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5,200 साल पहले 'विट्रुप मैन' की एक दलदल में हुई थी मौत, शोधकर्ताओं ने अब किया मृत्यु के कारणों का खुलासा

लगभग 5200 साल पहले उत्तर पश्चिमी डेनमार्क में एक पीट बोग में एक आदमी का जीवन हिंसक रूप से समाप्त हो गया था। अब शोधकर्ताओं ने डेनमार्क के इतिहास में सबसे पुराने ज्ञात अप्रवासी विट्रुप मैन की अप्रत्याशित कहानी बताने के लिए उन्नत आनुवंशिक विश्लेषण का उपयोग किया है। यह पहली बार है जब विशेषज्ञों ने मृतक के जीवन इतिहास को इस हद तक मैप किया है।

By Versha Singh Edited By: Versha Singh Updated: Fri, 16 Feb 2024 10:58 AM (IST)
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5,200 साल पहले 'विट्रुप मैन' की एक दलदल में हुई थी मौत (फोटो सोर्स- CNN)
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। लगभग 5,200 साल पहले, उत्तर पश्चिमी डेनमार्क में एक पीट बोग में एक आदमी का जीवन हिंसक रूप से समाप्त हो गया था। अब, शोधकर्ताओं ने डेनमार्क के इतिहास में सबसे पुराने ज्ञात अप्रवासी "विट्रुप मैन" की अप्रत्याशित कहानी बताने के लिए उन्नत आनुवंशिक विश्लेषण (advanced genetic analyses) का उपयोग किया है।

CNN के अनुसार, उत्तरी यूरोप में खोजी गई विशिष्ट रूप से संरक्षित "एक्सीडेंटल मम्मीस" बोग बॉडीज ने लंबे समय से शोधकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है, लेकिन एक नए अध्ययन से पता चलता है कि यह पहली बार है जब विशेषज्ञों ने मृतक के जीवन इतिहास को इस हद तक मैप किया है।

1915 में पीट काटने (peat cutting) के दौरान डेनमार्क के विट्रुप में एक पीट के दलदल (Peat Bog) में उस व्यक्ति के अवशेष पाए गए थे। उसके दाहिने टखने की हड्डी, निचले बाएँ पिंडली की हड्डी, जबड़े की हड्डी और खोपड़ी एक लकड़ी के क्लब के साथ पाए गए थे।

3100 या 3300 ईसा पूर्व हुई मौत

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 3100 ईसा पूर्व और 3300 ईसा पूर्व के बीच किसी समय लकड़ी के क्लब से सिर पर कम से कम आठ बार वार करने के बाद उनकी मृत्यु हो गई।

वैज्ञानिकों ने डेनमार्क के जैनेटिक प्रीहिस्ट्री (Denmark’s genetic prehistory) के बारे में जर्नल नेचर में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में विट्रुप मैन के अवशेषों का विश्लेषण किया, जिसमें 317 प्राचीन कंकालों के जीनोम का अनुक्रम किया गया।

उन्हीं शोधकर्ताओं में से कुछ ने विट्रुप मैन का एक व्यक्तिगत अध्ययन करने का निर्णय लिया जब उसके डीएनए से पता चला कि वह आनुवंशिक रूप से डेनिश पाषाण युग की बाकी आबादी से अलग था।

नए निष्कर्षों का विवरण देने वाला एक अध्ययन बुधवार को PLOS One पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।

मुख्य अध्ययन लेखक एंडर्स फिशर, स्वीडन में गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में ऐतिहासिक अध्ययन विभाग में परियोजना शोधकर्ता और सीलैंड पुरातत्व के निदेशक ने एक ईमेल में कहा, मैं एक गुमनाम खोपड़ी से बात करवाना चाहता था (और) उस हड्डी के पीछे के व्यक्ति को ढूंढना चाहता था। प्रारंभिक परिणाम लगभग इतने अच्छे थे कि उन्हें सच नहीं माना जा सकता था, जिसके कारण मुझे अतिरिक्त और वैकल्पिक तरीकों को लागू करना पड़ा। जिसका परिणाम यह आश्चर्यजनक जीवन इतिहास सामने आया।

विट्रुप मैन के जीवन को जोड़ते हुए टीम ने जो खोजा वह विभिन्न पाषाण युग की संस्कृतियों (Stone Age cultures) के बीच आंदोलनों और संबंधों पर प्रकाश डाल रहा है।

एक पाषाण युग का प्रवासी

विट्रुप मैन के जीवन के बारे में अधिक से अधिक जानकारी हासिल करने के लिए अनुसंधान टीम ने अत्याधुनिक विश्लेषणात्मक (cutting-edge analytical methods) तरीकों का उपयोग करके उसके दांतों के इनेमल, टार्टर और हड्डी के कोलेजन का विश्लेषण किया।

उसके इनेमल के भीतर विशिष्ट रासायनिक तत्वों, जैसे स्ट्रोंटियम, नाइट्रोजन, कार्बन और ऑक्सीजन की संयुक्त खोज के साथ-साथ उसके दांतों और हड्डियों के प्रोटीन विश्लेषण से पता चला कि कैसे 30 से 40 वर्ष की आयु के बीच मरने से पहले विट्रुप मैन का आहार एक शिकारी से किसान का आहार बन गया।

