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चीन तेजी से बढ़ा रहा परमाणु हथियारों की संख्या, एक साल में हुआ इजाफा; SIPRI बोला- खतरनाक हो सकते हैं परिणाम

SIPRI ने परमाणु हथियार को लेकर चेतावनी दी है। SIPRI ने कहा कि दुनियाभर में पिछले एक साल में परमाणु हथियार बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ने से इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं।

By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Mon, 12 Jun 2023 08:23 PM (IST)
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दुनियाभर में पिछले एक साल में बढ़े परमाणु हथियार, SIPRI की चेतावनी (फाइल फोटो)

स्टॉकहोम, एजेंसी। सीमा पर तनाव के बीच चीन ने अपने परमाणु हथियारों के जखीरे में बीते वर्ष बड़ी वृद्धि की है। परमाणु हथियारों पर निगाह रखने वाली संस्था स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपरी) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते वर्ष चीन ने 60 नए परमाणु हथियार विकसित किए हैं।

रिपोर्ट में किया वैश्विक स्थिति का आकलन

रिपोर्ट वैश्विक स्थिति का आकलन करते हुए कहती है कि वर्ष 2022 में परमाणु शक्ति संपन्न सभी नौ देश अपने परमाणु आयुध भंडार को शक्तिशाली और आधुनिक बनाने में जुटे रहे जिनमें पाकिस्तान भी है। ये देश अमेरिका, रूस, यूनाईटेड किंगडम, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजरायल हैं। कई देशों ने नई परमाणु संपन्न हथियार प्रणालियों की तैनाती की है।

रूस-यूक्रेन टकराव के कारण तृतीय विश्व युद्ध को लेकर बनी आशंका के बीच सीपरी के निदेशक डैन स्मिथ ने कहा है कि हम मानव इतिहास में सबसे खतरनाक समय की ओर बढ़ रहे हैं।

अब चीन के पास 410 परमाणु हथियार

सीपरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2022 में चीन के पास 350 परमाणु हथियार थे जो जनवरी 2023 में बढ़कर 410 हो गए। चीन द्वारा अपनी परमाणु शक्ति निरंतर विकसित करने की आशंका भी व्यक्त की गई है। सीपरी का कहना है कि इस दशक के अंत तक चीन द्वारा अमेरिका या रूस के बराबर संख्या में इंटर कांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) विकसित की जा सकती हैं।

भारत भी बढ़ा रहा क्षमता

रिपोर्ट भारत और पाकिस्तान द्वारा भी अपने परमाणु हथियारों में वृद्धि की बात भी कहती है। इसके अनुसार भले ही परमाणु हथियारों के लिहाज से पाकिस्तान चिंता का प्रमुख बिंदु है, लेकिन भारत अब चीन तक पहुंचने वाली लंबी दूरी की मिसाइल विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता दिख रहा है।

सीपरी के अनुसार, विश्व में सैन्य प्रयोग के लिए तैनात परमाणु हथियारों की संख्या में बीते वर्ष 86 की वृद्धि हुई है। रूस-यूक्रेन टकराव के कारण विश्व में परमाणु हथियार नियंत्रण और निरस्त्रीकरण कूटनीति पर विपरीत प्रभाव पड़ा है।

रूस-अमेरिका में पारदर्शिता में कमी

रूस और अमेरिका के बीच परमाणु हथियारों को लेकर पारदर्शिता में कमी आई है। अमेरिका ने रूस के साथ द्विपक्षीय रणनीतिक स्थिरता वार्ता स्थगित कर दी जबकि रूस ने बीती फरवरी में स्टार्ट परमाणु समझौते में सहभागिता से इन्कार कर दिया था। स्टार्ट के तहत परमाणु हथियारों का निरीक्षण और आइसीबीएम व पनडुब्बी वाली मिसाइलों पर सूचना का आदान-प्रदान होता है।

वर्ष 2010 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनके रूसी समकक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने इस पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि जनवरी 2023 तक दोनों देशों की परमाणु हथियारों की तैनाती स्टार्ट की तय सीमा के भीतर थी।

रूस और अमेरिका के पास हैं हथियारों का 90 फीसद हिस्सा

बता दें कि रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास सभी परमाणु हथियारों का लगभग 90 फीसद हिस्सा है, लेकिन थिंक टैंक ने कहा कि उनके संबंधित शस्त्रागार का आकार 2022 में अपेक्षाकृत स्थिर रहा है। कुल मिलाकर दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या में गिरावट देखने को मिली है।