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NASA Moon Missions: ...अब दूर के नहीं होंगे चंदा मामा! NASA के इस अभियान से जगी उम्‍मीद, जानें पूरा मामला

Nasa Moon Mission 2024 अमेरिका ही नहीं अन्‍य देशों की दिलचस्‍पी भी चांद पर है। अमेरिका के साथ भारत रूस जापान दक्षिण कोरिया चांद मिशन लांच करने की तैयारी में जुटे हैं। इसके अलावा कई और देश और कंपनियां इस वर्ष धरती की कक्षा में अपने सैटेलाइट छोड़ने वाली हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Wed, 16 Nov 2022 05:08 PM (IST)
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NASA Moon Missions: ...अब दूर के नहीं होंगे चंदा मामा। एजेंसी।
नई दिल्‍ली, जेएनएन। ...अब चंदा मामा दूर के नहीं रहेंगे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसके लिए कमर कस लिया है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो वर्ष 2025 में हम चांद की गोद में होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि नासा की बड़ी योजना क्‍या है। नासा की इस योजना में कितना खर्च आएगा। कितने देश चांद पर जाने की योजना बना रहे है। इसके साथ यह जानेंगे कि नासा की इस मत्‍वाकाक्षी योजना पर कितना खर्च आएगा।

इन मुल्‍कों की चांद में है दिलचस्‍पी

अमेरिका ही नहीं अन्‍य देशों की दिलचस्‍पी भी चांद पर है। अमेरिका के साथ भारत, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया भी चांद मिशन लांच करने की तैयारी में जुटे हैं। इसके अलावा कई और देश और कंपनियां इस वर्ष धरती की कक्षा में अपने सैटेलाइट छोड़ने वाली हैं। गौरतलब है कि बीते एक वर्ष में कोई अंतरिक्ष यान चांद पर नहीं उतरा और न ही किसी मुल्‍क ने कोई मिशन चांद पर भेजा है।

हालांकि, अब हमें चांद से जुड़ी खबरें मिलती रहेंगी। कई मुल्‍कों ने चांद के लिए विशेष योजना बनाई है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इस वर्ष आर्टेमिस प्रोगाम शुरू कर चुका है। इसके तहत उसने पहली महिला अंतरिक्ष यात्री को चांद पर भेजा है। इसके साथ यह उम्‍मीद जगी है कि भविष्‍य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जरूरी उपकरण व सामान चांद पर भेजा जा सकेगा।

क्‍या है अमेरेका की चांद पर योजना

1- नासा की यह योजना है कि चांद पर एक ऐसा आर्टेमिस बेस कैप तैयार करे, जहां अंतरिक्ष यात्री ठहर सकें। इसके साथ नासा अंतरिक्ष पर एक गेटवे भी तैयार करेगा, जहां रुक कर अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह तक बढ़ने की अपनी यात्रा पूरी कर सकेंगे। इसके तहत एक अत्‍याधुनिक मोबाइल घर और एक रोवर होगा। इसके जरिए चांद पर अभूतपूर्व रूप से खोजी अभियान को अंजाम दिया जा सकेगा। नासा के इस महत्‍वाकांक्षी परियोजना का मकसद वर्ष 2025 तक एक बार फ‍िर इंसान को चांद की सतह पर उतारना है। हालांक‍ि, नासा का यह मिशन यहीं समाप्‍त नहीं होता, बल्कि उसके मकसद का यह पहला कदम है।

2- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 1972 में अपोलो मिशन चंद्रमा पर रवाना किया था। इसके 50 वर्ष बाद मून मिशन की लांचिंग की जा रही है। इस बार स्‍पेसक्राफ्ट आरियन को अंतरिक्ष में जाने के लिए नासा ने दुनिया के सबसे ताकतवर राकेट एसएलएस बनाया है। अमेरिका 53 वर्ष बाद एक बार फ‍िर आर्टेमिस मिशन के जरिए इंसानों को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है। 2024 के आसपास आर्टेसि-2 को लांच करने की योजना है। इसमें कुछ अंतरिक्ष यात्री भी जाएंगे। हालांकि, अंतरिक्ष यात्री चांद पर कदम नहीं रखेंगे। वह सिर्फ चांद के आर्बिट में घूमकर वापस आ जाएंगे। इस मिशन की अवधि ज्‍यादा होगी।

3- नासा का फाइनल मिशन आर्टेमिस-3 को रवाना किया जाएगा। इसमें जाने वाले अंतरिक्ष यात्री चांद पर उतरेंगे। यह मिशन 2025 तक लांच किया जा सकता है। चांद के इस मिशन में पहली बार महिलाएं हिस्‍सा बनेंगी। अंतरिक्ष यात्री चांद के साउथ पोल में मौजूद पानी और बर्फ की खोज करेंगे। इस मिशन के बारे में नासा के एक प्रशासक बिल नेल्‍सन ने कहा था कि हम सब लोग जो चांद को निहारते हैं, उस दिन का सपना देखते हैं कि इंसान फ‍िर से चांद पर कदम रखे। उन्‍होंने कहा था कि अब वक्‍त आ गया है कि हम दोबारा वहां जा रहे हैं।

नासा की 7,434 अरब रुपये की चांद योजना

नासा की यह महत्‍वाकांक्षी योजना है। वर्ष 2012 से 2025 तक इस प्रोजेक्‍ट में 93 बिलियन डालर यानी करीब 7434 अरब रुपये खर्च का अनुमान है। हर फ्लाइट 4.1 बिलियन डालर यानी 372 अरब रुपये की पड़ेगी। इस योजना पर अब तक 37 बिलियन डालर यानी 2,949 अरब रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

चांद पर पानी मिलने के संकेत

चांद पर पानी होने के संकेत मिले हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रमा पर कहीं अधिक मात्रा में पानी मौजूद है। चंद्रमा पर बेस कहां हो यह बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि पानी कहां है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि चंद्रमा की सतह का करीब 40 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पानी की क्षमता रखता है। चांद की सतह पर मौजूद यह बर्फीले पानी की सतह चंद्रमा पर अर्थव्‍यवस्‍था के लिए आधार तैयार करने में मददगार साबित हो सकता है।

दशकों से टल रही है नासा की यह योजना

नासा का मिशन मून योजना दशकों से टल रहा है। एसएलएस राकेट का प्‍लान वर्ष 2010 में अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में बना था। ओबामा अंतरिक्ष यात्री को चांद पर भेजना चाहते थे, लेकिन मिशन में देरी के बाद सरकार ने इसे बंद करने का फैसला लिया। हालांकि, अमेरिकी संसद ने इस मिशन को जिंदा रखा। एसएलएस राकेट की योजना को जारी रखने लिए कहा गया। इसके तहत राकेट को लांचिंग वर्ष 2016 में होनी थी। इसके बाद पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन ने वर्ष 2017 में आर्टेसि मिश को आफ‍िशियल नाम दिया। नासा के मिशन में हो रही देरी से सरकार को अरबों डालर का नुकसान हुआ है।

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