Results of Russia-Ukraine War: रूस यूक्रेन जंग के बाद अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में क्या होगा बड़ा बदलाव? जानें- एक्सपर्ट व्यू
Results of Russia-Ukraine War यूक्रेन पर रूसी हमले का पांचवां दिन है। भीषण युद्ध के बीच दोनों पक्ष भले ही युद्ध रोकने के लिए बैठक पर भी राजी हो गए है लेकिन सवाल यह है कि अगर यूक्रेन नहीं झुका तब क्या होगा।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Tue, 01 Mar 2022 09:36 AM (IST)
नई दिल्ली/कीव, जेएनएन। Results of Russia-Ukraine War: यूक्रेन पर रूसी हमले का पांचवां दिन है। भीषण युद्ध के बीच दोनों पक्ष भले ही युद्ध रोकने के लिए बैठक पर भी राजी हो गए है, लेकिन सवाल यह है कि अगर यूक्रेन नहीं झुका तब क्या होगा? ऐसी स्थिति में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के पास क्या विकल्प है? क्या यूक्रेन दो हिस्सों में टूट जाएगा? रूस की भारी बमबारी के बीच यूक्रेन को अमेरिका और यूरोपीय देशों से सामरिक मदद मिलने लगी है। इसके साथ ही रूस की वित्तीय घेराबंदी भी की जा रही है। उधर, यूक्रेन के नागरिक भी रूस के साथ दो-दो हाथ करने के लिए आगे आ रहे हैं। दो दिन के भीतर एक लाख लोगों ने हथियार उठा लिए हैं। इन सबका असर पुतिन पर पड़ना लाजिमी है। पांच दिन के युद्ध के बाद दोनों देश आखिर कहां खड़े हैं? आगे क्या-क्या हो सकता है? आइए जानते हैं इस सब सवालों पर विशेषज्ञों की राय।
1- प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि स्थितियां विकराल रूप ग्रहण कर चुकी हैं। रूस पर लगाए गए कठोर प्रतिबंध और यूक्रेन का प्रतिरोध राष्ट्रपति पुतिन के लिए बड़े मुश्किल हालात पैदा कर सकते हैं। एक-दो हफ्ते की लड़ाई के बाद यूक्रेन और रूस संघर्ष-विराम के लिए तैयार हो सकते हैं। रूस की सेना यूक्रेन से पीछे हट जाएगी। क्रीमिया रूस के पास ही रहेगा और डोनबास क्षेत्र यूक्रेन के नियंत्रण के बाहर हो जाएगा। यूक्रेन के सामने दो परिस्थितियां होंगी। वह फिनलैंड की तरह तटस्थ रहेगा या फिर नाटो में शामिल होने के लिए गिड़गिड़ाएगा।
2- उन्होंने कहा कि अगर रूस की सेना शांति से पीछे नहीं हटती तो नाइपर नदी के दोनों तरफ की सेनाएं डटी रहेंगी। रूस का पूर्वी यूक्रेन और क्रीमिया पर पूर्ण नियंत्रण हो जाएगा। ऐसे में यह तनाव बरकरार रहेगा। इससे पश्चिमी यूक्रेन कमजोर हो जाएगा और वह नाटो का हिस्सा बनने के लिए अनुरोध करेगा। उन्होंने कहा कि अगर रूस इस जंग को जीत जाता है तो यूक्रेन के पश्चिमी इलाके और अहम शहरों में गुरिल्ला युद्ध का रूप अख्तियार कर सकता है। यह स्थिति बहुत रक्तरंजित वाली होगी। उन्होंने कहा कि अगर यह जंग लंबी चली तो यूक्रेन की काफी क्षति होगी और वह एक पीढ़ी पीछे चला जाएगा।
3- प्रो. पंत ने कहा कि इस जंग के बाद अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में बड़ा बदलाव आएगा। यह एक नए शीत युद्ध की शुरुआत हो सकती है। उन्होंने कहा कि हालांकि, अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि एक उम्मीद है कि रूस का आक्रमण उसकी उम्मीदों के मुताबिक धीमा और कुंद रहा है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को लेकर पुतिन अपना लक्ष्य हासिल कर भी लें तो वो युद्ध के नतीजों से कैसे निपटेंगे? ऐसे में रूस दुनिया में पहले से ज्यादा अलग-थलग हो जाएगा। रूस के खिलाफ प्रतिबंध और सख्त हो जाएंगे। रूस एक नाकाम राष्ट्र में भी बदल सकता है।
4- उन्होंने कहा कि अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के बाद भी कोई यह यकीन नहीं करता था कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान कर देंगे। यह माना जा रहा था कि पुतिन यूक्रेन के साथ अमेरिका व यूरोपीय देशों पर दबाव बनाने के लिए सेना को सक्रिय कर रहे हैं। उस समय रूसी राष्ट्रपति के दिमाग में क्या चल रहा है इसका अंदाजा किसी को भी नहीं था। सिर्फ कयास ही लगाए जा रहे थे। उन्होंने कहा कि इस जंग में यूक्रेन के लोगों ने जिस तरह से रूसी सेना का विरोध किया है वह पुतिन के लिए बड़ी चुनौती है। इसका प्रभाव पुतिन पर पड़ेगा।
5- उन्होंने कहा कि इस युद्ध से पहले अमेरिका यूक्रेन की हर तरह से सहयोग कर रहा है। अमेरिका पिछले कई महीने से यूक्रेन को एंटी-टैंक मिसाइलें और सैन्य सहयोग दे रहा है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के लिए 35 करोड़ डालर के हथियार भेजने की अनुमति दी है। इसके अलावा कई यूरोपीय देश भी यूक्रेन को सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को यह रक्षा सहयोग खुलेआम दिया जा रहा है। अमेरिका खुलकर यूक्रेन का साथ दे रहा है, इसका एक पहलू ये भी है कि इससे रूस पर दबाव भी बनेगा।