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South Korea: मणिपुर की स्थिति दुखद, पूरा भारत चाहता है सामान्य स्थिति, सियोल में भारतीय प्रवासियों से बोले विदेश मंत्री

दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा के पहले दिन भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने एक एनआरआई के मणिपुर की स्थिति के बारे में पूछने पर अपनी पीड़ा बताई। उन्होंने कहा कि यह कैसे हुआ? सरकार ने ऐसा कैसे होने दिया? वहां जो कुछ भी हो रहा है किसी को भी इससे पीड़ा होगी। वहां जो कुछ भी हुआ वह बेहद दुखद और पीड़ादायी है।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Tue, 05 Mar 2024 09:49 PM (IST)
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कोरियाई प्रधानमंत्री केआर हैन डक-सू से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंध सशक्त करने पर चर्चा की।
पीटीआई, सियोल। दक्षिण कोरिया के दौरे पर मंगलवार को पहुंचे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि मणिपुर में जो कुछ भी हुआ वह 'बेहद दुखद' है। वहां की परिस्थितियों ने हमारे दिल तोड़ दिए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पूरा भारत पूर्वोत्तर राज्य में सामान्य परिस्थितियों की बहाली देखना चाहता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह युग जब कुछ ताकतों ने वैश्विक व्यवस्था को पुनर्निधारित करने में 'अत्यधिक प्रभाव' का प्रयोग किया था, वह अब बीत चुका है, इसलिए भारत व दक्षिण कोरिया की इस प्रक्रिया में सक्रिय योगदान की जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है।

दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा के पहले दिन भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने एक एनआरआई के मणिपुर की स्थिति के बारे में पूछने पर अपनी पीड़ा बताई। उन्होंने कहा कि यह कैसे हुआ? सरकार ने ऐसा कैसे होने दिया? वहां जो कुछ भी हो रहा है, किसी को भी इससे पीड़ा होगी। वहां जो कुछ भी हुआ वह बेहद दुखद और पीड़ादायी है।

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मणिपुर में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को 'व्यथित' बताना एक हल्का शब्द है। उन्होंने बताया कि आपसी मेलजोल वाले समुदायों (मैतेई और कुकी) के बीच तनाव से ऐसे हालात बने। उनके बीच खाई इतनी बढ़ गई कि इतनी भीषण हिंसा हुई जिसे रोक पाना बहुत मुश्किल हो गया। लेकिन पूरा देश मणिपुर के साथ है। लोग वहां सामान्य स्थिति और कानून व्यवस्था की बहाली देखना चाहेंगे।

कई मायनों में पूर्वोत्तर स्वयं सेतु के रूप में कार्य कर सकता है। दुर्भाग्यवश म्यांमार से लगी खुली सीमा के चलते स्थितियां अधिक खराब हुईं। इसलिए भारत ने सीमा के दोनों ओर 16 किमी तक बिना किसी दस्तावेज के आवाजाही की छूट पर प्रतिबंध लगाया है। जयशंकर ने 'कोरिया नेशनल डिप्लोमेटिक अकादमी' को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक व्यवस्था के पुनर्निर्धारण में सक्रिय रूप से योगदान देने के प्रति भारत और दक्षिण कोरिया की जिम्मेदारी बढ़ रही है। वह युग जब कुछ शक्तियों ने उस प्रक्रिया पर असंगत प्रभाव डाला था, अब बीत चुका है।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद या सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार का मुकाबला करना या समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना, दोनों देशों के लिए मायने रखता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार, निवेश, सेवाओं, संसाधनों, लाजिस्टिक्स और प्रौद्योगिकी के मामले में भारत की हिस्सेदारी बढ़ी है। इस क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। अपनी क्षमता का अहसास कराने के लिए दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में अपनी भागीदारी बढ़ाएं।

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जयशंकर बुधवार को अपने प्रतिपक्षी चो-ताइ-युल के साथ 10वें भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग (जेसीएम) की बैठक में हिस्सा लेंगे। उन्होंने कोरियाई प्रधानमंत्री केआर हैन डक-सू से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंध सशक्त करने पर चर्चा की। उन्होंने कोरियाई राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चांग हो-जिन और व्यापार, उद्योग व ऊर्जा मंत्री अहन ड्यूकगेन से भी मुलाकात की है।