QUAD vs China: चीन को फूटी आंख क्यों नहीं सुहाता क्वाड? जानें-इसके 5 बड़े कारण, क्या है इसका भारत से लिंक
चीन ने क्वाड की तुलना नाटो संगठन से की है। चीन का तर्क है कि क्वाड क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए घातक है। ड्रैगन क्वाड को अमेरिका की बड़ी साजिश मानाता है। आखिर चीन का क्वाड से क्या बैर है। उसने क्वाड की तुलना नाटो से क्यों की।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Wed, 25 May 2022 01:52 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। जापान की राजधानी टोक्यो में क्वाड देशों के सम्मेलन के साथ चीन की बेचैनी बढ़ गई है। चीन पूरी तरह से बौखलाया हुआ है। उसने क्वाड की तुलना नाटो संगठन से की है। चीन का तर्क है कि क्वाड क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए घातक है। ड्रैगन क्वाड को अमेरिका की बड़ी साजिश मानाता है। आखिर चीन का क्वाड से क्या बैर है। उसने क्वाड की तुलना नाटो से क्यों की। इससे भारत का क्या लिंक है। आइए जानते हैं कि क्वाड और चीन के बीच बैर के पांच प्रमुख कारण क्या है।
आखिर क्वाड से क्यों चिढ़ता है चीन
1- चीन की आक्रामकता के चलते उसके पड़ोसी मुल्कों में जो एकजुटता है, उससे चीन का चितिंत होना लाजमी है। क्वाड संगठन से चीन की विस्तारवादी योजना पर विराम लग सकता है। चीन को घेरने के लिए भारत, जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र के 13 देश एकजुट हुए हैं। भारत चीन सीमा विवाद के बीच क्वाड की इस बैठक ने चीन को और चिंता में डाल दिया है। इसके साथ भारत और जापान की गाढ़ी होती दोस्ती चीनी हितों के प्रतिकूल है।
2- क्वाड फिलहाल चार देशों का संगठन है। इसमें अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत शामिल है। इन चारों मुल्कों से चीन के संबंध अच्छे नहीं हैं। भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीनी आक्रमकता को लेकर अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ संबंध काफी तल्ख हो चुके हैं। चीन के आक्रामक रुख का जवाब देने को ही एक जैसी सोच और मूल्य रखने वाले मुल्क एक साथ आए। चीन यह कह चुका है कि नाटो के विस्तार ने जिस तरह से यूरोप में जंग के हालात पैदा किए हैं, उसी तरह से हिंद प्रशांत क्षेत्र में क्वाड के गठन से यहां अस्थिरता बढ़ेगी। यह संगठन यहां की स्थिरता के लिए बड़ी बाधा है। यह क्षेत्र में उथल-पुथल बढ़ाएगा।
3- क्वाड का मतलब है क्वाडिलैटरल सिक्योरिटी डायलाग है। क्वाड के चार सदस्य देश अमेरिका, जापान, भारत और आस्ट्रेलिया हैं। चीन इस ग्रुप का विरोधी रहा है। पिछले साल इसकी बैठक के बाद चीन ने कहा था कि क्वाड चीन हितों का विरोधी है। उसने कहा था कि यह चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने की साजिश है। उसने इसे बंद और विशिष्ट गुट बताया था। हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि क्वाड एक अनौपचारिक सभा है, जिसके निशाने पर कोई देश नहीं है।
4- भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया का यह समूह चीन को फूटी आंख नहीं सुहाता। उसे लगता है कि क्वाड के रूप में एशिया के भीतर नाटो जैसा समूह बना दिया गया है। चीन को यह लगता है कि यह अमेरिकी सैन्य रणनीति का हिस्सा है। चीन का दावा है कि अमेरिका व पश्चिमी देशों ने जिस तर्ज पर नाटो का गठन किया है उसी तर्ज पर अमेरिका ने क्वाड का गठन किया है। नाटो का मकसद रूस की घेराबंदी करना है और क्वाड का मकसद चीन को रणनीतिक रूप से घेरना है। यह संयोग है कि इस संगठन में शामिल चारों देशों से चीन से विवाद चल रहा है।
5- इस संगठन को चीन एक विचारधारा की लड़ाई भी मानता है। चीन में साम्यवादी शासन है, जबकि क्वाड में शामिल चारों देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। अमेरिका शुरू से इस बात की वकालत करता रहा है कि लोकतांत्रिक मूल्यों वाले सभी देशों को एक मंच साझा करना चाहिए। अमेरिका मूल्यों व व्यवस्था के आधार पर चीन और रूस को पूरी तरह से अलग-थलग करना चाहता है। नाटो संगठन में भी एक विचारधारा व मूल्यों वाले मुल्क शामिल हैं, उसी तरह से क्वाड में भी एक विचारधारा व मूल्यों वाले देश शामिल हैं। इसलिए चीन को क्वाड और खटकता है।
क्वाड की स्थापना कैसे हुईवर्ष 2007 में पहली बार क्वाड का विचार सामने आया था। सबसे पहले जापान ने क्वाड बनाने की पहल की थी। उस वक्त भी चीन और रूस ने इस विचार का विरोध किया था। वर्ष 2008 में आस्ट्रेलिया और भारत इस ग्रुप से बाहर थे। दस वर्षोा तक यह विचार रुका रहा। फिर वर्ष 2017 में इस पर सक्रिय तरीके से काम शुरू हुआ। नवंबर, 2017 में अमेरिका, आस्ट्रेलिया, भारत और जापान ने क्वाड की स्थापना के लंबित प्रस्ताव को एक आकार दे दिया। इसका मकसद सामरिक रूप से अहम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के बीच प्रमुख समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए एक नई रणनीति विकसित करना था।