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THAAD vs S-400: जानिए S-400 की किन खूबियों के कारण भारत ने थाड के मुकाबले इसे दी तरजीह

रूसी मिसाइल S-400 भारत की पसंद बना हुआ है और भारत ने इसे खरीदने का फैसला किया है जिसके बाद भारत के फैसले से अमेरिका नाराज दिखाई दे रहा है। आइए जानते हैं कि थाड और S-400 की क्या खूबियां हैं और भारत ने S-400 को क्यों पसंद किया है।

By Versha SinghEdited By: Updated: Fri, 05 Aug 2022 07:45 PM (IST)
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जानिए S-400 और THAAD की खूबियां, भारत ने क्यों किया S-400 को पंसद
दिल्ली, एजेंसी: एक बार फिर रूसी मिसाइल सिस्‍टम S-400 की आपूर्ति को लेकर भारत और अमेरिका के संबंधों की चर्चा जोरों पर हो रही है। रूस-यूक्रेन के बीच भारत और अमेरिका के संबधों में भी थोड़ा खिंचाव देखा जा रहा है। ऐसे में S-400 मिसाइल (S-400 missile) को लेकर दोनों देशों के संबंधों में दरार का अंदेशा लगाया जा रहा है। गौरतलब है कि अमेरिका, भारत-रूस के इस रक्षा डील से शुरुआत से ही नाराज रहा है।

ऐसे में यह मामला अब और भी ज्यादा गरम होता जा रहा है। हालांकि, अमेरिकी संसद (US Parliament) में भारत समर्थक एक लाबी इस रक्षा डील का समर्थन कर रही है। दरअसल, अमेरिका अपनी थाड (THAAD) मिसाइल की डील भारत से करना चाहता था, लेकिन भारत ने रूसी मिसाइल S-400 डिफेंस मिसाइल सिस्‍टम (S-400 Defense Missile System) को ज्‍यादा उपयुक्त माना। इसको लेकर भी अमेरिका की बड़ी नाराजगी है।

आइए इस कड़ी में हम जानते हैं कि अमेरिकी थाड (Terminal High Altitude Area Defense) और रूसी S-400 की तुलना में किसमें कितना दम है और भारत ने S-400 को प्राथमिकता क्यों दी है।

S-400 की खूबियां

यह एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम (air defense missile system) है, जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट को आसमान से गिरा सकता है। S-400 को रूस का सबसे एडवांस लान्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम (surface-to-air missile defense system) माना जाता है।

यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बैलिस्टिक मिसाइलों (Ballistic Missiles) को मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है। इस मिसाइल सिस्टम को अल्माज-आंते ने तैयार किया है, जो रूस में 2007 के बाद से ही सेवा में हैं। यह एक ही राउंड में 36 हमले करने में सक्षम है।

S-400 का जलवा यह है कि इसके रडार 100 से 300 टारगेट ट्रैक कर सकते हैं। ये 600 किमी तक की रेंज में ट्रैकिंग कर सकता है। इसमें लगी मिसाइलें 30 किमी ऊंचाई और 400 किमी की दूरी में किसी भी टारगेट को भेद सकती हैं। इससे ज़मीनी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है।

वहीं इसकी सबसे अच्छी चीज़ यह कि एक ही समय में यह 400 किमी तक 36 टारगेट को एक साथ मार सकती है। इसमें 12 लान्चर होते हैं, यह तीन मिसाइल एक साथ दाग सकता है और इसे तैनात करने में सिर्फ पांच मिनट लगते हैं।

यह इस बात की जिम्मेदारी भी ले सकता है कि दुश्मन की मिसाइल को कौन से फेज में गिराना है, जैसे- लान्चिंग के तुरंत बाद, कुछ दूरी पर या करीब आने पर। अगर बूस्ट फेज यानी शुरुआत के समय ही मिसाइल ध्वस्त कर दी गई, तो उसके मलबे-राख से भी इसे कोई नुकसान नहीं होगा। इसमें चार तरह की मिसाइलें होती हैं। एक मिसाइल 400 किमी की रेंज वाली होती है, दूसरी 250 किमी, तीसरी 120 और चौथी 40 किमी की रेंज वाली होती है।

रूस ने अपने S-400 और S-300 मिसाइल सिस्टम को और घातक बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस सिस्टम में रूस नई तरह की कई मिसाइलों को शामिल करने जा रहा है जो दुश्मन के किसी भी मिसाइल को मार गिराने में सक्षम होगी।

रूस का यह हथियार अपनी कैटेगरी में दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने S- 300 और S- 400s के स्टाक को लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाने और अत्यधिक सटीक शार्ट-रेंज डिफेंस प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार की मिसाइलों से लैस करने की योजना को मंजूरी दी है।

