Video: दर्द से कराह रही थी इमारत के मलबे में दबी बच्ची, कई घंटों के बाद किया रेस्क्यू
इदलिब के एक गांव में हुई एयर स्ट्राइक के बाद नजारा बेहद भयावह था। इमारतें मलबे में तब्दील हो चुकी थीं और चीख पुकार की आवाजें आ रही थीं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 23 Dec 2019 09:48 AM (IST)
इदलिब (सीरिया) (एजेंसी)। सीरिया के उत्तर पश्चिमी प्रांत इदलिब के तल मारदिख गांव में तीन दिन पहले जो एयर स्ट्राइक हुई थी, उसका एक दिल दहला देने वाला वीडियो सामने आया है। यह वीडियो एयर स्ट्राइक के बाद एक बच्ची को रेस्क्यू करने का है। इस बच्ची को सीरियन सिविल डिफेंस अकादमी या व्हाइट हेलमेट के कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया था। स्थानीय लोगों के मुताबिक जहां पर ये एयर स्ट्राइक हुई वह एक इंडस्ट्रीयल एरिया था, जहां पर काफी संख्या में सिविलियन रहते थे। इस पूरे इलाके का विद्रोहियों से कोई लेना-देना नहीं था। इसके बावजूद भी इन लोगों पर बम बरसाए गए। इस एयर स्ट्राइक को रूस ने अंजाम दिया था।
दहला देने वाला वीडियो इस वीडियो में देखा जा सकता है कि व्हाइट हेलमेट का रेस्क्यू व्हीकल कैसे एयर स्ट्राइक के बाद उस इलाके की तरफ तेजी से जा रहा है जहां इमारते मलबे में तब्दील हो गई हैं। व्हाइट हेलमेट का दल पहले मलबे से जिंदा लोगों को तलाशने का काम करता है। इसी दौरान उन्हें एक बच्ची के कराहने और चीखने की आवाज सुनाई देती है। 10 से 12 लोगों की रेस्क्यू टीम उस बच्ची की आवाज का अंदाजा लगाते एक जगह पहुंचती है। यह पूरा इलाका मलबे में तब्दील हो चुका था। कोई नहीं जानता था कि मलबे में कहा बच्ची मौजूद है। लेकिन, किसी तरह से उसका पता लगा तो मालूम हुआ कि वह मलबे में तब्दील हो चुके एक विशाल लैंटर के नीचे मौजूद है।
यूं किया रेस्क्यू
रेस्क्यू टीम ने पहले वहां से धीरे-धीरे मलबे को हटाने का काम शुरू किया। इस दौरान बच्ची को आवाज देकर यह मैसेज भी दिया गया कि उसको बचाने के लिए लोग आ गए हैं और उसको बचा लिया जाएगा। बेहद सावधानी के साथ लैंटर के सरियों और उसके कंकरी को किसी सूरत से काटा और तोड़ा गया। काफी जद्दोजहद के बाद जब रेस्क्यू टीम को बच्ची दिखाई दी तो वह मंजर दहला देने वाला था। इस बच्ची का आधा शरीर हजारों टन मलबे से दबा हुआ था। उसके पास में एक पुरुष मृत अवस्था में पड़ा था। बच्ची को सांत्वना दी गई और धीरे-धीरे उसके शरीर के नीचे से मलबे को हटाकर उसको बाहर निकाला गया। इस दौरान बच्ची दर्द से बुरी तरह से कराहती रही। एक पल ऐसा भी आया जब वह बुरी तरह से चिल्ला उठी। दरअसल, उसका पांव मलबे में दबा था और उसको रेस्क्यू टीम के लोग ऊपर खींचने की कोशिश कर रहे थे। इसी वक्त बच्ची दर्द से बुरी तरह से चिल्ला उठी थी। आखिरकार व्हाइट हेलमेट की रेस्क्यू टीम ने इस बच्ची को सकुशल मलबे से बाहर निकाल लिया। इसको तुरंत ही अस्पताल ले जाया गया। बच्ची को जिंदा निकालने वाली रेस्क्यू टीम के हर सदस्य के चेहरे पर इस पल को लेकर खुशी साफतौर पर झलक रही थी।
व्हाइट हेलमेट आपको बता दें कि व्हाइट हेलमेट यहां पर काफी समय से काम कर रहा है। इसमें यहां के स्थानीय लोग शामिल हैं। इसके अलावा इसमें कुछ प्रोफेशनल भी शामिल हैं। पिछले माह इस संगठन को खड़ा करने वाले सह संस्थापक का निधन हो गया था। व्हाइट हेलमेट ने अब तक हजारों लोगों को इसी तरह के मुश्किल हालातों से जिंदा बाहर निकाला है। इस तरह के रेस्क्यू ऑपरेशन में कई बार व्हाइट हेलमेट के ही लोग फंस भी जाते हैं। अब तक सैकड़ों व्हाइट हेलमेट के कार्यकर्ता इस तरह के ऑपरेशन में अपनी जान गंवा चुके हैं। पहले इस संगठन में महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता था, लेकिन अब इसमें महिलाओं को भी शामिल कर लिया गया है। व्हाइट हेलमेट से जुड़े कार्यकर्ताओं की इस तरह की एक नहीं कई कहानियां मौजूद हैं।
ऑब्जरवेटरी का ये कहना सीरिया में काम कर रहे वार मॉनिटरिंग ग्रुप की मानें तो इस दौरान 24 घंटे के हुए हमलों में करीब 60 लोगों की जान चली गई। वहीं ब्रिटेन बेस्ड सीरियन ऑब्जरवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक इस हमले में जेल में बंद 38 विद्रोही भी मारे गए हैं। जहांं पर रूस ने ये एयर स्ट्राइक की वह जगह विद्रोहियों द्वारा कब्जा किए गए मरात अल नुमान के करीब है। इस हमले में सीरियाई सरकार के 23 वफादार भी मारे गए हैं। स्थानीय निवासी यासिर इब्राहिम अल दंडाल के मुताबिक एयर स्ट्राइक के अलावा इस तरह सैकड़ों रॉकेट दागे गए। आपको बता दें कि इदलिब में करीब 30 लाख लोग रहते हैं। इस पूरे इलाके को पूर्व में अल कायदा के हमलों से भी नुकसान हुआ है।
यूएन ने की निंदा संयुक्त राष्ट्र ने भी इन हमलों की कड़ी निंदा की है। गौरतलब है कि सीरिया में छिड़े गृहयुद्ध में वर्ष 2011 के बाद से अब तक 370,000 लोग मारे जा चुके हैं। वहीं लाखों लोगों को इस युद्ध की बदौलत बेघर होना पड़ा है। अप्रैल में यहां पर सीरियाई सेना ने जो हमला किया था उसमें ही करीब एक हजार लोग मारे गए थे, जबकि 40 हजार लोग बेघर हो गए थे। अगस्त में रूस ने यहां पर सीजफायर की घोषणा की थी।
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