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तालिबान के बदले सुर, अफगानिस्तान में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगी कक्षा 1 से 6 तक की लड़कियां

Women in Afghanistan अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा को लेकर तालिबान के सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं। तालिबान के शिक्षा मंत्रालय ने एक पत्र जारी कर अधिकारियों से छठी कक्षा से नीचे की लड़कियों के लिए स्कूल और शैक्षणिक केंद्र खोलने को कहा है।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Tue, 10 Jan 2023 09:01 AM (IST)
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Taliban will now allow girls studies in schools
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Afghanistan Girls Education: तालिबान (Taliban) का शिक्षा मंत्रालय अब छठी कक्षा और उससे नीचे की लड़कियों को स्कूलों में अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति देगा। तालिबान के शिक्षा मंत्रालय ने एक पत्र जारी कर अधिकारियों से छठी कक्षा से नीचे की लड़कियों के लिए स्कूल और शैक्षणिक केंद्र खोलने को कहा है। ये कदम अफगानिस्तान (Afghanistan) में शासन कर रही तालिबान सरकार की तरफ से महिलाओं की शिक्षा पर नकेल कसने के हफ्तों बाद आया है।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने की निंदा

तालिबान सरकार ने अफगान विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। लड़कियों के हायर सेकेंडरी में प्रवेश पर पहले से ही रोक लगी हुई है। उच्च शिक्षा मंत्रालय ने अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए विश्वविद्यालय शिक्षा पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था जिसकी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और मुस्लिम देशों ने निंदा की है।

किया था ये वादा

तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के पहले दावा किया था कि वो बदल चुका है। तालिबानी प्रवक्ताओं ने दुनिया को भरोसा दिया था कि उनकी नई सरकार में महिलाओं को पूरी आजादी दी जाएगी। इतना ही नहीं, उन्हें नौकरी करने और अकेले यात्रा करने की भी अनुमति होगी। लेकिन, तालिबान ने सरकार गठन के बाद से ही एक के बाद एक पाबंदिया लागू करनी शुरू कर दी। सबसे पहले लड़कियों के हायर सेकेंडरी में एडमिशन पर प्रतिबंध लगाया गया। इसके बाद महिलाओं के अकेले यात्रा करने पर पाबंदी लगाई गई। सार्वजनिक स्थानों पर बिना बुर्का पहने निकलने पर रोक लगा दी गई। महिलाओं को पार्कों और जिम में जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई और उन्हें बिना पुरुष रिश्तेदार के यात्रा करने से भी रोक दिया गया।

दुनिया के देशों से आई आवाज

ह्यूमन राइट्स वॉच ने तालिबान के इस कदम को "शर्मनाक फैसला" बताते हुए यहां तक कहा था कि तालिबान "अफगानों के मौलिक अधिकारों" का सम्मान नहीं करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य देशों ने कहा था कि तालिबान को महिलाओं की शिक्षा पर नीतियों में बदलाव की आवश्यकता है। G7 समूह के विदेश मंत्रियों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने तालिबान से प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया था। उन्होंने इस तरह की नीतियों को मानवता के खिलाफ बताया था। मंत्रियों की तरफ से यहां तक कहा गया था कि तालिबान नीतियों के परिणाम देखने को मिलेंगे।

मुस्लिम देशों ने जताई निराशा

तुर्किये, कतर और पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देशों ने विश्वविद्यालय प्रतिबंध पर अपनी निराशा व्यक्त की थी और अधिकारियों से अपने फैसले को वापस लेने या उस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। कतर ने "अफगान सरकार" से महिलाओं की शिक्षा पर इस्लाम की शिक्षाओं के अनुरूप प्रतिबंध की समीक्षा करने का आह्वान किया था।

'बंद होनी चाहिए विदेशियों की दखल'

हालांकि, तालिबान सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री निदा मोहम्मद नदीम ने कहा था कि महिलाओं के विश्वविद्यालय में प्रवेश का फैसला उनके सरकार की उच्चस्तरीय कमेटी ने किया है। उन्होंने यहां तक दावा किया कि लड़कियों और महिलाओं का पढ़ाई करना इस्लाम और अफगान मूल्यों के खिलाफ है। उनका मानना ​​है कि कुछ विषयों को पढ़ाया जाना इस्लाम के सिद्धांतों का उल्लंघन है। नदीम ने कहा कि विदेशियों को अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद करना चाहिए।

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