ASHA Workers Honored : डब्ल्यूएचओ ने भारत की 10 लाख आशा कार्यकर्ताओं को किया सम्मानित, उनकी प्रशंसा में कही यह बड़ी बात
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने रविवार को भारत की 10 लाख महिला आशा कार्यकर्ताओं को देश में ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने और कोरोनाकाल में महामारी पर लगाम लगाने के अथक प्रयासों के लिए सम्मानित किया।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Mon, 23 May 2022 05:58 AM (IST)
जिनेवा, प्रेट्र। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने रविवार को भारत की 10 लाख महिला आशा कार्यकर्ताओं को देश में ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने और कोरोनाकाल में महामारी पर लगाम लगाने के अथक प्रयासों के लिए सम्मानित किया। ये आशा कार्यकर्ता भारत सरकार से मान्यता प्राप्त हैं और ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की प्रथम इकाई हैं। इनमें से अधिकांश ने भारत में महामारी के चरम के दौरान घर-घर जाकर कोरोना पीडि़तों का पता लगाया।
रविवार को छह पुरस्कारों की घोषणा की डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डा. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसिस ने वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय योगदान, क्षेत्रीय स्वास्थ्य मुद्दों के लिए प्रतिबद्धता और शानदार नेतृत्व करने के लिए रविवार को छह पुरस्कारों की घोषणा की। डा.टेड्रोस ने ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड्स के लिए पुरस्कार विजेताओं का फैसला किया। आशा कार्यकर्ताओं के सम्मान समारोह में उन्होंने कहा कि 'आशा' का हिंदी अर्थ होप (Asha) है। भारत की इन दस लाख से अधिक महिला स्वयंसेवकों ने समुदाय को स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए ये सम्मान की वाकई हकदार हैं।
कोरोना महामारी के दौरान भी इनका कार्य बेहद सराहनीय रहा कोरोना महामारी के दौरान इनका कार्य बेहद सराहनीय रहा है। इन आशा कार्यकर्ताओं ने बच्चों में होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए टीकाकरण, मातृ देखभाल में भी काम किया है। यही नहीं, सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल, तपेदिक के उपचार, पोषण और स्वच्छता के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खासकर ऐसे समय में जब दुनिया असमानता, संघर्ष, खाद्य असुरक्षा और कोरोना के संकट का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि इन पुरस्कार विजेताओं में आजीवन समर्पण और मानवता की निस्वार्थ सेवा शामिल है।
अफगानिस्तान की टीम को भी किया गया सम्मानित अन्य उल्लेखनीय सम्मानों में अफगानिस्तान के पोलियो टीकाकरण कर्मियों की टीम थी, जिन्हें इस साल फरवरी में देश के तखर और कुंदुज प्रांतों में सशस्त्र बंदूकधारियों ने मार डाला था। इन कार्यकर्ताओं में मोहम्मद जुबैर खलजई, नजीबुल्लाह कोशा, शादाब योसुफी, शरीफुल्लाह हेमती, हसीबा ओमारी, खदीजा अत्ताई, मुनीरा हकीमी, रोबिना योसुफी और उनके भाई शादाब शामिल हैं। इनमें से चार कार्यकर्ता जो महिलाएं थीं, उत्तर-पूर्वी अफगानिस्तान में घर-घर के अभियानों के माध्यम से हजारों बच्चों तक पहुंच रही थीं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान दुनिया के दो ऐसे देश हैं, जहां पोलियो के मामले सबसे ज्यादा पाए जाते हैं।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों से इस अपंग वायरस को मिटाने के प्रयासों को हाल के वर्षों में आतंकवादियों द्वारा टीकाकरण टीमों को गंभीर रूप से बाधित किया गया है। जो इन अभियानों का विरोध करते हैं, वे दावा करते हैं कि पोलियो की बूंदें बांझपन का कारण बनती हैं।अन्य सम्मानों में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में वैश्विक स्वास्थ्य और सामाजिक चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन पार्टनर्स इन हेल्थ के सह-संस्थापक डॉ पॉल फार्मर शामिल हैं, जिनका इस साल फरवरी में रवांडा में निधन हो गया।