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तालिबान ने टीटीपी के मौलवी फकीर मोहम्मद समेत अन्य आतंकवादियों को अफगान जेलों से किया रिहा

तालिबान द्वारा देश पर नियंत्रण करने के बाद उसने टीटीपी आतंकवादी समूह से संबंधित कई आतंकवादियों को अफगानिस्तान की जेलों से रिहा कर दिया गया है। सामा न्यूज के मुताबिक सबसे अधिक पहचाने जाने वाले नामों में से एक मौलाना फकीर मोहम्मद हैं।

By Avinash RaiEdited By: Updated: Thu, 19 Aug 2021 12:05 PM (IST)
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तालिबान ने टीटीपी के मौलवी फकीर मोहम्मद समेत अन्य आतंकवादियों को अफगान जेलों से किया रिहा
काबुल, एएनआइ। तालिबान के हाथों में अफगानिस्तान का इतिहास अब अपने विशान के दौर में हैं। एक तरफ तालिबान आश्वासन देता है कि अफगानिस्तान किसी भी देश के लिए खतरा पैदा नहीं करेगा, तो वहीं दूसरी तरफ वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आतंकवादी समूह के आतंकवादियों को जेल से रिहा कर रहा है। तालिबान के मंसूबे अब धीरे-धीरे साफ होते दिख रहे हैं।

तालिबान द्वारा देश पर नियंत्रण करने के बाद उसने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आतंकवादी समूह से संबंधित कई आतंकवादियों को अफगानिस्तान की जेलों से रिहा कर दिया गया है। सामा न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक पहचाने जाने वाले नामों में से एक मौलाना फकीर मोहम्मद हैं जो टीटीपी का पूर्व उप प्रमुख हैं। मौलाना फकीर ने अल कायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरो से अपने करीबी संबंधों को स्वीकार किया था।

तालिबान द्वारा रिहा किए टीटीपी के कमांडर और नेता

तालिबान द्वारा रिहा किए गए कई प्रमुख तालिबान कमांडरों में वकास महसूद, हमजा महसूद, जरकावी महसूद, जैतुल्ला महसूद, कारी हमीदुल्ला महसूद, हमीद महसूद और मजहर महसूद शामिल हैं।

एक पत्रकार के हवाले से समाए न्यूज ने बताया कि देश के वजीरिस्तान, सरगोधा, स्वात और बाजौर की जेलों से तालिबान ने लगभग 2,300 प्रमुख तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान कमांडरों और नेताओं को रिहा कर चुका है। टोलो न्यूज ने बताया कि, तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य अनस हक्कानी ने बुधवार को काबुल में पूर्व अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला के साथ बैठक की।

अफगानिस्तान में तालिबान के पांच साल का शासन

तालिबान ने अफगानिस्तान पर पांच साल 1996 से 2001 तक शासन किया था। अपने शासन के दौरान तालिबान ने उन पांच वर्षों में देश में शरिया इस्लामी कानून लागू किया, कानून की उनकी सख्त व्याख्या के अनुरूप दंड की शुरुआत की। सार्वजनिक रूप से दोषी हत्यारों और व्यभिचारियों को फांसी देना और चोरी के दोषी पाए जाने पर लोगों के विच्छेदन को अंजाम देना। उन पांच सालों में पुरुषों को दाढ़ी बढ़ानी पड़ती थी, वह अपनी दाढ़ी को कटवा नहीं सकते थे और महिलाओं को पूरी तरह से ढका हुआ हिजाब पहनना पड़ता था।