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Carbon Negative Countries: कार्बन उत्‍सर्जन को लेकर तीन मुल्‍कों ने दिखाई राह, जानें- क्‍या है कार्बन निगेट‍िव

Which Countries are Carbon Negative दुनिया के ये तीन मुल्‍कों कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए जो कुछ कुछ भी किया उससे ये दुनिया के सामने मिसाल बन गए हैं। आइए जानते हैं इन मुल्‍कों के बारे में और इसके साथ यह भी जानेंगे कि आखिर यह कैसे संभव हुआ।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Tue, 04 Oct 2022 07:49 PM (IST)
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Which Countries are Carbon Negative: कार्बन उत्‍सर्जन को लेकर इन तीन मुल्‍कों ने दिखाई राह। एजेंसी।
नई दिल्‍ली, जेएनएन। कार्बन उत्‍सर्जन पर नियंत्रण पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। प्रदूषण को लेकर तमाम सरकारी प्रयास अब तक निष्‍फल रहे हैं। ऐसे में दुनिया के तीन देश ऐसे हैं जो ग्रीन हाउस गैसों के प्रदूषण से मुक्‍त हैं। ये तीन देश कार्बन निगेटिव देशों की सूची में शामिल हो गए हैं। दुनिया के इन तीन मुल्‍कों ने कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए जो कुछ कुछ भी किया उससे ये दुनिया के सामने मिसाल बन गए हैं। आइए जानते हैं इन मुल्‍कों के बारे में और इसके साथ यह भी जानेंगे कि आखिर यह कैसे संभव हुआ। इसके साथ यह भी जानेंगे कि कार्बन उत्सर्जन और कार्बन निगेटिव होना क्या है।

1- पनामा क्‍लब का नया सदस्‍य

मध्‍य अमेरिकी देश पनामा दक्षिण अमेरिका की सीमा पर स्थित है। पनामा एक उष्‍णकटिबंधीय देश है। यह देश पहाड़ों एवं नदियों के लिए जाना जाता है। इस मुल्‍क में 57 फीसद जंगल है। खास बात यह है कि यह देश वन आवरण के विनाश को रोकने में सफल रहा है। कार्बन निगेटिव क्‍लब में शामिल होने वाला यह नया मुल्‍क है। पनामा सरकार ने वर्ष 2023 तक भारी ईंधन और कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का लक्ष्‍य रखा है। इसके साथ ही सरकार ने वर्ष 2050 तक 50 हजार हैक्टेयर जमीन को घने जंगल में तब्‍दील करने का भी लक्ष्‍य रखा है।

2- भूटान में कार्बन उत्‍सर्जन जीराे

भारत के पड़ोसी मुल्‍क भूटान में कार्बन उत्‍सर्जन जीरो है। भूटान एक छोटा और गैर-औद्योगिक राष्ट्र है। भूटान के संविधान के अुनसार देश में कम से कम 60 फीसद जंगल जरूरी है। भूटान जंगल और प्राकृतिक संपदा के मामले में बेहद संपन्‍न देश है। भूटान में 72 फीसद जंगल है। भूटान में लकड़‍ियों के निर्यात पर कठोर प्रतिबंध है। इसके चलते वहां जगंलों की कटाई कोई समस्‍या नहीं है।

भूटान में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत रीनुएबल हाइड्रोपावर है यानी, बिजली नदियों पर बने प्लांट से आती है। खास बात यह है कि भूटान दुनिया का ऐसा मुल्‍क है जिसने नेट-जीरो की शपथ नहीं ली, क्योंकि उसको ऐसा करने की जरूरत ही नहीं थी। भूटान के जंगल एक वर्ष में करीब 90 लाख टन कार्बन डाइआक्साइड अवशोषित करते हैं, जबकि इस देश से हर साल कुल कार्बन उत्सर्जन, 40 लाख टन से भी कम होता है।

3- सूरीनाम में 97 फीसद हिस्‍सा जंगल

सूरीनाम दक्षिण अमेरिका में स्थित है। यह दक्षिण अमेरिका का सबसे छोटा संप्रभु राज्य है इस मुल्‍क में कार्बन उत्‍सर्जन जीरो है। दुनिया में सर्वाधिक जंगल इसी देश में है। जंगलों के मामले में यह सबसे संपन्‍न राष्‍ट्र है। सूरीनाम में 97 फीसद हिस्‍सा जंगलों का है। वहां उष्‍णकटिबंधीय के घने जंगल पाए जाते हैं। 

अपने जंगलों की रक्षा करके सूरीनाम ने जीरो कार्बन उत्‍सर्जन का लक्ष्‍य हासिल करने में सफलता पाई है। यह मुल्‍क आर्थिक रूप से कृषि उत्पादों, बाक्साइट, सोना और पेट्रोकेमिकल्स जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है। लाखों हेक्टेयर वन संरक्षण क्षेत्र बनाने के लिए सूरीनाम के लोगों और सेना ने सरकार का साथ दिया और यह संभव हो पाया।

आखिर क्‍या है कार्बन निगेटिव

किसी एक व्‍यक्ति द्वार किए गए कुल कार्बन उत्‍सर्जन की मात्रा को कार्बन उत्‍सर्जन कहते हैं। यह उत्‍सर्जन कार्बन डाइआक्साइड या गैसों के रूप में होता है। यह ग्रीनहाउस की प्रमुख गैस है। इन ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाना ही अब दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। खास बात यह है कि कार्बन डाइआक्साइड और इसके समकक्ष ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन शून्य से कम होता है, तो इसे कार्बन निगेटिव कहते हैं। कार्बन निगेटिव होने का मतलब है जितनी कार्बन हम पर्यावरण में छोड़ते हैं, उतनी किसी और माध्यम से कम कर देते हैं।

क्‍या है भारत का लक्ष्‍य

आपको बता दें कि भारत ने वर्ष 2001 के 26वें संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु परिवर्तन सम्‍मेलन में 2070 तक शु्न्‍य कार्बन उत्‍सर्जन का लक्ष्‍य हासिल करने का लक्ष्‍य रखा है। COP 26 में तीनों देशों ने एक औपचारिक गठबंधन किया, जिसमें अधिमान्य व्यापार और अंतरराष्‍ट्रीय योगदान की मांग की है। उम्मीद की जा रही है कि इस क्लब में और देश भी जल्द शामिल होंगे।