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Srilanka Criris: श्रीलंका के आर्थिक संकट का बच्चों पर पड़ रहा बुरा असर, यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्ज लारिया ने जताई चिंता

Srilanka Criris आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका को तंगी का सामना करना पड़ रहा है। देश के हालात ऐसे हैं कि इसका असर बच्चों पर पड़ रहा है। ऐसे में दक्षिण एशिया के यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्ज लारिया ने बच्चों के हालात को लेकर चिंता जताई है।

By Mohd FaisalEdited By: Updated: Sat, 27 Aug 2022 10:21 AM (IST)
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Srilanka Criris: श्रीलंका के आर्थिक संकट का बच्चों पर पड़ रहा बुरा असर (फोटो एएनआइ)
कोलंबो, एजेंसी। Srilanka Criris- आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में दक्षिण एशिया के यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्ज लारिया ने श्रीलंका के आर्थिक हालात को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट ने श्रीलंका को परेशानी में डाल दिया है। इसका सबसे बड़ा असर गरीबों पर पड़ा है।

यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्ज लारिया ने क्या कहा

यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्ज लारिया ने कहा कि देश के आर्थिक हालात के कारण परिवार के लोग नियमित भोजन छोड़ रहे हैं। श्रीलंका राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब वित्तीय मंदी का सामना कर रहा है। शुक्रवार को जारी एक बयान में, लारिया ने यह भी बताया कि संकटग्रस्त श्रीलंका में गंभीर कुपोषण पहले से ही सबसे अधिक था। यूएन चिल्ड्रन फंड की ओर से अलर्ट तब आया है, जब परिवार नियमित भोजन छोड़ रहे हैं।

आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका

उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट श्रीलंका को परेशान कर रहा है, जिस वजह से गरीब और कमजोर बच्चे सबसे बड़ी कीमत चुकाते हैं। उन्होंने कहा कि देश में कई बच्चे ऐसे भी हैं, जो भूखे सो रहे हैं, यह सुनिश्चित नहीं होता कि उनका अगला भोजन कहां से आएगा। उन्होंने आगे कहा कि बड़े पैमाने पर खाद्य असुरक्षा इस क्षेत्र में केवल कुपोषण, गरीबी, बीमारी और मृत्यु को बढ़ाएगी।

श्रीलंका में ज्यादातर बच्चों को सहायता की आवश्यकता

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि श्रीलंका में आधे बच्चों को पहले से ही किसी न किसी रूप में आपातकालीन सहायता की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, श्रीलंका में आर्थिक संकट के बावजूद शिक्षा क्षेत्र में संसाधनों की कमी देखने को मिली है। साथ ही पुराने बुनियादी ढांचे ने इसे और भी खतरनाक बना दिया है। इसके अलावा लारिया ने कहा कि बच्चों के खिलाफ दुर्व्यवहार, शोषण और हिंसा में वृद्धि की रिपोर्ट पहले से ही सामने आ रही है।

गरीबी के कारण संस्थान में भेजने को मजबूर परिवार

इसी तरह, श्रीलंका में पहले से ही 10,000 से अधिक बच्चे गरीबी के कारण संस्थागत देखभाल में हैं। लारिया ने कहा कि ये संस्थान प्रमुख पारिवारिक सहायता प्रदान नहीं करते हैं, जो बचपन के विकास के लिए आवश्यक है। वर्तमान संकट अधिक से अधिक परिवारों को अपने बच्चों को संस्थानों में रखने के लिए मजबूर कर रहा है, क्योंकि देश के हालात के कारण वे अब उनकी देखभाल करने में सक्षम नहीं हैं। अगर मौजूदा हालात जारी रहते हैं तो श्रीलंका के बच्चों ने जो प्रगति की है, उसके उलट होने का खतरा है।