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Turkiye Earthquake: तुर्किये और सीरिया में मरने वालों की संख्या 24000 से अधिक, बारिश के बीच बचाव का कार्य जारी

तुर्किये और सीरिया में भूकंप के बाद मरने वालों की संख्या 24000 से अधिक पहुंच गई है। तुर्किये में 19 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं जबकि सीरिया में मरने वालों की संख्या तीन हजार की है। दोनो देशों में हर तरफ मलबे के बड़े-बड़े ढेर हैं।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Sat, 11 Feb 2023 04:52 AM (IST)
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तुर्किये और सीरिया में भूकंप के बाद मरने वालों की संख्या 23,700 पहुंच चुकी है। (फोटो सोर्स: एपी)
अंकारा, एजेंसी। भूकंप से बर्बाद तुर्किये और सीरिया में हृदय को हिला देने वाला आर्तनाद शांत हो चुका है और आंसू भी सूख गए हैं। रह-रहकर फूटती सिसकी और कराह बताती है कि तन-मन में गहरे घाव की पीड़ा बरकरार है।

यह स्थिति यूरोप के नजदीक बसे पश्चिम एशिया के दोनों देशों की है। इन देशों ने इसी सप्ताह 7.8 की तीव्रता वाला भूकंप का झटका झेला है। भूकंप के 100 घंटे बाद मलबे से लोगों के जिंदा मिलने की उम्मीद खत्म हो रही है लेकिन चमत्कार होना जारी है।

मरने वालों की संख्या 24 हजार के पार 

दैवीय आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 24,000 से अधिक हो गई है। तुर्किये में 19 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं जबकि सीरिया में मरने वालों की संख्या तीन हजार की है। विश्व बैंक ने भूकंप से प्रभावित तुर्किये और सीरिया के लिए 1.78 अरब डालर की सहायता स्वीकृत की है। यह धनराशि बचाव-राहत कार्यों और पुनर्निर्माण पर खर्च की जाएगी।

बारिश और बर्फबारी के बीच धीमी गति से चल रहे बचाव कार्य में एक ऐसा किशोर भी मिला है जो मलबे के बीच अपना पेशाब पीकर जिंदा रहा, उसे बचाव दल ने निकालकर अस्पताल भेजा है। किशोर अदनान मुहम्मद कोरकुट भूकंप के केंद्र बिंदु रहे गाजियनटेप शहर के नजदीकी इलाके में मिला है।

नजदीक रहने वाली करीब डेढ़ करोड़ लोगों की आबादी भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। यहां शायद ही कोई मकान या बड़ा भवन क्षतिग्रस्त होने से बचा है। चार दिन से जारी बचाव कार्य के बावजूद अभी भी बहुत काम होना बाकी है।

भारत समते कई देशों से मिल रही सीरिया को मदद 

चारों ओर और दूर-दूर तक मलबे के बड़े-बड़े ढेर हैं। इनके नीचे लोग भी दबे हुए हैं। मलबा हटाकर लोगों की तलाश का कार्य जारी है। लेकिन बीतते समय के साथ लोगों के जिंदा मिलने की संभावना क्षीण होती जा रही है। भीषण ठंड में लाखों बेघर छाया तलाशते घूम रहे हैं। तुर्किये में बचाव अभियान तेज है। उसे अमेरिका और सहयोगी देशों की भरपूर सहायता भी मिल रही है। लेकिन सीरिया की हालत पतली है।

गृहयुद्ध से जर्जर यह देश सीमित साधनों से विभीषिका से उबरने की कोशिश कर रहा है। उसका मुख्य मददगार रहा रूस इन दिनों यूक्रेन युद्ध में फंसा हुआ है। इसका भी वहां के बचाव अभियान पर असर पड़ रहा है। वैसे भारत सहित कई देश और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां वहां पर राहत और बचाव के कार्य कर रही हैं।

तुर्किये में 105 घंटे मलबे में दबा रहा बच्चा मिला

तुर्किये के सीमावर्ती इलाके से भूकंप आने के 105 घंटे बाद चार साल का बच्चा यागीज कोम्सू मलबे के बीच से ¨जदा मिला है। इस बच्चे का अपनी मां से मिलन दिल को छू देने वाला था। परिवार के लोग उसका जिंदा मिलना नामुमकिन मान चुके थे। यह जानकारी हैबरतुर्क टेलीविजन ने दी है। तुर्किये के ही किरिखान इलाके में मलबे के नीचे 104 घंटे दबी रही महिला जिंदा मिली है।

मलबे में किसी के जिंदा बचने की उम्मीद छोड़ चुके बचाव दल के लिए यह अनुभव खुश कर देने वाला था। बचाव दल के प्रमुख स्टीवन बायर ने बताया कि जीनेप काहरामन (40) कंक्रीट के एक ब्लाक के नीचे जिंदा मिलीं, उन्हें नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसी तरह बुरी तरह से क्षतिग्रस्त एक घर में चार दिनों से फंसा दस दिन का बच्चा और उसकी मां शुक्रवार को सुरक्षित निकाली गई। लोगों ने उन्हें देखकर इसे ईश्वर की इच्छा बताया।

निर्माण कार्यों में गड़बड़ी की कलई खुली

तुर्किये में आए भूकंप ने वहां के निर्माण कार्यों में हुई गड़बड़ी की कलई खोलकर रख दी है। भूकंप के तेज झटकों ने वैसे तो नई-पुरानी सभी इमारतों को भारी नुकसान पहुंचाया है लेकिन नई इमारतें बड़ी संख्या में ध्वस्त हुई हैं। ताश के पत्तों की तरह ढही इमारतों में तमाम बहुमंजिला अपार्टमेंट हैं। यह वे अपार्टमेंट हैं जिनके भूकंपरोधी होने का दावा किया गया था।

कहा गया था कि उनके निर्माण में नींव और पिलर काफी गहराई तक बनाए गए हैं। उनकी सामग्री और नक्शा भी भूकंप को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए है। लेकिन भूकंप आने के बाद चहुंओर बर्बादी के मंजर हैं।

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