येरूशलम के मुद्दे पर बंटी हुई दुनिया में कई देश इजरायल का साथ देते हुए दिखाई देते हैं तो कई उसके खिलाफ भी हैं। कई देशों की अलग ही राय है। ये मुद्दा फलस्तीन और इजरायल के बीच एक बड़ा विवाद है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 18 Oct 2022 11:58 AM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। येरूशलम का मुद्दा फलस्तीन और इजरायल के बीच वर्षों से तनाव की बड़ी वजह बना हुआ है। इस मुद्दे पर पूरा विश्व भी बंटा हुआ है। यूएन समेत कई देश मानते हैं कि येरूशलम को दोनों ही देशों की राजधानी बना देना चाहिए। कुछ इसको इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता भी देते हैं। अमेरिका जहां येरूशलम को इजरायल की राजधानी मानता है वहीं यूएन का कहना है कि इसको दोनों देशों की राजधानी बना देना चाहिए। यूएन येरूशलम पर इजरायली कब्जे को अवैध मानता है। कई अन्य देशों का कहना है कि ये फलस्तीन का क्षेत्र है जिस पर इजरायल ने अवैध कब्जा किया हुआ है। आइए जानते हैं इस मुद्दे पर किसकी क्या है राय।
यूएन से मेल खाता है ईयू का रुख
वर्ष 2009 में यूएन के तत्कालीन प्रमुख बान की मून ने कहा था कि येरूशलम को दोनों ही देशों की राजधानी बना देना चाहिए। इस मुद्दे पर यूरोपीयन यूनियन भी संयुक्त राष्ट्र की ही राह पर आगे बढ़ा हुआ है। ईयू का कहना है कि वो इस मुद्दे का शांतिपूर्ण हल चाहता है। इस मुद्दे पर ईयू के सुर भी आस्ट्रेलिया की ही तरह हैं। ईयू का कहना है कि पूर्वी येरूशलम में फलस्तीन संस्थानों को दोबारा खोला जाना चाहिए। ईयू ये भी चाहता है कि फलस्तीनियों के साथ इजरायल को प्यार से पेश आना चाहिए और उन्हें वहां पर शिक्षा, स्वास्थ्य, बिल्डिंग परमिट, घर बनाने की इजाजत, आदि की सुविधा दी जानी चाहिए।
येरूशलम पर चीन और ओआईसी का रुख
चीन पूर्वी येरूशलम को फलस्तीन की राजधानी के तौर पर मान्यता देता है। वहीं अमेरिका पश्चिमी येरूशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देता है। इस्लामिक सहयोग संगठन ने इस मुद्दे पर 2017 में एक प्रस्ताव पास कर येरूशलम को फलस्तीन की राजधानी के तौर पर मान्यता दी थी। उन्होंने अन्य देशों से भी ऐसा ही करने का आग्रह किया था। इस प्रस्ताव में पूर्वी और पश्चिमी येरूशलम का जिक्र न कर पूरे येरूशलम की बात कही गई थी।
इजरायल का येरूशलम ला
गौरतलब है कि जब 1980 में इजरायल ने येरूशलम ला को पास किया था तब सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पास कर सभी यूएन सदस्यों से अपने डिप्लोमेटिक मिशन को तेलअवीव में ले जाने का आग्रह किया था। इसके बाद बोल्विया, चिली, कोलंबिया, कोस्टारिका, डोमनिक रिपब्लिक, इक्वाडोर, अलसल्वाडोर, गोटेमाला, हैती, नीदरलैंड, पनामा, ऊराग्वे और वेनेजुएला ने अपने दूतावास को तेलअवीव में शिफ्ट कर दिया था।
रूस देता है मान्यता पर ब्रिटेन का अलग है रुख
रूस इस मुद्दे पर यूएन के साथ जाने की बात करता है लेकिन वो खुलेआम पश्चिमी येरूशलम को इजरायल और पूर्वी येरूशलम को फलस्तीन की राजधानी के तौर पर मान्यता देता है। ब्रिटेन की बात करें तो वो भी येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता नहीं देता है। ब्रिटेन इजरायल द्वारा कब्जा किए गए येरूशलम के क्षेत्र को गैरकानूनी बताता है। ब्रिटेन का कहना है कि इजरायल ने पूर्वी और जोर्डन ने पश्चिमी येरूशलम पर कब्जा किया हुआ है जो कि अवैध है।
फ्रांस, इटली और जापान का रुख इजरायल के खिलाफ
इसी तरह से फ्रांस भी येरूशलम को इजरायल की राजधानी नहीं मानता है। फ्रांस का कहना है कि येरूशलम को दोनों ही देशों की राजधानी बनाना चाहिए। ब्राजील पूर्वी येरूशलम को इजरायल की राजधानी मानता है। इटली, कनाडा और जापान का कहना है कि इस विवाद का हल शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के जरिए निकाला जाना चाहिए। वो भी येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता नहीं देता है।
डेनमार्क, तुर्की और दक्षिण कोरिया का इजरायल को समर्थन
दक्षिण कोरिया येरूशलम को इजरायल की राजधानी मानता है। डेनमार्क समेत कुछ अन्य देश भी येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर स्वीकार करते हैं तो कुछ ऐसा नहीं मानते हैं। तुर्की को छोड़कर दूसरा कोई भी मुल्सिम देश येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर स्वीकार नहीं करता है। गौरतलब है कि वर्ष 2004 में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान इजरायल और फलस्तीन के हिस्से में आए येरूशलम के बीच एक दीवार बनाकर इसको अलग करने की सलाह दी थी।
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