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G-20 summit and India: भारत के लिए क्‍यों उपयोगी है G-20 की बैठक, बाली में क्‍या होगा PM मोदी का बड़ा एजेंडा

G-20 summit and India ऐसे में सवाल उठता है कि G-20 की बैठक भारत के लिए क्‍यों उपयोगी है। बाली जा रहे पीएम मोदी का क्‍या बड़ा एजेंडा है। इसके अलावा भारत के समक्ष क्‍या चुनौतियां होंगी। खासकर तब जब वर्ष 2023 में भारत G-20 की अध्‍यक्षता करेगा।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sat, 12 Nov 2022 11:54 AM (IST)
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G-20 summit and India: G-20 की बैठक में क्‍या होगा PM मोदी का बड़ा एजेंडा। एजेंसी।
नई दिल्‍ली, जेएनएन। G-20 summit and India: इंडोनेशिया के बाली में G-20 की बैठक पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी है। भारत के लिए G-20 की यह बैठक काफी उपयोगी मानी जा रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक में शिरकत करेंगे। इसकी तैयारी जोरों पर चल रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि G-20 की बैठक भारत के लिए क्‍यों उपयोगी है। बाली जा रहे पीएम मोदी का क्‍या बड़ा एजेंडा है। इसके अलावा भारत के समक्ष क्‍या चुनौतियां होंगी। खासकर तब जब वर्ष 2023 में भारत G-20 की अध्‍यक्षता करेगा। इस पर क्‍या है विशेषज्ञों की राय।

भारत के लिए क्‍यों अहम है G-20 की बैठक

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि भारत के लिहाज से बाली में होने वाली G-20 बैठक काफी अहम है। यह इस लिहाज से उपयोगी है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्‍मेलन में शिरकत करेंगे। बाली में G-20 का सम्‍मेलन ऐसे समय हो रहा है, जब ब्रिटेन में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक शिरकत कर रहे हैं। इसके अलावा फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी इस सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने के लिए बाली पहुंचेंगे। फ्रांस के राष्‍ट्रपति मैक्रों और ऋषि सुनक से मोदी की द्विपक्षीय बैठक तय है। इसके साथ मोदी की इंडोनेशिया के राष्‍ट्रपति जोको विदोदो के साथ भी द्व‍िपक्षीय वार्ता सुनिश्चित है। G-20 में पीएम मोदी की होने वाली द्व‍िपक्षीय वार्ता में यह सबसे अहम है।

2- प्रो पंत ने कहा कि यूक्रेन जंग के बाद अमेरिका व कुछ पश्चिमी देश भारत की तटस्‍थता की नीति से असहमत थे। ऐसे में यह मंच एक बार फ‍िर भारत को यूक्रेन जंग के प्रति दृष्टिकोण को रखने का बेहतर मंच प्रदान करता है। भारत ने हर मंच से युद्ध की भर्त्‍सना की है। भारत ने कहा कि वह शांतिप्रिय देश है। वह किसी भी समस्‍या का समधान कूटनीति और वार्ता के जरिए करने में विश्‍वास करता है।

3- इसके अलावा यह उम्‍मीद की जा रही है कि ऋषि सुनक और मोदी के एफटीए को लेकर भी वार्ता हो सकती है। इस वार्ता में एफटीए को लेकर सहमति बन सकती है। इसके साथ दोनों देशों के बीच द्व‍िपक्षीय रिश्‍तों को लेकर रोडमैप 2030 की दिशा भी तय होने की संभावना है। गौरतलब है कि इस रोडमैप की घोषणा वर्ष 2021 में पीएम मोदी और ब्रिटेन के पूर्व पीएम बोरिस जानसन ने की थी। ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह आगे नहीं बढ़ सकी। अब उम्‍मीद की जा रही है कि यह एक दिशा में अग्रसर होगी।

4- इसी तरह पीएम मोदी और फ्रांस के राष्‍ट्रपति के बीच होने वाली द्व‍िपक्षीय वार्ता को कूटनीतिक लिहाज से काफी उपयोगी माना जा रहा है। दोनों नेताओं के बीच होने वाली वार्ता को रणनीतिक और सामरिक लिहाज से भी काफी उपयोगी माना जा रहा है। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है, जब फ्रांस ने हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी नई कूटनीति लागू की है। इसमें फ्रांस ने भारत को एक प्रमुख सहयोगी राष्‍ट्र बताया है। इसकी बुनियाद वर्ष 2022 में दोनों नेताओं के बीच बैठक में तय हुई थी। उस दौरान दोनों नेताओं के बीच हिंद प्रशांत सहयोग को लेकर चर्चा हुई थी। बाली में दोनों नेता इस चर्चा को अंतिम रूप दे सकते हैं।

5- बाली में अमरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग भी शिरकत करेंगे। सम्‍मेलन के पूर्व अमेरिकी राष्‍ट्रपति बाइडन पीएम मोदी से मिलने की इच्‍छा जता चुके हैं। इसलिए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों नेताओं की मुलाकात संभव है। यह उम्‍मीद इसलिए भी जगी है क्‍योंकि क्‍वाड के सदस्‍य देश के नाते भारत, अमेरिका का रणनीतिक साझेदार भी है। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के कोई संकेत नहीं मिले है। इसके अलावा अमेरिका व पश्चिमी देशों को यह उम्‍मीद है कि यूक्रेन जंग खत्‍म करने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है। अब यह देखना दिलचस्‍प होगा कि बाली में क्‍या यूक्रेन जंग का मुद्दा गरमाता है। इसके साथ क्‍या पश्चिमी देश और अमेरिका, भारत को इस भूमिका के लिए तैयार कर सकते हैं।

वर्ष 2023 में जी-20 की अध्‍यक्षता करेगा भारत

प्रो पंत ने कहा कि जी-20 का 17वां शिखर सम्‍मेलन नवंबर, 2022 में इंडोनेशिया के बाली में होगा। इसके बाद एक वर्ष की अवधि के लिए भारत जी-20 की अध्‍यक्षता करेगा। भारत जी-20 की अध्‍यक्षता ऐसे समय करेगा जब अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति में तेजी से बदलाव आया है। यूक्रेन जंग और तइवान को लेकर वैश्विक परिदृश्‍य में तेजी से बदलाव आया है। रूस यूक्रेन जंग में भारत की तटस्‍थता की नीति को लेकर अमेरिका व पश्चिमी देशों में मतभेद भी उभर कर सामने आया है। भारत ने इस संगठन के संस्‍थापक सदस्‍य के रूप में दुनिया भर में सबसे कमजोर लोगों को प्रभावित करने वाले महत्‍वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए इस मंच का उपयोग किया है। ऐसे में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती जी-20 के विचारों एवं लक्ष्‍यों की रक्षा करने के साथ भू-राजनीतिक मतभेदों के कारण इसे विखंडन से बचाने की होगी।

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