Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Nancy Pelosi Visit to Taiwan: चीन ने सेना को दी खुली छूट, बैकफुट पर आया अमेरिका, नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर पूरी तरह से मौन

Nancy Pelosis visit to Taiwan नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या अमेरिका चीन की सैन्‍य धमकी से डर गया। आखिर उसने नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर मौन क्‍यों हो गया। आखिर इसके पीछे बड़ी वजह क्‍या है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Mon, 01 Aug 2022 11:14 AM (IST)
Hero Image
Nancy Pelosi Visit to Taiwan: चीन ने सेना को दी खुली छूट, बैकफुट पर आया अमेरिका। एजेंसी।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Nancy Pelosi Visit to Taiwan: चीन की सैन्‍य धमकी के बाद अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर अमेरिका बैकफुट पर आ गया है। चीन ने नैंसी की ताइवान यात्रा का विरोध किया है, उसने कहा कि अगर नैंसी ताइवान की सीमा में प्रवेश करती हैं तो सैन्‍य हस्‍तक्षेप किया जाएगा। चीन ने अपनी सेना को खुली छूट दी है। चीन के इस कदम के बाद अमेरिका नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर पूरी तरह से मौन है। ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका नैंसी की यात्रा पर क्‍यों मौन है। क्‍या वह चीन की धमकी से डर गया है। आखिर इसके पीछे बड़ी वजह क्‍या है। 

चीन ने अमेरिका को दी युद्ध की धमकी

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के कमेंटेटर हू जिजिन ने ट्विटर पर लिखा है कि अगर अमेरिकी सेना के लड़ाकू विमान ताइवान में नैंसी के विमान को एस्कार्ट करते हैं तो यह आक्रमण माना जाएगा। चीनी सेना ने चेतावनी देते हुए कहा कि नैंसी के विमान और अमेरिकी लड़ाकू विमानों को बलपूर्वक रोकने का अधिकार है। अगर ये प्रभावी नहीं होता है तो उन्हें मार गिरा दें। इसके पूर्व चीन ने अमेरिका को 'रेड लाइन' पार नहीं करने की सख्‍त चेतावनी दी थी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिन ने शुक्रवार को कहा था कि अगर नैंसी ताइवान आती हैं तो अमेरिका को इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। कर्नल टैन केफेई ने चाइना डेली को बताया कि अगर अमेरिकी पक्ष आगे बढ़ने पर जोर देता है तो चीनी सेना हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठेगी और ताइवान में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप और अलगाववादी कोशिशों को नाकाम करने के लिए कड़े कदम उठाएगी।

नैंसी की ताइवान यात्रा को लेकर अमेरिका ने बीच का रास्‍ता निकाला

विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि यह पहली बार हुआ है, जब ताइवान को लेकर अमेरिका ने युद्ध तक की धमकी दी है। उसने अपने सैनिकों को खुली छूट दी है। इतना ही नहीं उसने इस विवाद के कूटनीतिक रास्‍ते भी बंद कर दिए। नैंसी की यात्रा को लेकर अमेर‍िकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन और चीनी राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग की फोन वार्ता भी निष्‍फल रही। ऐसे में अमेरिका के पास दो ही विकल्‍प थे या तो वह चीन को युद्ध के लिए ललकारता या नैंसी की यात्रा को रद करता। अमेरिका ने बीच का रास्‍ता निकला और नैंसी की ताइवान की यात्रा पर पूरी तरह से मौन हो गया।

 

बाइडन प्रशासन की ताइवान नीति में बदलाव

प्रो पंत ने कहा कि ताइवान के मुद्दे को बाइडन प्रशासन चीन के साथ दो-दो हाथ करने के मूड में नहीं है। इसके पूर्व बाइडन प्रशासन की अफगानिस्‍तान के मामले में काफी किरकिरी हो चुकी है। ऐसे में वह ताइवान को लेकर इस प्रकार की फजीहत नहीं चाहता है। चीन के साथ कूटनीतिक रास्‍ते बंद होने के बाद उसने नैंसी की यात्रा से ताइवान का एजेंडा ही हटा लिया। यही कारण है कि नैंसी ने अपने ताइवान यात्रा के बारे में मीडिया को कुछ नहीं बताया। उन्‍होंने कहा कि अब यह तय हो गया है कि बाइडन प्रशासन इसका समाधान कूटनीति के जरिए ही निकलना चाहेगा। बाइडन और चिनफ‍िंग की फोन वार्ता को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जाना चाहिए। नैंसी यात्रा के बाद बाइडन प्रशासन जरूर चीन के साथ कूटनीतिक प्रयास को तेज करेगा। 

चीन ने अमेरिका की कमजोर नस को दबाया

प्रो हर्ष वी पंत का कहना है चीन यह जान चुका है कि बाइडन प्रशासन ताइवान के मामले में जंग की स्थिति में नहीं है। उसने इसका फायदा उठाते हुए अपने सैनिकों को खुली छूट दी है। चीन यह जानता है कि यूक्रेन जंग के बाद अमेरिका किसी युद्ध में नहीं उलझना चाहता, ऐसे में उसने ताइवान पर आक्रामक रुख अख्तियार किया है। उन्‍होंने कहा कि दोनों देशों में पहली बार इस तरह का तनाव देखा गया है। उन्‍होंने कहा कि निश्‍चित रूप से युद्ध जैसे आसार हैं। उन्‍होंने कहा कि ताइवान को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। यूक्रेन जंग के बाद चीन के हौसले बुलंद हुए हैं। वह ताइवान को लेकर ज्‍यादा आक्रामक हुआ है। अब यह देखना दिलचस्‍प होगा कि भविष्‍य में बाइडन प्रशासन इस पर क्‍या प्रतिक्रिया देता है।

आखिर कौन हैं नैंसी पेलोसी

बता दें कि ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन एक बार फ‍िर आमने-सामने हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह अमेरिकी संसद की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की प्रस्‍तावित ताइवान यात्रा है। पेलोसी अपनी एशिया यात्रा के दौरान जापान, साउथ कोरिया, मलेशिया और सिंगापुर की यात्रा करेंगी। अमेरिका के कैलिफोर्निया से डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद नैंसी पलोसी अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की स्पीकर हैं।

वह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बाद अमेरिका की तीसरी सबसे ताकतवर शख्सियत हैं। अगर वे ताइवान की यात्रा करती हैं तो वे साल 1997 के बाद ऐसा करने वालीं अमेरिका की सबसे वरिष्ठ नेता होंगी। चीन ने इस पर अपना सख्‍त ऐतराज जताया है। चीन ने कहा है कि अगर नैंसी पेलोसी चीन की यात्रा करती हैं तो वह उसका सैन्‍य जवाब देगा।