आज है Students Strike, सौ से अधिक देश दे रहे साथ, जानें पूरा मामला
15 मार्च का दिन हम सभी के लिए बेहद खास है। खास इसलिए क्योंकि हमारे हितों के लिए सौ से अधिक देशों के छात्र हड़ताल कर रहे हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 15 Mar 2019 07:31 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पर्यावरण को लेकर आज पूरी दुनिया चिंता जता रही है। अफसोस की बात ये है कि इस मुद्दे पर विकसित और विकासशील देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। इस बीच वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि यदि अब भी नहीं संभले तो भविष्य में होने वाले नुकसान के लिए इंसान को तैयार रहना पड़ेगा। पर्यावरण को लेकर कुछ लोग पूरी दुनिया में अपनी-अपनी तरह से काम भी कर रहे हैं। अब इस मुद्दे पर 15 मार्च को छात्र हड़ताल करने वाले हैं। शुक्रवार को होने वाली इस हड़ताल में 105 देश शामिल हो रहे हैं। दुनियाभर के करीब डेढ़ हजार से अधिक शहरों में स्कूली बच्चे पर्यावरण के मुद्दे पर हड़ताल करेंगे। दरअसल, इस हड़ताल के पीछे छात्रा है जिसका नाम ग्रेटा थनबर्ग है। स्वीडन की छात्रा ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उठाए गए कदमों को नाकाफी बताया है। 16 वर्षीय ग्रेटा पूरी दुनिया में इस मुद्दे पर होने वाली स्टूडेंट्स स्ट्राइक को लेकर काफी सुर्खियां बटोर रही हैं।
कौन है ग्रेटा
पूरी दुनिया के लिए पहचान बनी ग्रेटा को नॉर्वे के तीन सांसदों ने नोबेल पुरस्कार के लिए नामित भी किया है। जहां तक ग्रेटा की बात है तो आपको बता दें कि उन्हें पिछले वर्ष नवंबर 2018 में इस मुद्दे पर TEDxStockholm में बतौर वक्ता बुलाया गया था। इसके अलवा दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र की क्लाइमेट चेंज कांफ्रेंस में भी बुलाया गया था। इतना ही नहीं जनवरी 2019 में दावोस में हुई वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में भी उसे बुलाया गया था। इस दौरान उन्होने उनके भाषण से सभी नेता काफी हैरान थे। दरअसल, उन्होंने कहा था कि वह उन्हें आश्वस्त नहीं देखना चाहती हैं बल्कि इस मुद्दे पर परेशान देखना चाहती हैं। नेताओं को पर्यावरण को बचाने के लिए ऐसे घोड़े की तरह व्यवहार करना चाहिए जो आग में घिरा हो और बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा हो। टाइम मैगजीन ने वर्ष 2018 की सबसे प्रभावशाली किशोरी के तौर पर शामिल किया था।
पूरी दुनिया के लिए पहचान बनी ग्रेटा को नॉर्वे के तीन सांसदों ने नोबेल पुरस्कार के लिए नामित भी किया है। जहां तक ग्रेटा की बात है तो आपको बता दें कि उन्हें पिछले वर्ष नवंबर 2018 में इस मुद्दे पर TEDxStockholm में बतौर वक्ता बुलाया गया था। इसके अलवा दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र की क्लाइमेट चेंज कांफ्रेंस में भी बुलाया गया था। इतना ही नहीं जनवरी 2019 में दावोस में हुई वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में भी उसे बुलाया गया था। इस दौरान उन्होने उनके भाषण से सभी नेता काफी हैरान थे। दरअसल, उन्होंने कहा था कि वह उन्हें आश्वस्त नहीं देखना चाहती हैं बल्कि इस मुद्दे पर परेशान देखना चाहती हैं। नेताओं को पर्यावरण को बचाने के लिए ऐसे घोड़े की तरह व्यवहार करना चाहिए जो आग में घिरा हो और बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा हो। टाइम मैगजीन ने वर्ष 2018 की सबसे प्रभावशाली किशोरी के तौर पर शामिल किया था।
#FridaysForFuture
