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आखिर क्‍या थी न्‍यूजीलैंड के आसमान में चमकती हुई वो चीज, देखकर हर कोई था हैरान

न्‍यूजीलैंड के आसमान एक अजीब सी चमकती हुई चीज देखकर हर कोई हैरान था। यह चीज आसमान में कुछ सैकेंड दिखाई देने के बाद अचानक गायब हो गई।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 08 Jan 2019 04:27 AM (IST)
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आखिर क्‍या थी न्‍यूजीलैंड के आसमान में चमकती हुई वो चीज, देखकर हर कोई था हैरान
नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। न्‍यूजीलैंड के आसमान में शाम के समय कुछ समय के लिए जो नजारा दिखाई दिया उसको लेकर अब भी रहस्‍य बरकरार है। इसको लेकर कई सोशल मीडिया पर काफी कुछ लिखा गया और कई तस्‍वीरें और वीडियो तक पोस्‍ट की गईं। इसके बाद भी स्‍पष्‍टतौर पर अभी तक कुछ भी नहीं कहा गया है। आगे बढ़ने से पहले आपको पूरा मामला समझा देते हैं। एक दिन पहले ही न्‍यूजीलैंड के वारंगराई से लेकर नेल्‍सन तक आसमान में एक चमकदार चीज दिखाई दी। किसी ने इसको यूएफओ या फिर उड़न तश्‍तरी बताया तो किसी ने कुछ और कहा। हालांकि कुछ एक्‍सपर्ट के जानकार मान रहे हैं कि यह रूस का ऐसा सैटेलाइट का हिस्‍सा था जो उसके नियंत्रण के बाहर जा चुका है। आसमान में इसको कुछ सैकेंड के लिए देखा गया था।

रूसी उपग्रह का हिस्‍सा था
ज्‍यादातर स्‍पेस एक्‍सपर्ट भी इसको रूसी उपग्रह का हिस्‍सा मान रहे हैं। उनके मुताबिक यह रूस का एक मिसाइल डिफेंस सैटेलाइट था जो उसके कंट्रोल से बाहर जा चुका है। धरती के वायुमंडल में प्रवेश के बाद वह एक तेज आग के गोले की भांति दिखाई दिया और कुछ समय के बाद गायब भी हो गया। स्‍पेस साइंटिस्‍ट प्रोफेसर रिकार्ड ईस्‍थर के मुताबिक भी यह रूस के कॉस्‍मॉस 2430 सैटेलाइट का हिस्‍सा था। यह सैटेलाइट वर्ष 2007 में अमेरिकी मिसाइल हमले से बचाव के लिए छोड़ा गया था। यह रूस की स्‍पेस फोर्स के ओको प्रोग्राम का एक हिस्‍सा था। यह सैटेलाइट खासतौर पर ऑप्‍टीकल टेलिस्‍कोप और इंफ्रारेड सेंसर के जरिए छोड़ी जाने वाली मिसाइल से बचाव के लिए प्रक्षेपित किया गया था। मई 2012 के बाद इस सैटेलाइट ने काम करना बंद कर दिया था और यह आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था। दो दिन पहले इसको न्‍यूजीलैंड के आकाश में देखा गया था।

दो टन वजनी था सैटेलाइट 
प्रोफेसर ईस्‍थर यूनिवसिर्टी ऑफ ऑकलैंड में भौतिक विभाग के प्रमुख हैं। उनके मुताबिक अमेरिका से अपनी सुरक्षा को पुख्‍ता करने के लिए रूस की तरफ से ऐसी ही कई दूसरी सैटेलाइट भी छोड़ी गई थीं। उनका कहना है कि यह सैटेलाइट करीब दो टन वजनी थी। फिलहाल इस बात की भी जानकारी नहीं मिली है कि यह चमकती हुई चीज न्‍यूजीलैंड में धरती पर कहीं गिरी भी थी या आसमान में ही खत्‍म हो गई। उनका यह भी कहना है कि इस तरह के स्‍पेस जंक काफी खतरनाक हुआ करते हैं। इनको तलाशने में या फिर रिकवर करने में काफी सावधानी बरतनी होती है।

हर वर्ष होती हैं ऐसी घटनाएं
प्रोफेसर ईस्‍थर की मानें तो हर साल इस तरह की कई घटनाएं सामने आती हैं जिसमें सैटेलाइट के टूटे हुए हिस्‍से इस तरह से दिखाई दे जाते हैं। इसी तरह की एक दूसरी रूसी सैटेलाइट कॉस्‍मॉस 954 का कुछ हिस्‍सा जनवरी 1978 में कनाडा में गिरा था। दरअसल, यह सब उस वक्‍त हुआ जब यह सैटेलाइट धरती के वातावरण में घुसा था। उस वक्‍त यह बिखर गया और चूंकि इसमें रेडियोएक्टिव पदार्थ शामिल थे इस वजह से इसकी खोज का दायरा करीब सवा लाख स्‍क्‍वायर किमी था। इसकी खोज हवा और धरती पर साथ शुरू की गई थी। 1978 में तीन चरणों में इसकी खोज की गई थी जो लगभग पूरे साल चली थी। इस दौरान सैटेलाइट के दस बड़े टूकड़ों को खोज निकाला गया था।

इससे जुड़ा अंतरराष्‍ट्रीय नियम 
आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि 1972 के स्‍पेस लाइबिलिटी कंवेंशन के मुताबिक जो भी देश सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजता है भविष्‍य में उससे होने वाली दुर्घटनाओं के लिए भी वही जिम्‍मेदार भी होता है। ऐसी अवस्‍था में जब सैटेलाइट किसी दूसरे देश में गिरता है तो उसका खर्च अमुक देश मांग सकता है। इसके ही तरत उस वक्‍त कनाडा ने रूस को कॉस्‍मॉस 954 के टुकड़ों को खोजने के लिए खर्च की गई रकम जो करीब C$6,041,174.70 थी, को रूस को भेजा था। तत्‍कालीन सोवियत संघ ने उस वक्‍त कनाडा को C$3 मिलियन चुकाए थे।

न्‍यूजीलैंड में इस तरह का तीसरा मौका
आपकी जानकारी के लिए यहां पर ये भी बता दें कि बीते करीब 118 वर्षों के दौरान यह तीसरा मौका है जब न्‍यूजीलैंड के आसमान में इस तरह की चीज दिखाई दी हो। इससे पहले 1900 और 1978 में भी इस तरह का स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट दिखाई दिया था। सबसे अधिक यूएफओ अमेरिका के आसमान में दिखाई दिए हैं। 1954, 2007 और 2015 में भारत में भी इसी तरह का स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट दिखाई दिया था।

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