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कहां ले जाएगी अरब और ईरान की दुश्मनी

सीरिया, इराक, यमन में दोनों देश अपने समर्थन की सरकारें चाहते हैं। इससे आने वाले दिनों में टकराव और बढ़ेगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Tue, 14 Nov 2017 12:01 PM (IST)
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कहां ले जाएगी अरब और ईरान की दुश्मनी

नई दिल्ली (जेएनएन)। मध्य एशिया के दो शक्तिशाली शिया-सुन्नी बहुल देशों में तल्खी बढ़ गई है। लेबनान के प्रधानमंत्री के इस्तीफे और यमन के मिसाइल को लेकर सऊदी अरब और ईरान आमने- सामने हैं। भारत के इन दोनों मित्र राष्ट्रों में लगातार तनाव बढ़ने से सीधे युद्ध का खतरा भी मंडरा रहा है। यह संकट कैसे हल होगा और दोनों ऊर्जा बहुल देशों के बीच के रिश्तों का दुनिया पर क्या असर पड़ेगा, इसको लेकर विशेषज्ञों ने कयास लगाना शुरू कर दिया हैं। 

शिया-सुन्नी के रिश्ते खराब

सऊदी अरब में सुन्नी सत्ता में हैं तो ईरान में शिया।

मध्य-एशिया में दोनों के भौगोलिक हित भी हैं।

सऊदी अरब के अमेरिका से घनिष्ठ रिश्ते हैं तो ईरान उसका धुर विरोधी है।

इराक-ईरान युद्ध में सऊदी अरब ने ही इराक को वित्तीय मदद की थी।

गल्फ युद्ध से इराक के कमजोर होने के बाद सऊदी अरब और ईरान दोनों ही मध्य एशिया की क्षेत्रीय ताकत बनना चाहते हैं। 

कैसे बढ़ा तनाव

पिछले साल अरब और ईरान ने राजनयिक रिश्ते तोड़ लिए।

2015 में ईरान ने छह ताकतवर देशों के साथ परमाणु संधि की। ईरान को विश्व में अलग-थलग करने की सऊदी अरब नीति को झटका लगने की आशंका गहराई।

2017 में सऊदी अरब सहित कई इस्लामिक देशों ने कतर के साथ सभी राजनयिक संबंध तोड़ लिए। सुन्नी देशों का आरोप था कि ईरान के साथ मिलकर वह कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा है।

सऊदी अरब समर्थित लेबनान के प्रधानमंत्री साद हरीरी ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि शिया आंदोलन से ईरान ने उनके देश पर पकड़ बना ली है। 

पीएम के इस्तीफे के कुछ ही घंटे बाद सऊदी अरब ने यमन द्वारा दागी गई मिसाइल को नष्ट कर दिया।

सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया वहीं ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी ने इनकार किया और कहा कि उनका देश किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम है।

आइएस के कब्जे से आजाद होने के बाद शिया बहुल इराक से सऊदी अरब दोस्ती बढ़ा रहा है। 

दूसरी तरफ सीरिया में ईरान के समर्थन से राष्ट्रपति बशर-अलअसद विद्राहियों को हराकर देश के बड़े हिस्से पर दोबारा कब्जा करने में सफल हो गए हैं। 

यह बन सकते हैं युद्ध के कारण

हाल के मिसाइल हमले के चलते अगर सऊदी अरब की पहल पर ईरान पर विश्व शक्तियों का प्रतिबंध लगे तो उसका गुस्सा और भड़केगा।

सीरिया, इराक, यमन में दोनों देश अपने समर्थन की सरकारें चाहते हैं। इससे आने वाले दिनों में टकराव और बढ़ेगा।