थनबर्ग का कहना है कि लोगों को इस स्कूली हड़ताल से काफी उम्मीदे हैं। उनका यह भी कहना है कि वो और उनके साथ में आए बच्चे अब ऐसा करने के लिए युवा हो चुके हैं। इसके बावजूद सत्ता में बैठे लोगों को इसके लिए काफी कुछ करना चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए उन्होंने #FridaysForFuture और #SchoolsStrike4Climate नाम से मुहिम शुरू की है। उन्होंने पिछले वर्ष इस मुहिम की शुरुआत की थी। इसके लिए वह स्वीडिश पार्लियामेंट तक साइकिल पर गईं और वहां पर हाथ से बना साइनबोर्ड लेकर बैठी रही थीं। इस पर लिखा था ‘जलवायु के लिए स्कूली हड़ताल'। उनके इस संदेश को भी काफी पसंद किया गया, जिसमें बताया गया था कि युवाओं को स्कूल जाने की जरूरत होती है, लेकिन जब तक मनुष्य जलवायु परिवर्तन के पहले से ही विनाशकारी प्रभावों को सक्रिय रूप से नहीं बदलते, शिक्षा कोई काम नहीं कर सकती। अब ये दुनियाभर के नेताओं पर निर्भर है कि वह बदलाव के लिए कुछ करें, ताकि उनकी पीढ़ी को विरासत में मिले। ग्रेटा का कहना है कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सिर्फ रैलियां करने भर से कुछ नहीं होने वाला है।
थनबर्ग का कहना है कि लोगों को इस स्कूली हड़ताल से काफी उम्मीदे हैं। उनका यह भी कहना है कि वो और उनके साथ में आए बच्चे अब ऐसा करने के लिए युवा हो चुके हैं। इसके बावजूद सत्ता में बैठे लोगों को इसके लिए काफी कुछ करना चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए उन्होंने #FridaysForFuture और #SchoolsStrike4Climate नाम से मुहिम शुरू की है। उन्होंने पिछले वर्ष इस मुहिम की शुरुआत की थी। इसके लिए वह स्वीडिश पार्लियामेंट तक साइकिल पर गईं और वहां पर हाथ से बना साइनबोर्ड लेकर बैठी रही थीं। इस पर लिखा था ‘जलवायु के लिए स्कूली हड़ताल'। उनके इस संदेश को भी काफी पसंद किया गया, जिसमें बताया गया था कि युवाओं को स्कूल जाने की जरूरत होती है, लेकिन जब तक मनुष्य जलवायु परिवर्तन के पहले से ही विनाशकारी प्रभावों को सक्रिय रूप से नहीं बदलते, शिक्षा कोई काम नहीं कर सकती। अब ये दुनियाभर के नेताओं पर निर्भर है कि वह बदलाव के लिए कुछ करें, ताकि उनकी पीढ़ी को विरासत में मिले। ग्रेटा का कहना है कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सिर्फ रैलियां करने भर से कुछ नहीं होने वाला है।
इसलिए बेहद खास है मुहिम
पर्यावरण को बचाने के लिए चलाई जा रही उनकी यह मुहिम इस लिहाज से भी बेहद खास है क्योंकि हाल ही में वैज्ञानिकों ने चेताया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण न केवल विश्व का औसत तापमान बढ़ा है, बल्कि गर्मी के मौसम में चलने वाली लू की तपन में भी बहुत बढ़ोतरी हुई है। यह गर्मी न सिर्फ लोगों के लिए बल्कि वन्यजीवों के लिए भी जानलेवा साबित हो रही है। शोधकर्ताओं की मानें तो बढ़ते तापमान के चलते लू से जितनी मौतें 2003 में यूरोप में हुई थीं 21वीं सदी के अंत तक जब तापमान पहले से चार गुणा अधिक हो जाएगा तो इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा भी काफी बढ़ जाएगा। मसूद नहीं पाकिस्तान को लगाना होगा ठिकाने, इसके लिए करनी होंगी ये खास कोशिशें
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पर्यावरण को बचाने के लिए चलाई जा रही उनकी यह मुहिम इस लिहाज से भी बेहद खास है क्योंकि हाल ही में वैज्ञानिकों ने चेताया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण न केवल विश्व का औसत तापमान बढ़ा है, बल्कि गर्मी के मौसम में चलने वाली लू की तपन में भी बहुत बढ़ोतरी हुई है। यह गर्मी न सिर्फ लोगों के लिए बल्कि वन्यजीवों के लिए भी जानलेवा साबित हो रही है। शोधकर्ताओं की मानें तो बढ़ते तापमान के चलते लू से जितनी मौतें 2003 में यूरोप में हुई थीं 21वीं सदी के अंत तक जब तापमान पहले से चार गुणा अधिक हो जाएगा तो इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा भी काफी बढ़ जाएगा। मसूद नहीं पाकिस्तान को लगाना होगा ठिकाने, इसके लिए करनी होंगी ये खास कोशिशें
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