भारत के लिहाज से इस बार क्यों अहम है G-20 की बैठक, क्या होगी 2023 की बड़ी चुनौती
रूस यूक्रेन जंग को देखते हुए जी-20 की चुनौतियां बड़ी हो गई है। इंडोनेशिया के बाद भारत जी-20 की अध्यक्षता करेगा और 2023 में भारत में सदस्य देशों की बैठक होनी है। ऐसे में भारत के समक्ष इसके आयोजन और जी-20 के लक्ष्यों को हासिल करने की चुनौती होगी।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Mon, 10 Oct 2022 05:49 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। रूस यूक्रेन जंग को देखते हुए जी-20 की चुनौतियां बड़ी हो गई है। इंडोनेशिया के बाद भारत जी-20 (G-20 Summit) की अध्यक्षता करेगा और 2023 में भारत में सदस्य देशों की बैठक होनी है। ऐसे में भारत के समक्ष इसके आयोजन और जी-20 के लक्ष्यों को हासिल करने की चुनौती होगी। यह चुनौती तब कठिन हो जाती है, जब रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine war) में पूरी दुनिया बंटी हुई है। भारत भी पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद में उलझा हुआ है। ऐसे में भारत इन चुनौतियों से कैसे पार पाएगा। क्या है जी-20 के गठन का लक्ष्य।
अगले साल जी-20 की मेजबानी करेगा भारत
1- 17वां G-20 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों का शिखर सम्मेलन नवंबर 2022 में इंडोनेशिया में होगा। इसके बाद भारत दिसंबर 2022 से G-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। भारत एक वर्ष की अवधि के लिए G-20 की अध्यक्षता करेगा। विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि भारत वर्ष 2023 में नई दिल्ली में 20 समूह के नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। भारत ने जी-20 के संस्थापक सदस्य के रूप में दुनिया भर में सबसे कमजोर लोगों को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए इस मंच का उपयोग किया है। हालांकि, बेरोजगारी में वृद्धि और गरीबी के कारण इसके लिए प्रभावी ढंग से नेतृत्त्व करना मुश्किल है।
2- भारत जी-20 की अध्यक्षता ऐसे समय करेगा, जब अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तेजी से बदलाव आया है। रूस यूक्रेन जंग और ताइवान मामले में चीन-अमेरिका के बीच चल रहे तनाव के चलते वैश्विक परिदृश्य में काफी बदलाव आया है। रूस यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थता नीति को लेकर अमेरिका और पश्चिमी देशों के बीच मतभेद उभर कर आया है। संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ अमेरिका व पश्चिमी देशों द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर मतदान में भारत गैरहाजिर रहा है। भारत की यह रणनीति अमेरिका व पश्चिमी देशों को अखर रही है।
3- भारत के लिए बड़ी चुनौती जी-20 के विचारों एवं लक्ष्यों की रक्षा करने के साथ इंडोनेशिया की सहायता और भू-राजनीतिक मतभेद के कारण इसे विखंडन से बचाने की होगी, जहां एक मंच में एक साथ बैठ कर नेता एक-दूसरे की बात सुनने से कतराते हैं। भारत ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। देश के विभिन्न हिस्सों में जी-20 की सौ बैठकों के लिए आयोजनों की योजना बनाई है। भारत के पड़ोसी देशों के साथ संघर्ष को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में जी-20 शिखर सम्मेलन या मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है।
यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए इंडोनेशिया कर चुका मध्यस्थता खास बात यह है कि इस संगठन में रूस और यूक्रेन के सहयोगी देशों के राष्ट्राध्यक्ष एक मंच साझा करेंगे। इस संगठन के अधिकतर देश रूस यूक्रेन संघर्ष विराम के लिए इच्छुक भी हैं। इस वर्ष इंडोनेशिया जी-20 की मेजबानी कर रहा है। इंडोनेशिया दोनों देशों के बीच शांति का बड़ा हिमायती है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने जून में भी रूसी राष्ट्रपति पुतिन और जेलेंस्की को एक मंच पर लाने की कोशिश की थी। हालांकि, राष्ट्रपति विडोडो अपने इस प्रयास में नाकाम रहे थे। भारत समेत रूस के कई सहयोगी देश इस मंच पर होंगे जो किसी भी समस्या के समाधान का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं। इसलिए रूस और यूक्रेन पर युद्ध खत्म करने का चौतरफा दबाव बन सकता है।
दुनिया के संपन्न राष्ट्र भी संगठन G-20 में शामिल 1- जी-20 एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इस संगठन में दुनिया के संपन्न राष्ट्र भी शामिल है। इसके महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जनसंख्या के लिहाज से दुनिया की 66 फीसद आबादी इन्हीं 20 सदस्य देशों में रहती है। जी-20 देशों की जीडीपी की कुल जीडीपी में 85 फीसद हिस्सेदारी है। यानी 85 फीसद वर्ल्ड जीडीपी पर इसका नियंत्रण है।
2- अगर व्यापार के लिहाज से देखा जाए तो दुनियाभर में होने वाले निर्यात का 75 फीसद हिस्सा जी-20 देशों से होता है। यानी 75 फीसद वर्ल्ड ट्रेड में हिस्सेदारी है। प्रो पंत ने कहा कि इस लिहाज से यह एक महत्वपूर्ण संगठन बन जाता है। गौरतलब है कि जी-20 का कोई स्थाई कार्यालय मुख्यालय नहीं है। सचिवालय प्रत्येक वर्ष समूह की मेजबानी करने वाले या अध्यक्षता करने वाले देशों के बीच रोटेट होता है। जी-20 के सदस्यों को पांच समूहों में बांटा गया है। रूस, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की के साथ भारत समूह दो में है।
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