Move to Jagran APP

इंडोनेशिया में होने वाली G-20 बैठक में क्‍यों नदारद रहेंगे राष्‍ट्रपति पुतिन, जानें क्‍या है प्रमुख कारण?

जंग के दौरान पुतिन देश नहीं छोड़ सकते। खासकर तब जब यूक्रेन जंग के करीब दस महीने होने को हैं। पुतिन लगातार यूक्रेन पर परमाणु हमले की धमकी दे रहे हैं। रूसी सेना हाई अलर्ट पर है। ऐसे में पुतिन के लिए मास्‍को छोड़ना रणनीतिक लिहाज से संभव नहीं है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Fri, 11 Nov 2022 07:18 PM (IST)
Hero Image
इंडोनेशिया में होने वाली G-20 बैठक में क्‍यों नदारद रहेंगे राष्‍ट्रपति पुतिन। एजेंसी।
नई दिल्‍ली, जेएनएन। Putin In G20 Summit: रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन इंडोनेशिया में अगले सप्‍ताह होने वाले जी-20 की बैठक में नदारद रहेंगे। इसके पहले यह उम्‍मीद की जा रही थी कि बाली में जंग के बीच यूक्रेनी राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की और रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन एक मंच साझा करेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पुतिन बाली की यात्रा पर क्‍यों नहीं जा रहे हैं। जी-20 की बैठक क्‍यों है खास।

जी-20 की बैठक में क्‍यों नदारद रहेंगे पुतिन

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि जंग के दौरान राष्‍ट्रपति पुतिन देश नहीं छोड़ सकते। खासकर तब जब यूक्रेन जंग के करीब दस महीने होने को हैं। पुतिन लगातार यूक्रेन पर परमाणु हमले की धमकी दे रहे हैं। रूसी सेना हाई अलर्ट पर है। ऐसे में पुतिन के लिए मास्‍को छोड़ना रणनीतिक लिहाज से संभव नहीं है। राष्‍ट्रपति पुतिन को लगता है कि बाली में समय व्‍यर्थ गवाना होगा। इस वक्‍त वह जंग और सैन्‍य रणनीति में व्‍यस्‍त हैं। खासकर तब जब यूक्रेन में ठंड की शुरुआत हो गई है और रूसी सेना अपनी सैन्‍य रणनीति में बदलाव कर रही है।

2- इसके अलावा जी-20 की बैठक में अमेरिका व अन्‍य पश्चिमी देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष भी शिरकत करेंगे। इस समय यूक्रेन जंग में अमेरिका व पश्चिमी देश यूक्रेनी सेना की खुलकर मदद कर रहे हैं। अमेरिका व पश्चिमी देश सैन्‍य साजो-समान भी मुहैया करा रहे हैं। राष्‍ट्रपति पुतिन इस मदद को लेकर कई बार चेतावनी भी दे चुके हैं। इसके बावजूद अमेरिका व पश्चिमी देश यूक्रेन को सैन्‍य मदद कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में अमेरिका व पश्चिमी देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के समक्ष आमने-सामने बैठने में पुतिन जरूर हिचक रहे होंगे।

3- प्रो पंत ने कहा कि पुतिन यह जानते हैं कि जी-20 में अमेरिका व अन्‍य पश्चिमी देश रूस को निशाना बना सकते हैं। वह युद्ध विराम के लिए राष्‍ट्रपति पुतिन पर दबाव बनाने का प्रयास कर सकते हैं। पुतिन जानते हैं क‍ि जंग समाप्‍त करने के लिए बाली में पुतिन पर कूटनीतिक दबाव बनाया जा सकता है। यूक्रेन पर संभावित टकराव से बचने के लिए पुतिन जी-20 शिखर सम्‍मेलन में शामिल होने से बचेंगे।उधर, पुतिन जंग को खत्‍म करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में बाली में हालात खराब हो सकते हैं। पुतिन के जी-20 में शामिल होने का एक कारण यह भी हो सकता है।

4- प्रो पंत ने कहा कि इस जी-20 में रूस और यूक्रेन के सहयोगी देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष एक मंच साझा करेंगे। इस संगठन के अधिकतर देश रूस यूक्रेन संघर्ष विराम के लिए इच्‍छुक भी हैं। खुद इंडोनेशिया जो जी-20 की मेजबानी कर रहा है, दोनों देशों के बीच शांति का बड़ा हिमायती है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने जून में भी रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन और जेलेंस्की को एक मंच पर लाने की कोशिश की थी। हालांकि, राष्‍ट्रपति विडोडो अपने इस प्रयास में नाकाम रहे थे।

5- प्रो पंत ने कहा कि रूस यूक्रेन संघर्ष के चलते दुनिया परमाणु युद्ध के कगार पर पहुंच गई है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने एक नए विश्‍व युद्ध की चेतावनी तक दे डाली है। बाइडन ने यहां तक कहा है कि रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की इस धमकी को चुटकले के रूप में नहीं लिया जाए। उन्‍होंने कहा कि जी-20 की बैठक में पुतिन के साथ यूक्रेन के राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की को भी आमंत्रित किया गया है।

क्‍यों खास रहेगी जी-20 की बैठक

बाली में होने वाले जी-20 शिखर सम्‍मेलन में चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग और अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन आमने-सामने होंगे। दोनों नेता एक मंच साझा करेंगे। दोनों नेताओं की मुलाकात ऐसे समय हो रही है, जब ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच संबंध सबसे निचले स्‍तर पर चले गए हैं। ऐसे में दुनिया की नजर बाली में होने वाली जी-20‍ शिखर सम्‍मेलन पर टिकी है।

दुनिया का सबसे प्रभावशाली संगठन G-20

जी-20 एक महत्‍वपूर्ण अंतरराष्‍ट्रीय संगठन है। इस संगठन में शामिल ज्‍यादातर देश बड़ी आर्थिक ताकतें हैं। इसके महत्‍व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जनसंख्‍या के लिहाज से दुनिया की 66 फीसद आबादी इन्‍हीं 20 सदस्‍य देशों में रहती है। जी-20 देशों की जीडीपी की कुल जीडीपी में 85 फीसद हिस्‍सेदारी है। यानी 85 फीसद वर्ल्‍ड जीडीपी पर इसका नियंत्रण है। अगर व्‍यापार के लिहाज से देखा जाए तो दुनियाभर में होने वाले निर्यात का 75 फीसद हिस्‍सा जी-20 देशों से होता है। यानी 75 फीसद वर्ल्‍ड ट्रेड में हिस्‍सेदारी है। प्रो पंत ने कहा कि इस लिहाज से यह एक महत्‍वपूर्ण संगठन बन जाता है।