SriLankan Crisis: श्रीलंकन मानवाधिकार आयोग ने गोटाबाया राजपक्षे की सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति विक्रमसिंघे से किया आग्रह
श्रीलंका में उपजे संकट के चलते देश छोड़ भागे गोटाबाया के वापस आने की खबर है। ऐसे में वर्तमान राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने उनके सुरक्षा के सभी उपायों की तैयारी की बात कही है। वहीं विपक्षी दल के नेता समागी बालवेगया ने कहा कि उन्हें देश आने का संवैधानिक अधिकार है।
कोलंबो, एजेंसी। श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग ने वर्तमान राष्ट्रपति विक्रमसिंघे से पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को वापस लाने का निवेदन किया है। आयोग ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह गोटाबाया सहित उनके परिवार को पूरी सुरक्षा के साथ देश वापस लाए।
श्रीलंकन मानवाधिकार आयोग ने सोमवार को एक पत्र के माध्यम से बताया कि गोटाबाया को बहुत दबाव में पद और देश छोड़ना पड़ा था। ऐसे समय में सरकार उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने में विफल रही थी। अब गोटाबाया परिवार सहित श्रीलंका लौटना चाहते हैं मगर शिकायत है कि देश में खतरों के चलते वे वापस नहीं आ सकते। ऐसे में यह संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है कि कोई नागरिक अपने देश नहीं लौट पा रहा।
श्रीलंकन मानवाधिकार आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 14 (1)(i) हवाला दिया जिसमें कहा गया कि प्रत्येक नागरिक का देश लौटने का अधिकार है। शिकायत में कहा गया है कि, गोटाबाया राजपक्षे और उनका परिवार श्रीलंका के नागरिक हैं मगर असुरक्षा कारणों के चलते वे देश लौटने में असमर्थ हैं। आयोग ने कहा कि, जब भी कोई पूर्व राष्ट्रपति देश लौटने का निवेदन करता है तो ऐसे में श्रीलंकन सरकार खतरे की स्थिति का जायजा कर कानून सम्मत सभी प्रकार की सुरक्षा के उपाय करती है।
अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि राजपक्षे बुधवार को श्रीलंका लौटेंगे या नहीं। चूंकि 73 वर्षीय राजपक्षे को देश में भारी आर्थिक कुप्रबंधन और सरकार के खिलाफ नाराजगी के चलते देश छोड़ना पड़ा था। ऐसे में वे अपनी पत्नी लोमा राजपक्षे के साथ बैंकाक के होटल में ठहरे हुए हैं।
डेली मिरर अखबार ने सोमवार को सूत्रों के हवाले से बताया कि, वर्तमान राष्ट्रपति विक्रमसिंघे पूर्व राष्ट्रपति की वापसी की तैयारी को अंतिम रूप देने को तत्पर हैं। पिछले सप्ताह मुख्य विपक्षी दल के नेता समागी बालवेगया ने कहा कि गोटाबाया को देश लौटने का अधिकार है। बावजूद देश की संपत्ति के दुरूपयोग के कारण उन पर कानून के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए। चूंकि श्रीलंका का संविधान पूर्व राष्ट्रपतियों को ऐसे मामलों में विशेषाधिकार देता है।
वहीं, समागी बालवेगया ने राजपक्षे पर भारत के जरिए मुहैया कराई गई 1 बिलियन अमरीकी डालर के ऋण का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। देश के भारी आर्थिक संकट के समय राजपक्षे मालदीव और उसके बाद सिंगापुर भाग गए। मेडिकल वीजा पर वे सिंगापुर चले गए परंतु उनका वीजा दुबारा नहीं बढ़ाया जा सका तो वे थाईलैंड चले गए। ऐसे में थाई सरकार ने उन्हें 90 दिनों के रहने का आश्वासन दिया मगर शर्त रखी कि उन्हें किसी भी तरह के राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहना होगा।