तालिबान ने हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की प्रतिमा तोड़ी, 1995 में की थी हत्या
मजारी एक हजारा नेता थे जिसे 1995 में तालिबान ने मार डाला था। तालिबान वर्षों से हजारा पर बार-बार हमला करता रहा है। हजारा एक जातीय समूह है जो मुख्य रूप से अफगानिस्तान के पहाड़ी मध्य क्षेत्र में केंद्रित है जिसे हजराजत के नाम से जाना जाता है।
By Manish PandeyEdited By: Updated: Wed, 18 Aug 2021 11:14 AM (IST)
काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान अपने आप को बदला हुआ दिखाने की कोशिश में है। महिलाओं को सम्मान और लोगों को सुरक्षा देने का वादा कर रहा है, लेकिन दूसरी तरफ उसका असली चेहरा भी सामने आ रहा है। तालिबान ने बामियान में मारे गए हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की प्रतिमा को उड़ा दिया। तालिबान ने अपनी पिछली हुकूमत के दौरान हजारा नेता की हत्या कर दी थी।
एक मानव अधिकार कार्यकर्ता सलीम जावेद ने ट्वीट किया, 'तालिबान ने बामियान में मारे गए हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की प्रतिमा को उड़ा दिया है। पिछली बार उन्होंने हजारा नेता को मार डाला था और बुद्ध की विशाल मूर्तियों समेत सभी ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थलों को उड़ा दिया था।मजारी एक हजारा नेता थे, जिसे 1995 में तालिबान ने मार डाला था। तालिबान वर्षों से हजारा पर बार-बार हमला करता रहा है। हजारा एक जातीय समूह है, जो मुख्य रूप से अफगानिस्तान के पहाड़ी मध्य क्षेत्र में केंद्रित है, जिसे हजराजत के नाम से जाना जाता है। हजरों को मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज खान और 13 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में रहने वाले मंगोल सैनिकों का वंशज भी कहा जाता है। हजारा के एक समूह ने इस बात की भी पुष्टि की है कि देश की महिला जिला गवर्नरों में से एक सलीमा मजारी को तालिबान ने अपनी हिरासत में ले लिया है। वह चहरकिंट, बल्ख की हजारा जिला राज्यपाल हैं।
इससे पहले मंगलवार को तालिबान ने सभी अफगान सरकारी अधिकारियों को माफी देने की घोषणा की और उनसे काम पर लौटने का आग्रह किया। उसने महिलाओं को सरकार में शामिल होने का न्योता दिया है। उन्हें इस्लामिक कानून के तहत अधिकार देने के साथ ही काम करने और पढ़ने की अनुमति देने का भरोसा दिलाया है।लेकिन, लोगों को अभी भी 20 साल पहले का अति रूढ़िवादी इस्लामी शासन याद है। उस दौर में लोगों की जिंदगी खास तौर पर महिलाओं की जिंदगी नर्क बन गई थी। लोगों को खुलेआम सजा-ए-मौत तक दी जाती थी। हालांकि, इस बार तालिबान ने 20 साल पहले और अब की हुकूमत में बहुत ज्यादा अंतर होने का दावा किया है।