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Sri Lanka: मार्क्सवादी दिसानायके होंगे श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति, रानिल विक्रमसिंघे को मिली करारी हार

श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव में मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को जीत मिली है। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर रहे। दूसरे स्थान पर साजिथ प्रेमदासा हैं। अनुरा की पार्टी के संसद में सिर्फ तीन सांसद हैं। अनुरा कुमारा की पहचान जोशीले भाषण देने वाले नेता के रूप में होती है। श्रीलंका के चुनाव में कुल 75 फीसदी मतदान हुआ।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 22 Sep 2024 11:07 AM (IST)
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मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके। (फोटो- रॉयटर्स)

रॉयटर्स, कोलंबो। आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को भारी बढ़ मिली है। अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति होंगे। दिसानायके को 49.8 प्रतिशत वोट मिले हैं। वहीं समागी जन बालावेगया के नेता सजित प्रेमदासा को 25.8% वोट मिले हैं।

मौजूदा राष्ट्रपति और यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता रानिल विक्रमसिंघे को 16.4% वोट मिले हैं। गोटबाया राजपक्ष के पद छोड़ने के बाद छह बार प्रधानमंत्री रहे रानिल विक्रमसिंघे ने जुलाई 2022 में अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला था। चुनाव में कुल 75 फीसदी मतदान रिकॉर्ड किया गया।

गठबंधन का चेहरा हैं अनुरा कुमारा

अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी का नाम जनता विमुक्ति पेरेमुना (JVP) है। यह नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन का हिस्सा है। वहीं अनुरा कुमारा गठबंधन के उम्मीदवार हैं। अनुरा कुमार की पार्टी अर्थव्यवस्था में मजबूत राज्य हस्तक्षेप, कम टैक्स और अधिक बंद बाजार जैसी आर्थिक नीतियों का समर्थन करती है। 55 वर्षीय अनुरा कुमार दिसानायके की श्रीलंका में पहचान जोशीले भाषण देने वाले नेता के रूप में होती है।

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45 दिन में संसद को भंग करने का वादा

अनुरा कुमारा की पार्टी जेवीपी के पास संसद में सिर्फ तीन सीटें हैं। मगर दिसानायके ने भ्रष्टाचार विरोधी सख्त कदम और गरीबों के हित में नीतियों को लागू करने के अपने वादों से उन्होंने जनता के दिलों में अपनी जगह बनाई। उन्होंने जनता के सामने खुद को बदलाव लाने वाले नेता के तौर पर पेश किया। अनुरा ने चुनाव में वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो 45 दिनों के भीतर संसद को भंग कर देंगे।

'मैं जनादेश का सम्मान करता हूं'

उधर, श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने एक्स पर लिखा, "एक लंबे और कठिन अभियान के बाद चुनाव के परिणाम अब स्पष्ट हैं। हालांकि मैंने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के लिए काफी प्रचार किया, मगर श्रीलंका की जनता ने अपना निर्णय ले लिया है और मैं अनुरा कुमारा दिसानायके के लिए उनके जनादेश का पूरी तरह से सम्मान करता हूं।"

2022 में बिगड़े थे श्रीलंका के आर्थिक हालात

साल 2022 में विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी की वजह से श्रीलंका को अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था। हालात इतने बिगड़ चुके थे कि ईंधन, दवा और रसोई गैस समेत आवश्यक वस्तुओं के आयात का भुगतान करने में भी श्रीलंका असमर्थ था।

मंहगाई और आवश्यक वस्तुओं की कमी से खफा लोगों ने राष्ट्रपति के कार्यालय और आवास पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को भागना पड़ा था और बाद में इस्तीफा भी देना पड़ा। श्रीलंका अभी तक इस संकट से नहीं उबरा है।

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