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UNSC: 'अतीत का बंदी नहीं रह सकता संयुक्त राष्ट्र', एस जयशंकर ने फिर उठाई सुरक्षा परिषद में सुधारों की आवाज

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र अतीत का बंदी बना नहीं रह सकता और ग्लोबल साउथ के देशों को लगातार नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जयशंकर ने कहा कि दुनिया एक स्मार्ट परस्पर जुड़े और बहुध्रुवीय क्षेत्र में विकसित हो गई है और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से इसके सदस्यों की संख्या चार गुना बढ़ गई है।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 26 Sep 2024 05:45 AM (IST)
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एस जयशंकर ने फिर उठाई सुरक्षा परिषद में सुधारों की आवाज

 पीटीआई, संयुक्त राष्ट्र। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र अतीत का बंदी बना नहीं रह सकता और ग्लोबल साउथ के देशों को लगातार नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी श्रेणी में इन देशों का उचित प्रतिनिधित्व अब अनिवार्य है।

जी-20 ब्राजील, 2024 के विदेश मंत्रियों की दूसरी बैठक में जयशंकर ने कहा, 'दुनिया एक स्मार्ट, परस्पर जुड़े और बहुध्रुवीय क्षेत्र में विकसित हो गई है और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से इसके सदस्यों की संख्या चार गुना बढ़ गई है। फिर भी संयुक्त राष्ट्र अतीत का बंदी बना हुआ है।'

उन्होंने कहा कि इसी का परिणाम है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति एवं स्थायित्व कायम रखने के अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में संघर्ष करती है जिससे उसकी प्रभावशीलता व विश्वसनीयता कम होती है।

हमें नजरअंदाज नहीं किया जाए

जयशंकर ने कहा कि सुरक्षा परिषद की दोनों श्रेणियों (स्थायी एवं अस्थायी) में विस्तार समेत सुधारों के बिना 15 सदस्यीय निकाय में प्रभावशीलता का अभाव बना रहेगा। एशिया, अफ्रीका और लातिन अमेरिका यानी ग्लोबल साउथ को लगातार नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वास्तविक बदलावों की जरूरत है और तेजी से करने की जरूरत है।

विश्व में प्रत्येक देश फलने-फूलने में सक्षम

जयशंकर ने साथ ही कहा कि भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को केंद्र में रखते हुए नियम-आधारित, गैर-भेदभावपूर्ण, निष्पक्ष, खुली, समावेशी, न्यायसंगत और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है। उन्होंने कहा कि भारत उन नीतियों का दृढ़ता से समर्थन करता है जो व्यापार और निवेश को बढ़ावा देती हैं, जिससे परस्पर जुड़े व गतिशील विश्व में प्रत्येक देश फलने-फूलने में सक्षम हो सके।