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Blast in Kabul: अमेरिका ने की काबुल में IS के किए गए बम धमकों की निंदा

Blast in Kabul अमेरिका ने ट्वीटर पर अफगानिस्तान में हाल में हुए विस्फोटों की निंदा करते हुए कहा अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र परिवार अल्पसंख्यकों के लिए अधिक सुरक्षा का आग्रह करता है ताकि अशूरा को और हमलों के बिना जाना जा सके।

By Ashisha Singh RajputEdited By: Updated: Tue, 09 Aug 2022 06:04 PM (IST)
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संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ( यूएन एएमए ) ने ट्वीट कर कहा
काबुल, एजेंसी। अफगानिस्तान में लगातार हुए विस्फोटों के कारण देश की धरती दहल उठी है। देश में अबतक ढेरों बम धमाके किए जा चुके हैं, जिसमें कई लोगों की जान जा चुकी हैं। वहीं हाल में हुए विस्फोटों की अमेरिका ने निंदा की है, जिसमें 120 से अधिक लोग मारे गए और घायल हुए हैं। आपको मालूम हो कि अफगानिस्तान में बीते कुछ सप्ताहों में हत्याओं और विस्फोटों की एक श्रृंखला देखी गई है। विस्फोट देश की राजधानी काबुल के चंदावल, पुल-ए-सोखता और सरकारिज समेत कई इलाकों में हुए हैं।

अमेरिका ने ट्वीट कर कहा-

संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ( यूएन एएमए ) ने ट्वीट कर कहा, 'हाल के दिनों में काबुल में इस्लामिक स्टेट द्वारा दावा किए गए विस्फोटों के बाद, जिसमें 120 से अधिक लोग मारे गए और घायल हो गए, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र परिवार अल्पसंख्यकों के लिए अधिक सुरक्षा का आग्रह करता है ताकि अशूरा को और हमलों के बिना चिह्नित किया जा सके।' इसके साथ ही अमेरिका ने अशूरा के दौरान ISIS-K- दावा किए गए हमलों की भी निंदा की, जिसने काबुल में हजारा और शिया-बहुमत क्षेत्रों को बम धमकों का निशाना बनाया।

काबुल में अमेरिकी दूतावास ने ट्वीट किया, 'हम पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। उपासकों पर हमला करना निंदनीय है,अफगान लोगों को शांति से पूजा करने में सक्षम होना चाहिए।'

आपको मालूम हो कि जब से तालिबान शासन ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है। तबसे विस्फोट और हमले देश में लगातार हो रहे हैं। नियमित मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ नागरिकों की निरंतर हत्या, मस्जिदों और मंदिरों को नष्ट करना, महिलाओं पर हमला करना और क्षेत्र में आतंक को बढ़ावा देना रोज की बात हो गई है।

देश में इस्लामिक स्टेट के सदस्यों द्वारा पवित्र स्थान पर हमला किए जाने के एक महीने बाद काबुल में करता परवन गुरुद्वारा के पास एक बम विस्फोट हुआ था, जिसमें अफगानिस्तान में सिख समुदाय सहित धार्मिक अल्पसंख्यक अफगानिस्तान में हिंसा का निशाना रहे हैं।