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Turkey: तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन का राजनीति छोड़ने का फैसला, दो दशक तक किया सत्ता पर राज

Turkey Election 2024 एर्दोगन ने कहा कि देश में मार्च में होने वाला स्थानीय चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा। मालूम हो कि आधुनिक तुर्किये के सबसे सफल राजनेता एर्दोगन ने दो दशकों से अधिक समय तक देश का नेतृत्व किया है। एर्दोगन को मई 2023 में बेहद कड़े मुकाबले के दौरान पांच साल के कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया।

By Agency Edited By: Shalini Kumari Updated: Sat, 09 Mar 2024 05:59 PM (IST)
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तुर्किए के राष्ट्रपति ने दिए राजनीति छोड़ने के संकेत (फाइल फोटो)
रॉयटर्स, अंकारा (तुर्किए)। तुर्किये राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन अपनी राजनीतिक सफर पर विराम लगाने जा रहे हैं। दरअसल, उन्होंने शुक्रवार को इस बात के संकेत दिए हैं कि यह उनका आखिरी स्थानीय चुनाव होगा।

दो दशक से संभाल रहे सत्ता

एर्दोगन ने कहा कि देश में मार्च में होने वाला स्थानीय चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा। मालूम हो कि आधुनिक तुर्की के सबसे सफल राजनेता एर्दोगन ने दो दशकों से अधिक समय तक देश का नेतृत्व किया है। 2002 के बाद से एक दर्जन से अधिक चुनावों के विजेता, एर्दोगन को मई 2023 में बेहद कड़े मुकाबले के दौरान पांच साल के कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया।

खुद दिया राजनीति से दूरी बनाने का संकेत

एर्दोगन ने कहा, "यह मेरे लिए अंतिम है, कानून द्वारा दिए गए जनादेश के तहत यह मेरा आखिरी चुनाव है।" अनादोलु ने उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया, "जो परिणाम सामने आएगा, वह मेरे भाई-बहनों को विरासत का हस्तांतरण होगा, जो मेरे बाद आएंगे।"

एर्दोगन का राजनीतिक सफर

बता दें कि एर्दोगन 1994 से 1998 तक इस्तांबुल के मेयर रहे। इसके बाद 2003 में उन्हें प्रधानमंत्री चुना गया था। उस वक्त तुर्किये की राजनीति में प्रधानमंत्री ही प्रमुख व्यक्ति होता था। हालांकि, तीन बार पीएम रहने के बाद एर्दोगन को 2014 में राष्ट्रपति चुना गया।

दरअसल तुर्की में 2017 में एक संवैधानिक परिवर्तन हुआ था। इसने तुर्की को संसदीय प्रणाली से राष्ट्रपति शासन प्रणाली में बदल दिया। इसने प्रधानमंत्री का पद समाप्त कर दिया था। इसके बाद से सत्ता पर सिर्फ एर्गोदन का ही वर्चस्व रहा है।

भारत और तुर्किये के बीच संबंध

कश्मीर पर तुर्किये का स्टैंड ही दोनों देशो के बीच दूरियों की एक अहम वजह रहा है। दिल्ली के जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई, यूरोपीय संघ, इटली, फ्रांस और जर्मनी ने 'इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर' बनाने को लेकर एक सहमति बनाई थी।

हालांकि, उस दौरान भारत को यूरोप से जोड़ने वाले इस आर्थिक कॉरिडोर के रास्ते में तुर्किये भी आता है, लेकिन उसे शामिल नहीं किया गया। इस डील को लेकर एर्गोदन ने नाराजगी जताई थी कि उन्हें शामिल नहीं किया गया है।

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हालांकि, दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार-संबंध में काफी इजाफा देखा जा रहा है। 2022-23 में भारत ने तुर्किये में 9,600 मिलियन डॉलर का निर्यात किया था। वहीं, तुर्किये से भारत ने 4,200 मिलियन डॉलर का आयात किया था। दोनों देशों के बीच करीब 13,881 मिलियन डॉलर का व्यापार हुआ।

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