें कई चौंकाने वाले दावे किए गए हैं।

परेशानी बढ़ाती रिपोर्ट 

WMO की रिपोर्ट इस लिए भी यूरोप के लिए परेशानी की वजह है क्‍योंकि 1990 से 2020 के बीच यूरोपीय संघ के देशों ने ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 31 फीसदी की कमी की है। इतना ही नहीं वर्ष 2030 तक यूरोप इसको 55 फीसद तक ले जाने की कोशिश में लगा है। ईयू ने हाल ही में इसका खाका खींचकर इसको मंजूरी भी दे दी है। ये रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब 6 नवंबर को मिस्र में विश्व जलवायु सम्मेलन CO27 होने वाला है। इसमें फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्‍युल मैक्रान और यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट उर्सुला फानन डेय लायन समेत कई देशों के प्रतिनिधि और राष्‍ट्राध्‍यक्ष भी हिस्‍सा लेंगे।

यूरोप सबसे अधिक हुआ गर्म 

WMO (विश्व मौसम विज्ञान संस्थान) की रिपोर्ट की मानें तो बीते 30 वर्षों में यूरोप वो महाद्वीप रहा है जो सबसे अधिक गर्म हुआ है। इसका सीधा सा अर्थ है कि यहां पर इस बार सबसे प्रचंड गर्मी पड़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक पृथ्वी के दूसरे भूभागों की तुलना में यूरोप में करीब दोगुना अधिक गर्मी पड़ी है और पहले से कहीं अधिक तापमान रिकार्ड किया गया है। इस रिपोर्ट में आसमान से गिरती आग की वजह से यूरोप में भीषण सूखे की स्थिति का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आल्प्स के ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं, जिसकी वजह से भूमध्यसागर भी तप रहा है।

मानवजाति के लिए साफ संकेत 

डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेटरी टालस ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि यूरोप दुनिया में बढ़ रहे तापमान की ताजा तस्‍वीर पेश कर रहा है। ये मानवजाति के लिए साफ संकेत है कि यदि नहीं बदले तो हालात हमारे काबू में नहीं रहेंगे। तकनीक से लैस समाज और देश भी इसके आगे घुटने टेकने पर विवश हो जाएगा। बता दें कि कि 1991 से 2021 के बीच यूरोप का औसत तापमान हर दशक में 0.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है। वहीं यदि इसकी तुलना बाहरी दुनिया से करें तो हर दशक में इसमें करीब 0.2 डिग्री सेल्सियस के औसतन तेजी देखी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में क्‍लाइमेट चेंज की वजह से यूरोप को 50 अरब डालर का नुकसान झेलना पड़ा था।

यूरोप के तपने की क्‍या है वजह 

यूरोप के अत्‍यधिक गर्म होने की कारणों के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका अधिकतर इलाका उप-आर्कटिक और आर्कटिक क्षेत्रों से मिलकर बना है। इसके चलते यूरोप के ऊपर बाकी दुनिया की अपेक्षा बादलों का जमावड़ा काफी कम है। इस वजह से सूरज की किरणें सीधी यूरोप की जमीन पर पहुंचकर इसके तापमान को लगातार बढ़ा रही हैं। इसके चलते वैज्ञानिक यूरोप को हीटवेब का हॉटस्पॉट बता रहे हैं।

भारत की सुरक्षा के लिए कितने नुकसानदायक है खस्‍ताहाल श्रीलंका और पाकिस्‍तान, जानें - एक्‍सपर्ट की जुबानी

Sri Lanka and China: राजपक्षे सरकार की गलत नीतियों ने 2019 में ही लिख दी थी देश की बदहाली की कहानी