तालिबान ने अफगानी लोगों की स्वतंत्रता पर किया प्रहार, मानवाधिकार का हो रहा पतन- UN रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार (UN Human Rights) प्रमुख ने कहा है कि अफगानिस्तान में अपनी वापसी करने के बाद से तालिबानियों ने अफगानी लोगों की स्वतंत्रता पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में मानवाधिकार पतन की स्थिति में पहुंच गया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से इस स्थिति से निपटने में मदद करने का आग्रह किया है।
इस्लामाबाद, एपी। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने मंगलवार को कहा कि तालिबान ने अफगानिस्तान के लोगों की स्वतंत्रता पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि तालिबानी शासन में महिलाओं और लड़कियों को बेहद क्रूर उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
पतन की स्थिति में मानवाधिकार
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने कहा कि तालिबान के सत्ता में लौटने के दो साल से अधिक समय बाद अफगानिस्तान में मानवाधिकार पतन की स्थिति में पहुंच गया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से इस स्थिति से निपटने में मदद करने का आग्रह किया है।
क्रूरता का स्तर चौंकाने वाला
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की एक बैठक के दौरान तुर्क ने कहा, "अफगान महिलाओं और लड़कियों पर उत्पीड़न का क्रूर स्तर बेहद चौंकाने वाला है।" उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान ने दुनिया में एक विनाशकारी मिसाल कायम की है। यहां पर महिलाओं और लड़कियों को माध्यमिक और उच्च शिक्षा तक पहुंच से वंचित किया जा चुका है।"
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15 अगस्त, 2021 को फिर हुआ तालिबानी शासन
दरअसल, 15 अगस्त, 2021 को तालिबान ने अफगानिस्तान पर एक बार फिर अपना नियंत्रण जमा लिया था। दो दशक अधिक समय के युद्ध के बाद अमेरिका और नाटो सेना अफगानिस्तान से वापस चली गई।
तालिबानियों ने 1996 से 2001 तक अपने शासन के दौरान की तुलना में अधिक उदारवादी दृष्टिकोण अपनाने का वादा किया था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इस्लामी कानून या शरिया को अपनाकर उसे यहां लागू कर दिया।
लड़कियां और महिलाएं हो रही उत्पीड़ित
तुर्क द्वारा मानवाधिकार परिषद को प्रस्तुत की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, लड़कियों और महिलाओं को छठी कक्षा से आगे की शिक्षा, अलग-अलग तरह के रोजगार और कई सार्वजनिक स्थानों पर पाबंदी लगा दी। इतना ही नहीं, महिलाओं और लड़कियों को हिजाब न पहनने पर तालिबान ने चौकियों पर परेशान किया या उन्हें पीटा है। उन्होंने महिलाओं को बाजारों से खरीदारी के लिए बिना किसी पुरुष या अभिभावक के निकलने से मना किया था।
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अन्य देशों को हस्तक्षेप करने से किया मना
रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला वकीलों और न्यायाधीशों को काम करने से मना कर दिया गया है, जिसके कारण उनकी कानूनी प्रतिनिधित्व और न्याय तक पहुंचने की क्षमता कम हो गई है।
तालिबान के फरमानों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश पैदा कर दिया है और सर्वोच्च नेता हिबतुल्ला अखुंदजादा समेत अधिकारियों ने अन्य देशों से अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करने को कहा है।