S-400 मिसाइल भारतीय सेना में शामिल होने के बाद किसी भी देश की सीमाओं की सुरक्षा अधिक और हमले का खतरा कम हो जाता है। यह सिस्टम किसी भी संभावित हवाई हमले का पता पहले ही लगा लेता है। S-400 मिसाइल सिस्टम अत्याधुनिक रडारों से लैस (equipped with state-of-the-art radars) है। सैटेलाइट से कनेक्ट रहने की वजह से जरूरी सिग्नल और जानकारियां तुरंत मिलती हैं।

S- 400 सिस्टम में टारगेट की दूरी, उसकी स्‍पीड समेत सभी जरूरी सूचनाएं शामिल होती हैं। इसके बाद कमांड कंट्रोल की तरफ से मिसाइल लान्च का आदेश दिया जाता है। इसे अमेरिका के थाड (टर्मिनल हाई एल्टिट्यूड एरिया डिफेंस) सिस्टम से बेहतर माना जाता है।

यह मिसाइल सिस्टम एक साथ 36 लक्ष्यों पर निशाना लगा सकता है। इसे पांच मिनट के अंदर तैनात किया जा सकता है। इसकी कुछ बड़ी खासियतों में से एक इसको आसानी से ले जाना भी शामिल है।

इसमें चार अलग-अलग रेंज में अचूक निशाना साधने वाली मिसाइल है। इनमें 40N6E और 48N6 मिसाइल करीब 400 और 250 किमी की दूरी में निशाना लगा सकती है, जबकि 9M96E2 और 9M96E मिसाइल 120 और 40 किमी के दायरे में दुश्मन को ढेर कर सकती है।

अमेरिका का थाड मिसाइल सिस्टम

अमेरिका के थाड, जिसका पूरा नाम (Terminal High Altitude Area Defense) है, इस मिसाइल सिस्टम की तुलना रूसी S-400 से की जाती है। थाड मिसाइल सिस्‍टम (THAAD Missile System) को एंटी बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है।

इस सिस्टम को लाकहीड मार्टिन ने 1987 में विकसित किया था। 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान इराक के स्कड मिसाइल (scud missile) हमलों से सबक लेते हुए इस सिस्टम को बनाया गया था। इस सिस्टम में शामिल मिसाइलों में सिंगल स्टेज राकेट इंजन (single stage rocket engine) का इस्तेमाल किया जाता है। इसके उलट S-400 डिफेंस सिस्टम में मल्टीलेयर मिसाइलें (multilayer missile) शामिल होती हैं।

थाड मिसाइल सिस्टम की खूबियां

यूक्रेन ने अमेरिका से खार्कोव के पास थाड एंटी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम (THAAD Anti Ballistic Missile Defense System) को तैनात करने का अनुरोध किया है। थाड का AN/TPY-2 रडार रूसी हवाई क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर नजर रखने में सक्षम है। यह रडार यूक्रेन, नाटो और अमेरिका को रूस के 1000 किलोमीटर तक हवाई हलचल की जानकारी देने में सक्षम होगा।

यह सिस्टम बैलिस्टिक मिसाइलों को उनकी उड़ान के शुरुआती दौर में ही मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम हिट टू किल (Hit to kill) तकनीक पर काम करता है, मतलब यह मिसाइलों को रोकने और भटकाने की जगह उन्हें खत्म कर देता है। दावा किया जाता है कि थाड (THAAD) सिस्टम 200 किलोमीटर की दूरी और 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है। इसकी मिसाइलों की रफ्तार 10,000 किलोमीटर प्रति घंटे होती है।

अमेरिकी थाड मिसाइल डिफेंस सिस्टम के प्रत्येक यूनिट की अनुमानित कीमत लगभग तीन बिलियन डॉलर है। सऊदी अरब ने नवंबर में 44 थाड लॉन्चर और मिसाइल खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इसकी प्रत्येक बैटरी 6 लॉन्चर्स के साथ आती है। जिसकी कीमत 15 बिलियन डॉलर है।

भारत के लिए एस-400 इसलिए है महत्वपूर्ण 

'S-400' वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली सुरक्षा की दृष्टि से भारत के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है। भारत के लिए 'S-400' की तैनाती का मतलब है कि जब पाकिस्तानी विमान अपने हवाई क्षेत्र में उड़ रहे होंगे तब भी उन्हें ट्रैक किया जा सकेगा। 

इसके अलावा युद्ध की स्थिति में इस मिसाइल प्रणाली को सिर्फ पांच मिनट में सक्रिय किया जा सकता है। इसे भारतीय वायुसेना द्वारा संचालित किया जाएगा और इससे देश के हवाई क्षेत्र में सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सकेगा।