NATO के अनुच्छेद-5 से क्यों खौफ खाते हैं दुश्मन देश, पोलैंड पर मिसाइल गिरने के बाद अलर्ट हुई नाटो सेना
NATO Article 5 नाटो के अनुच्छे 5 में कहा गया है कि किसी सदस्य देश पर आक्रमण की स्थिति में सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा। ऐसी स्थिति में सभी सदस्य देश एकजुट होकर दुश्मन देश के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को अंजाम देंगे।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Fri, 18 Nov 2022 06:55 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। यूक्रेन जंग के दौरान पोलैंड पर गिरी मिसाइल पर अमेरिका समेत जी-7 के देश आखिर चौंकन्ने क्यों हो गए। बाली में जी-20 की बैठक में शिरकत कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का बयान भी सामने आ गया। थोड़ी देर के लिए जी-20 की बैठक ठप हो गई। इस बीच रूस ने भी इस मिसाइल से अपना पल्ला झाड़ लिया। संयुक्त राष्ट्र भी हरकत में आ गया। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि यह कदम यूक्रेन जंग को और भड़काने वाला है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यूक्रेन जंग के बीच पोलैंड का मामला इतना संवेनशील क्यों है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने जी-20 की अहम बैठक के बीच इस मुद्दे को क्यों संज्ञान में लिया। आइए जानते है इसके पीछे क्या बड़ी वजह रही।
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि पोलैंड की स्थिति यूक्रेन से अलग है। पोलैंड, नाटो का सदस्य देश है, जबकि यूक्रेन नाटो का हिस्सा नहीं है। अलबत्ता, अमेरिका व पश्चिमी देश यूक्रेन को आर्थिक सहायता और हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं। इसके चलते यह जंग लंबी खिंच रही है। प्रो पंत ने कहा कि चूंकि पोलैंड, नाटो का सदस्य देश है। इसलिए अमेरिका व नाटो के लिए यह मुद्दा अतिसंवेदनशील है। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन की नौ महीने से चली आ रही जंग में ऐसा पहली बार हुआ है, जब नाटो देश की जमीन पर हमला हुआ है।
2- प्रो पंत ने कहा कि पोलैंड में यह मिसाइल ऐसे समय गिरी, जब रूसी सेना यूक्रेन पर ताबड़तोड़ मिसाइल हमले कर रही थी। ऐसे में एक मिसाइल पोलैंड में भी जा गिरी। उस दौरान अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश इंडोनेशिया के बाली शहर में जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए एकत्र हुए थे। ऐसे में अमेरिका व उसके सहयोगी राष्ट्रों को यह अंदेशा हुआ कि रूसी सेना ने नाटो देश पोलैंड को भी निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि अगर रूसी सेना की ओर से यह हमला सिद्ध हो जाता है, तो निश्चित रूप से इस जंग में नाटकीय बदलाव आ सकता था।
3- उन्होंने कहा कि यूक्रेन जंग में अमेरिका व नाटो ने एक दूरी बनाकर रखी है। हालांकि, यूक्रेन और रूस से सटे नाटो संगठन के कई देश हैं, जिनकी मास्को से अनबन है। इसके चलते नाटो सेना हाई अलर्ट मोड पर है। यूक्रेन जंग के दौरान नाटो संगठन से जुड़े कई देशों से रूस के रिश्ते काफी तल्ख चल रहे हैं, ऐसे में नाटो सेना हाई अलर्ट पर है। अगर रूस ने इस पर सैन्य कार्रवाई शुरू की तो नाटो सेना इसका सख्ती से जवाब देगी। यह कदम रूस को मुश्किलों में डाल सकता है।
4- प्रो पंत ने कहा कि फिलहाल इस बात की जांच जारी है कि पोलैंड में गिरी मिसाइल किसकी है। इस बारे में अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। पोलैंड सरकार भी इस बात की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर यह हमला रूस ने किया होता तो अब तक युद्ध का विस्तार हो चुका होता। यह पोलैंड पर हमला माना जाता और नाटो सेना सक्रिय हो जाती। उन्होंने कहा कि नाटो संगठन की सक्रियता का मतलब इस जंग में अमेरिका को आगे आना पड़ता। उन्होंने कहा तब यह युद्ध यूक्रेन बनाम रूस का नहीं रह जाता।
5- प्रो पंत ने कहा कि फिलहाल यूक्रेन नाटो का एक सहयोगी देश है। नाटो का सहयोगी होने के कारण भविष्य में यूक्रेन को नाटो संगठन में शामिल किया जा सकता है। दरअसल, यूक्रेन पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रहा है। यह देश भौगोलिक रूप से यूरोपीय संघ से सटा हुआ है। यूक्रेन में रूसी मूल के लोगों की एक बड़ी आबादी है। सोवियत संघ से पृथक होने के बाद यूक्रेन का झुकाव पश्चिम की तरफ अधिक रहा है। यही बात रूस को सालती रही है। रूस यूक्रेन के बीच चल रही जंग की जड़ में भी यही है।
आखिर क्या है नाटो का नियम 4 और 5 1- नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइज़ेशन यानी नाटो 1949 में बना एक सैन्य गठबंधन है। प्रारंभ में इस संगठन में 12 देश शामिल थे। इनमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल थे। नाटो का मूल सिद्धांत ये है कि यदि किसी एक सदस्य देश पर हमला होता है तो बाकी देश उसकी मदद के लिए आगे आएंगे। नाटो संगठन में कोई भी एशियाई मुल्क शामिल नहीं है। इसका मकसद दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस के यूरोप विस्तार को रोकना था।
2- मौजूदा समय में नाटो संगठन में 30 देश शामिल हैं। नाटो के अनुच्छेद 5 में कहा गया है कि किसी सदस्य देश पर आक्रमण की स्थिति में सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा। ऐसी स्थिति में सभी सदस्य देश एदकजुट होकर दुश्मन देश के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को अंजाम देंगे।3- इसके अलावा नाटो के अनुच्छेद 4 के तहत जब किसी सदस्य देश की सुरक्षा को कोई खतरा होगा तब संगठन के सभी सदस्य देश आपस में बैठक करेंगे और उन हालातों के बाहर निकालने की योजना तैयार करेंगे। पोलैंड भी इसी अनुच्छेद के तहत नाटो देशों की आपात बैठक बुलाना चाहता है। इस अनुच्छेद के तहत जब भी किसी सदस्य देश की क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता को खतरा पैदा होता है तब सभी सदस्य देश मिलकर उसका सामना करेंगे।