विट्रुप मैन संभवतः स्कैंडिनेवियाई प्रायद्वीप के तट पर पैदा हुआ और बड़ा हुआ, शायद नॉर्वे या स्वीडन के ठंडे मौसम में। वह आनुवंशिक रूप से उन क्षेत्रों के लोगों के सबसे करीब था और उसकी त्वचा डेनमार्क के पाषाण युग के समुदायों की तुलना में अधिक गहरे रंग की थी।

शोधकर्ताओं को मिले कई तथ्य

स्कैंडिनेविया में, विट्रुप मैन संभवतः उत्तरी शिकारी-संग्रहकर्ता समुदाय से संबंधित था, जो मछली, सील और यहां तक कि व्हेल के आहार का आनंद लेता था, जिससे पता चलता है कि वनवासियों के पास जहाज थे जो उन्हें खुले समुद्र में मछली पकड़ने में सक्षम बनाते थे।

और फिर, किसी चीज के कारण उनके जीवन में भारी बदलाव आया और 18 या 19 साल की उम्र तक, विट्रुप मैन डेनमार्क में थे और भेड़ और बकरी खाकर एक किसान के आहार पर अपने जीवन का निर्वाह कर रहे थे।

अध्ययन लेखकों ने कहा, डेनमार्क में कृषक समाज की उनकी यात्रा "नाव द्वारा व्यापक यात्रा का संकेत देती है"।

गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में ऐतिहासिक अध्ययन विभाग के शोधकर्ता और अध्ययन के सहलेखक कार्ल-गोरान सोजग्रेन ने कहा, "विट्रुप मैन की लंबी दूरी की गतिविधियां असामान्य थीं, लेकिन डेनिश किसानों और उत्तरी शिकारी-संग्रहकर्ताओं के बीच चल रहे आदान-प्रदान के बारे में कुछ कह सकती हैं।"

विट्रुप मैन ने इतनी लंबी यात्रा क्यों की यह अज्ञात है, लेकिन शोधकर्ताओं के पास कुछ सिद्धांत हैं। यह संभव है कि वह एक बंदी या गुलाम था जो डेनमार्क में स्थानीय समाज का हिस्सा बन गया या विट्रुप मैन एक व्यापारी था जो डेनमार्क में बस गया था।

कोपेनहेगन में राष्ट्रीय संग्रहालय में डेनमार्क और भूमध्य सागर की प्राचीन संस्कृतियों के अनुसंधान के प्रमुख, अध्ययन के सहलेखक लेसे सोरेनसेन ने कहा, पुरातत्वविदों को पता है कि डेनमार्क से नॉर्वे के आर्कटिक सर्कल तक चकमक कुल्हाड़ियों का व्यापार किया जाता था।

सोजग्रेन ने कहा कि विट्रुप मैन के अध्ययन से शोधकर्ताओं को आनुवंशिकी, जीवनशैली और अनुष्ठान प्रथाओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिली है, जिनका पता पाषाण युग के समाजों में लगाया जा सकता है।

फिशर ने कहा, विट्रुप मैन एक प्रवासी है जो डेनमार्क और आसपास से ज्ञात पहली पीढ़ी का सबसे पहला निर्विवाद आप्रवासी है।

जहां तक हमें जानकारी है, यह पहली बार है कि वैज्ञानिक किसी उत्तरी यूरोपीय व्यक्ति की जीवन कहानी को इतने विस्तार से और इतने दूर के अतीत में मैप करने में सक्षम हुए हैं।

दलदल में हुई मौत?

40 से अधिक वर्षों से पाषाण युग की संस्कृतियों पर शोध करने वाले फिशर ने कहा, "मारे जाने और दलदल में फेंके जाने से पहले विट्रुप मैन का जीवन उल्लेखनीय था।" उनकी विशेष रुचि इस बात में है कि लगभग 6,000 साल पहले डेनमार्क शिकारी-संग्रहकर्ता संस्कृति से किसानों की संस्कृति में कैसे स्थानांतरित हुआ।

विट्रुप मैन का अंत पीट बोग (Peat Bog) में टूटी हुई खोपड़ी के साथ क्यों और कैसे हुआ? इसकी सटीक उत्तर कभी भी सामने नहीं आ पाएगा, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि उन्हें बलि के रूप में मार दिया गया था, जो उस समय इस क्षेत्र में एक आम बात थी।

फिशर ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि उन दिनों उत्तरी यूरोप में धार्मिक जीवन में आर्द्रभूमि की विशेष भूमिका थी। विट्रुप मैन को असामान्य रूप से क्रूर तरीके से मार दिया गया था। अन्य मनुष्यों को तीर मारकर या रस्सी से गला घोंटकर मार दिया गया।

गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में पुरातत्व के प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक क्रिस्टियन क्रिस्टियनसेन ने एक बयान में कहा, शायद हमें उसे एक गुलाम के रूप में समझना चाहिए जिसे देवताओं को तब बलिदान कर दिया गया था जब वह कठिन शारीरिक श्रम के लिए उपयुक्त नहीं था।

लेकिन यह भी संभव है कि विट्रुप मैन गलत समय पर गलत जगह पर था।

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