Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में भारत विरोधी तत्वों का उत्पात, 1971 युद्ध का शहीद स्मारक तोड़ा
Bangladesh Crisis अंतरिम सरकार के गठन के बाद भी बांग्लादेश में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। अब भारत विरोधी तत्वों ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया है। भारत विरोधी तत्वों ने मेहरपुर के मुजीबनगर में स्थित 1971 युद्ध का शहीद स्मारक तोड़ दिया है। इससे पहले ढाका में इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र को भी निशाना बनाया गया है।
जेएनएन, नई दिल्ली। बीते हफ्ते बांग्लादेश में हुए हिंसक आंदोलन का उद्देश्य केवल शेख हसीना की सरकार को हटाना ही नहीं था बल्कि भारत विरोधी भावना भी उपद्रवियों के सिर चढ़कर बोल रही थी। इसका सुबूत मेहरपुर के मुजीबनगर में तोड़ा गया शहीद स्मारक परिसर है।
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काम्प्लेक्स में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष पाकिस्तानी जनरल नियाजी की आत्मसमर्पण के मसौदे पर दस्तखत करते हुए भव्य प्रतिमा और 1971 के युद्ध में बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों की कई प्रतिमाएं थीं।
इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र भी बना निशाना
इन प्रतिमाओं को उपद्रवियों ने तोड़ दिया है। इसी दौरान ढाका में स्थित इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र में भारी तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी। 1971 में हुए युद्ध के परिणामस्वरूप ही पाकिस्तान से अलग होकर पूर्वी बंगाल बांग्लादेश बना था, लेकिन हिंसक आंदोलनकारियों ने बांग्लादेश बनने के चिह्नों और प्रतीकों पर प्रहार किया है।
शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा को भी नहीं छोड़ा
उपद्रव के दौरान भारत से जुड़े प्रतीकों पर हमला किया गया, साथ ही राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमाओं और ढाका के उस आवास को भी नहीं छोड़ा गया जिसमें उनकी हत्या हुई थी। माना जा रहा है कि हिंदुओं और मंदिरों पर हमले भी भारत विरोधी भावना के परिणाम थे।तोड़फोड़ दुखी करने वाली: शशि थरूर
वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बांग्लादेश सरकार से कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए अविलंब प्रभावी कदम उठाए जाने की मांग की है। कहा है कि 1971 के युद्ध से संबंधित शहीद स्मारक परिसर में की गई भारी तोड़फोड़ दुखी करने वाली है।