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हाथों में बैनर और चेहरे पर तालिबान का खौफ, अमेरिका ने अधर में छोड़ा अफगानिस्‍तान

तालिबान-अमेरिकी समझौते से अफगानी महिलाएं तो डरी हुई हैं। इनके चेहरों पर तालिबान की दस्‍तक का खौफ साफ दिखाई दे रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 03 Mar 2020 04:36 PM (IST)
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हाथों में बैनर और चेहरे पर तालिबान का खौफ, अमेरिका ने अधर में छोड़ा अफगानिस्‍तान
काबुल। अमेरिका ने तालिबान से समझौता कर अफगानिस्‍तान को बीच मझधार में अकेला छोड़ दिया है, जहां तालिबान और अफगान सरकार के बीच कोई दीवार नहीं रह गई है। लिहाजा तालिबान के सीधे हमले को अब अफगान सरकार को ही झेलना होगा, इसमें अमेरिका का कोई दखल नहीं होगा। तालिबान ने साफ कर दिया है कि समझौता अमेरिका से हुआ है इसलिए केवल उसपर हमला नहीं किया जाएगा, लेकिन अफगान सरकार के ठिकानों पर हमले पहले की तरह जारी रहेंगे। 

गौरतलब है कि इस समझौते को लेकर पहले से ही अफगानी महिलाएं काफी सहमी हुई हैं। सोमवार को अफगान सिविल सोसाइटी के बैनर तले अफगानी महिलाओं ने एक प्रदर्शन भी किया था। इन महिलाओं ने हाथों में बैनर लिया हुआ था, जिसपर तालिबान के शासन में महिलाओं पर हुए जुल्‍म को दर्शाया गया था। इन महिलाओं का कहना था कि वह उन दिनों को नहीं भूल सकती हैं। 

ये समझौता अमेरिका की वापसी के लिए तो ठीक है, लेकिन जिस भविष्‍य की उम्‍मीद जताकर ये किया गया है उस पर शुरुआत से ही पानी फिरता नजर आ रहा है। समझौते के अगले ही दिन अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ गनी ने साफ कर दिया था कि तालिबान कैदियों को अफगान सरकार से वार्ता से पहले रिहा नहीं किया जाएगा। इसके बाद चीफ एग्जीक्‍यूटिव ऑफिसर अब्‍दुल्‍ला अब्‍दुल्‍ला ने सरकार की मंशा पर ही सवाल उठा दिए। इसके बाद अब तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने साफ कर दिया है कि हिंसा में कटौती अब खत्म हो गई है।अफगान सरकार के खिलाफ उनका अभियान पहले की तरह ही जारी रहेगा। मुजाहिद ने ये भी साफ कर दिया है कि विदेशी बलों पर अब उनका हमला नहीं होगा। 

आपको बता दें कि अफगान और तालिबान के बीच 10 मार्च को वार्ता होनी है, लेकिन इसको लेकर अभी तक दल का गठन भी नहीं हो पाया है। वहीं सरकार और तालिबान के बीच किन बिंदुओं पर चर्चा होगी ये भी तय नहीं हुआ है। इस बीच मई तक अमेरिका के 12 हजार सैनिकों में से 5 हजार वापस लौट जाएंगे। आपको यहां ये भी बता दें कि अमेरिका अफगानी जवानों को सुरक्षा की ट्रेनिंग भी देने का काम कर रहा था।  

ईरान भी अमेरिका-तालिबान समझौते को ट्रंप के आत्‍मसमर्पण से जोड़कर देख रहा है। ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने ट्वीट में लिखा है कि अमेरिका को अफगानिस्तान में दखल नहीं देना चाहिए था, लेकिन उसने दिया और और इसके लिए हर किसी को दोषी ठहराया। इन 19 वर्षों के दौरान अमेरिका लगातार अपमानित हुआ और अंतत: तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। 

वहीं अमेरिकी सांसदों ने भी तालिबान की बातों पर कोई विश्‍वास नहीं कहकर आशंकाओ को हवा दी है। वहीं अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने जल्‍द ही तालिबानी नेताओं से मुलाकात करने की बात कहकर डील को सही ठहराने की कोशिश भी शुरू कर दी है। 

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