पंजशीर घाटी में तालिबान को करना पड़ेगा विरोध का सामना, अहमद मसूद ने अमेरिका से मांगे हथियार
काबुल के उत्तर में पंजशीर घाटी को अभी भी तालिबान नहीं जीत सका है। इस क्षेत्र को सोवियत संघ नहीं जीत सका था। जब तालिबान ने 1996-2001 में अफगानिस्तान पर शासन किया था तब भी यह क्षेत्र तालिबान के खिलाफ था।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Thu, 19 Aug 2021 06:34 PM (IST)
काबुल, राइटर्स। अफगानिस्तान में संघर्ष कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में तालिबान से लोहा लेने के लिए उसके विरोधी इकट्ठा होने लगे हैं। 1980 के दशक में अफगानिस्तान के सोवियत विरोधी प्रतिरोध के मुख्य नेताओं में से एक अहमद शाह मसूद के बेटे ने पंजशीर घाटी में अपने गढ़ से तालिबान के खिलाफ पकड़ बनाने का संकल्प लिया है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि नार्दन एलाएंस तालिबान के खिलाफ लड़ाई शुरू कर सकता है। पंजशीर घाटी में तालिबान को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि अफगान आर्मी के काफी संख्या में जवान भी पंजशीर घाटी पहुंचे हैं।
पंजशीर घाटी में जमा हैं तालिबान विरोधी वाशिंगटन पोस्ट के संपादकीय में पूर्व मुजाहिदीन कमांडर के 32 वर्षीय बेटे अहमद मसूद ने कहा, अफगान सेना के कुछ विशिष्ट विशेष बल इकाइयों सहित कुछ ने उसके कारण रैली की। मसूद ने तालिबान के खिलाफ पश्चिम से मदद की अपील की। उसने कहा है कि हमारे पास गोला-बारूद और हथियारों के भंडार हैं, जो मेरे पिता के समय से धैर्यपूर्वक एकत्र किया गया, क्योंकि हम जानते थे कि यह दिन कभी भी आ सकता है। उन्होंने संपादकीय में कहा कि उनके साथ शामिल होने वाले कुछ बल अपने हथियार लाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर तालिबान के सरदार हमला करते हैं, तो उन्हें निश्चित रूप से हमारे कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा।
अमरुल्ला सालेह ने पंजशीर घाटी में ली शरण
अहमद शाह मसूद के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक अमरुल्ला सालेह हैं जो अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति थे। उन्होंने पंजशीर घाटी में शरण ली हुई है। उन्होंने दावा कि अशरफ गनी के काबुल से भागने के बाद वह अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं क्योंकि तालिबान ने रविवार को काबुल पर कब्जा कर लिया था।
पंजशीर घाटी को नहीं जीत सके सोवियत संघ और तालिबान काबुल के उत्तर में पंजशीर घाटी को अभी भी तालिबान नहीं जीत सका है। यहां तक कि सोवियत सघ के समय भी यहां पर बख्तरबंद वाहनों को असफल लड़ाइयों में नष्ट कर दिया गया था। इस क्षेत्र को सोवियत संघ नहीं जीत सका था। जब तालिबान ने 1996-2001 में अफगानिस्तान पर शासन किया था, तब भी यह क्षेत्र तालिबान के खिलाफ था। 11 सितंबर, 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर अल कायदा के उग्रवादियों द्वारा किए गए हमलों से कुछ दिन पहले अहमद शाह मसूद को मार दिया गया था।
पंजशीर घाटी का अफगानिस्तान और दुनिया भर में बड़ा नाम मसूद ने तालिबान शासन के दौरान इस अफगान अभयारण्य का आनंद लिया था और उसका नाम अफगानिस्तान और दुनिया भर में भारी वजन रखता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या पंजशीर घाटी में उनकी सेना तालिबान के किसी भी हमले को पीछे हटाने में सक्षम होगी। तालिबान ने अब तक संकरी घाटी में प्रवेश करने की कोशिश नहीं की है। ऐसे में क्या मसूद की घोषणा वार्ता की दिशा में एक प्रारंभिक कदम है?
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से समर्थन और सैन्य मदद की अपीलउन्होंने कहा कि उनकी सेना पश्चिम की मदद के बिना नहीं रुक पाएगी। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से समर्थन और सैन्य मदद की अपील की। उन्होंने कहा कि तालिबान अकेले अफगान लोगों के लिए कोई समस्या नहीं है। अफगानिस्तान तालिबान के नियंत्रण में निस्संदेह कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद का आधार बन जाएगा। यहां एक बार फिर लोकतंत्र के खिलाफ साजिश रची जाएगी।