श्रीलंका में फैली हिंसा के पीछे 'जबरन धर्मांतरण' है बड़ी वजह, लगा आपातकाल
श्रीलंका में जबरन धर्मांतरण की खबर ने वहां के बौद्ध संप्रदाय में लगी चिंगारी को भड़काने का काम किया।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। श्रीलंका सरकार ने देश में दस दिनों के लिए आपातकाल लागू कर दिया है। आपातकाल का यह फैसला देश के कई इलाकों में फैली हिंसा को देखते हुए लिया गया है। हालांकि सरकारी तौर पर इसकी अधिसूचना अभी जारी नहीं की गई है। श्रीलंका की मीडिया के मुताबिक इसको कुछ देर में जारी कर दिया जाएगा। बहरहाल, अचानक आपातकाल लगाए जाने की खबर ने सभी को चौंकाने का काम जरूर किया है। यह उस वक्त लगाया गया है जब भारतीय क्रिकेट टीम कोलंबो में टी-20 मैच खेलने के लिए मौजूद है। हालांकि बीसीसीआई की तरफ से साफ कर दिया गया है कि आपातकाल की घोषणा के बाद मैच में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह राहत भरी खबर जरूर हो सकती है। लेकिन श्रीलंका के लिए आपातकाल की घोषणा फिर भी हैरान करने वाली है। बहरहाल, आपातकाल की इस घोषणा के पीछे की वजह को जानना और समझना बेहद जरूरी है।
एक दिन का परिणाम नहीं हिंसा
दरअसल, श्रीलंका में फैली हिंसा कोई एक दिन का परिणाम नहीं है बल्कि वहां की जनता में फैल रहे आक्रोश को इंगित करती है। यह आक्रोश रोहिंग्या मुसलमानों की बढ़ती आबादी को लेकर है। आपको बता दें कि पिछले माह 22 फरवरी को एक दुकान के बाहर एक ट्रक ड्राइवर की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद वहां पर लगातार तनाव फैला था। इस आक्रोश को उबलता हुआ उस वक्त देखा गया जब ड्राइवर के अंतिम संस्कार के वक्त गुस्साए लोगों ने वहां पर दुकानों को खाक कर दिया और एक व्यक्ति की हत्या कर दी। इसके बाद यह हिंसा देश के दूसरे इलाकों में फैल गई।श्रीलंका में बौद्ध बहुसंख्यक
चिंगारी को भड़काने का काम
लेकिन श्रीलंका में जबरन धर्मांतरण की खबर ने वहां के बौद्ध संप्रदाय में लगी चिंगारी को भड़काने का काम किया। इसके बाद ट्रक ड्राइवर की हत्या ने उसको हवा दी। यही अब श्रीलंका के विभिन्न इलाकों में धधक रही है। रोहिंग्या मुसलमानों की मौजूदगी के खिलाफ श्रीलंका में आवाजें भी उठी हैं। हालांकि वह इस बात से इंकार करते हैं कि यह वर्चस्व को लेकर लड़ाई है, क्योंकि श्रीलंका में मुस्लिम की आबादी काफी कम है। लेकिन वो ये भी कहते हैं कि दोनों संप्रदायों के बीच खटास बढ़ रही है। इसको रोकने या कम करने में वहां की सरकार नाकाम रही है। वह ये भी कहते हैं कि फिलहाल इसके पीछे कोई राजनीतिक सोच दिखाई नहीं दे रही है और न ही इसको लेकर वहां के किसी नेता ने बयान जारी किया है। लेकिन हां इतना जरूर हो सकता है कि आने वाले समय में ऐसा देखने को मिले।