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न्यूजीलैंड में मिली दुनिया की सबसे दुर्लभ व्हेल, आजतक किसी ने भी जिंदा नहीं देखा; दांतों के आधार पर रखा गया है नाम

न्यूजीलैंड के समुद्र तट पर वैज्ञानिकों को मरी हुई व्हेल मिली है। दरअसल इस व्हेल मछली की गहराई इतनी ज्यादा है कि इसे कभी भी लोगों ने जिंदा नहीं देखा है। इसकी चोंच पांच मीटर लंबी है। व्हेल के शरीर को कोल्ड स्टोरेज में रखा गया है ताकि इसकी और जांच की जा सके अब तक सिर्फ इसके छह नमूने मिले हैं।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Wed, 17 Jul 2024 11:52 AM (IST)
न्यूजीलैंड में मिली दुनिया की सबसे दुर्लभ व्हेल, आजतक किसी ने भी जिंदा नहीं देखा; दांतों के आधार पर रखा गया है नाम
न्यूजीलैंड के समुद्र तट पर मिली व्हेल (फाइल फोटो)

एजेंसी, नई दिल्ली। न्यूजीलैंड के समुद्र तट पर एक दुर्लभ व्हेल मछली का शव मिला है। वैज्ञानिकों ने इस दुर्लभ व्हेल मछली की जांच की है और बताया कि यह कुदाल-दांतेदार व्हेल है, जिसकी चोंच पांच मीटर लंबी है। इस व्हेल का शव 4 जुलाई को दक्षिणी ओटागो प्रांत में एक नदी के मुहाने के पास से मिला था।

वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के मुताबिक, इस व्हेल का नाम उसके दांतों के नाम पर रखा गया है, यह कुदाल के आकार से मिलती व्हेल है। वैज्ञानिकों ने बताया इस व्हेल की ठीक से पुष्टि करने के लिए डीएनए जांच शुरू की गई है। इस व्हेल मछली की गहराई इतनी ज्यादा है कि इसे कभी भी लोगों ने जिंदा नहीं देखा है।

छह नमूने डॉक्यूमेंट किए गए

संरक्षण विभाग के तटीय ओटागो संचालन प्रबंधक, गेबे डेविस ने व्हेल मामले में आगे जानकारी दी है। उन्होंने एक बयान में कहा है कि 1800 के दशक के बाद से, दुनिया भर में केवल छह नमूने डॉक्यूमेंट किए गए हैं और इनमें से एक को छोड़कर सभी न्यूजीलैंड से थे।

क्या खाती है व्हेल ?

न्यूजीलैंड के संरक्षण विभाग (DOC) के तकनीकी सलाहकार का कहना है,'यह व्हेल प्रजाति बेहद दुर्लभ है। इसलिए यह अवसर हमें इस बारे में अधिक जानकारी जानने की इजाजत दे सकता है कि जानवर कैसे और कहां रहता था और क्या खाता था?' एक्सपर्ट्स ने समुद्र तट पर मिलने वाले इस शव का पूरी तरह से निरीक्षण किया, जिसके बाद वैज्ञानिकों का मानना था कि यह शव नर कुदाल-दांतेदार व्हेल का था। हालांकि अभी पूरी तरह से निरीक्षण होना बाकी है।

कोल्ड स्टोरेज में रखी गई व्हेल

गेबे डेविस ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि व्हेल के शरीर को कोल्ड स्टोरेज में रखा गया है और आनुवंशिक नमूने न्यूजीलैंड सिटासियन टिशू आर्काइव के क्यूरेटर के रूप में ऑकलैंड विश्वविद्यालय को भेजे गए हैं। डीएनए को संसाधित होने और अंतिम पहचान की पुष्टि होने में कई हफ्ते या महीने लग सकते हैं।

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