अब अफगानिस्तान की तालिबान सरकार भी अगले 3 महीनों के भीतर TikTok और Pubg पर लगाएगी बैन
तालिबान ने सुरक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधियों और शरिया कानून प्रवर्तन प्रशासन के एक प्रतिनिधि के साथ बैठक में इन ऐप्स के प्रतिबंध की घोषणा की है। इसी बैठक में अफगानिस्तान में टिकटॉक और पबजी दोनों पर 90 दिनों के भीतर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया है।
By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Mon, 19 Sep 2022 08:10 AM (IST)
काबुल, एजेंसी। टिकटॉक (TikTok) और पबजी (Pubg) ऐप कई देशों में प्रतिबंधित हैं। कई देशों में बैन होने के बाद अब अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने भी इन दोनों ऐप पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। तालिबान के नेतृत्व वाले दूरसंचार विभाग की एक घोषणा का हवाला देते हुए मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि तालिबान अगले 3 महीनों के भीतर अफगानिस्तान में टिकटॉक और पबजी ऐप पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तालिबान ने सुरक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधियों और शरिया कानून प्रवर्तन प्रशासन के एक प्रतिनिधि के साथ बैठक में इन ऐप्स के प्रतिबंध की घोषणा की है। इसी बैठक में अफगानिस्तान में टिकटॉक और पबजी दोनों पर 90 दिनों के भीतर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया है। यह जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई ने दी है।इसके साथ ही अफगानिस्तान के दूरसंचार और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने इस प्रतिबंध के संबंध में जानकारी साझा की है और निर्धारित समय के भीतर दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा है।
तालिबान सरकार में अफगानिस्तान में बढ़ा है मानवीय संकट
बता दें कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान के नेतृत्व में एक अंतरिम अफगान सरकार पिछले साल 15 अगस्त को सत्ता में आई थी। अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण से इस देश को आर्थिक संकट और भोजन की कमी से जूझना पड़ा रहा है। अफगानिस्तान में मानवीय संकट भी काफी बढ़ गया है। तालिबान में मानवाधिकारों के व्यापक उल्लंघन, महिलाओं और लड़कियों को उनकी स्वतंत्रता से वंचित करने के डर से हजारों अफगानी नागरिक देश छोड़कर भाग गए हैं।तालिबान के सत्ता में आने के बाद से 45 प्रतिशत से ज्यादा पत्रकारों ने दिया इस्तीफागौरतलब है कि तालिबान ने पिछले साल अगस्त के मध्य में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से 45 प्रतिशत से ज्यादा पत्रकारों ने इस्तीफा दे दिया है। अफगानिस्तान में मीडिया के खिलाफ लगातार बढ़ते प्रतिबंधों ने संयुक्त राष्ट्र (UN) और कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) के साथ वैश्विक स्तर पर व्यापक आलोचना की है। इसके साथ ही मांग की गई कि वह स्थानीय पत्रकारों को परेशान करना बंद करे और बोलने की स्वतंत्रता को जारी रखे।