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जानें, कौन हैं वैज्ञानिक हंस क्रिश्चियन ग्राम जिन्होंने माइक्रोबयॉलजी में दिया था काफी योगदान

google ने आज अपना doodle डेनमार्क के वैज्ञानिक हैंस क्रिस्टियान ग्राम के नाम किया है। जिन्होंने माइक्रोबयॉलजी के क्षेत्र में काफी योगदान दिया है।

By Ayushi TyagiEdited By: Updated: Fri, 13 Sep 2019 10:07 AM (IST)
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जानें, कौन हैं वैज्ञानिक हंस क्रिश्चियन ग्राम जिन्होंने माइक्रोबयॉलजी में दिया था काफी योगदान

नई दिल्ली,एजेंसी। माइक्रोबयॉलजी के क्षेत्र में काफी बड़ा योगदान देने वाले और अपनी अलग पहचान बनाने वाले वैज्ञानिक हैंस क्रिस्टियान ग्राम का आज (शुक्रवार) 166 वां जन्मदिन हैं। Google ने आज का अपना doodle भी उन्हें ही समर्पित किया है।  उन्हें बैक्टीरिया की प्रारंभिक पहचान के लिए ग्राम स्टेन (Gram Stain) के लिए जाना जाता है। 

डेनमार्क के रहने वाले थे क्रिस्टियान ग्राम

क्रिस्टियान ग्राम का जन्म 13 सितंबर 1853 में डेनमार्क में हुआ था। उनकी मौत के आठ दशक बाद तक ग्राम मेथड का प्रयोग किया जाता है। आज भी माइक्रोबयॉलजी की दुनिया में उनके योगदान को लोग याद करते हैं। अपनी एमडी पूरी करने के बाद उन्होंने शहर के म्यूनिसिपल हॉस्पिटल में रेजिडेंट फिजीशियन के तौर पर काम किया।

इसके बाद अपनी यूरोप की यात्रा के दौरान कई क्षेत्रों में काम करते हुए  बैक्टीरियॉलजी और फार्मालजी निपुणता हासिल की। 1923 में उन्होंने अपने काम से रिटायरमेंट ले लिया और 1938 में उनकी मृत्यु हो गई। 

आखिर क्या है ग्राम स्टेनिंग? 
जब क्रिस्टियान माइक्रोबयॉलजिस्ट कार्ल फ्राइडलैंडर की बर्लिन लैबोरेटरी में काम किया करते थए उस वक्त उन्होंने  'ग्राम स्टेन' डवलेप किया था। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिक के अनुसार ग्राम स्टेन दरअसल, किसी  बैक्टीरिया की पहचान करने और उसके गुण धर्म पता लगाने का वैज्ञानिक तरीका है। 

कैसा करता है काम 
ग्राम स्टेन तरीके में बैक्टीरिया के धब्बे पर वॉइलट डाई डाली जाती है। इसके बाद इसे ऑर्गेनिक सॉल्वेन्ट आयोडीन सलूशन से साफ किया जाता है। इनमें सो जो मोटे सेल वाले बैक्टीरिया होते हैं वह पर्पल कलर के ही रहते हैं और उन्हें ही ग्राम पॉजिटिव कहा जाता है। जबकि जो बैक्टीरिया कमजोर और पतले रहते हैं वह खत्म हो जाते है।