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पांच साल में पहली बार बैठक में शामिल होंगे दक्षिण कोरिया, चीन और जापान के नेता, क्या है वजह?

जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फ़ुमिओदक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति युन सोंग-न्योल और चीन के प्रधानमंत्री ली चियांग के बीच सोमवार को त्रिपक्षीय वार्ता होगी। ये वार्ता बड़े स्तर पर आयोजित होने वाली है इसको लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। बातचीत के दौरान क्षेत्र में शांति जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। बताया जा रहा है चर्चा के बाद नेता एक दस्तावेज भी तैयार करेंगे।

By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Thu, 23 May 2024 02:36 PM (IST)
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पांच साल में पहली बार बैठक में शामिल होंगे दक्षिण कोरिया, चीन और जापान के नेता, क्या है वजह?
एपी, साउथ कोरिया। जापान और चीन के नेताओं के बीच जल्द ही त्रिपक्षीय वार्ता होगी। ये बातचीत अगले हफ्ते सियोल में आयोजित होगी, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने हाल ही में इसका ऐलान किया है।

सूत्रों के मुताबिक, पहले ये बातचीत रविवार को होने वाली थी, लेकिन अब सोमवार को निर्धारित की गई है। जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमिओ,दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति युन सोंग-न्योल और चीन के प्रधानमंत्री ली चियांग के बीच 26 और 27 मई को ये मुलाकात होगी। त्रिपक्षीय वार्ता को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं।

2008 में बना था मसौदा

बता दें कि, 2008 में हुए उद्घाटन स्टैंड-अलोन त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद से, तीन एशियाई देशों को हर साल अपने नेताओं के बीच ऐसी बैठक आयोजित करनी थी। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय देशों के बीच चल रहे विवाद के कारण शिखर सम्मेलन को निलंबित कर दिया गया था। इसका एक कारण जापान की युद्ध को लेकर आक्रामकता, साथ ही चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच रणनीतिक और ऐतिहासिक विवाद जैसे मुद्दे भी शामिल हैं ।

जापान और दक्षिण कोरिया के बीच कैसे हैं संबंध?

2023 के बाद से जापान और दक्षिण कोरिया के बीच संबंध पहले से बेहतर हो गए हैं। दोनों देशों ने उत्तर कोरिया के बढ़ते परमाणु कार्यक्रम और अन्य साझा चुनौतियों के सामने सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम भी उठाए हैं। वहीं जहां एक तरफ उत्तर कोरिया का परमाणु मिसाइल कार्यक्रम दक्षिण कोरिया और जापान के लिए एक बड़ा सुरक्षा खतरा है। वहीं चीन उत्तर कोरिया का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है।

तैयार होगा दस्तावेज

खबरों के अनुसार, इस बार होने वाली वार्ता का उद्देश्य विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर एक दस्तावेज तैयार करना है। नेताओं के बीच क्षेत्र की शांति और स्थिरता को लेकर सहमति बनने की उम्मीद है। बता दें, ये वार्ता आखिरी बार 2019 में आयोजित हुई थी। अब इसे हुए चार साल से भी अधिक समय हो गया है।

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