चीन के इस जासूसी जहाज से क्यों चिंतित हुआ भारत, अगस्त में हंबनटोटा बंदरगाह में ड्रैगन ने भेजा था शिप
चीन का युआन वांग 6 जासूसी जहाज इन दिनों काफी चर्चा में है। इस शिप को चीनी सेना आपरेट करती है। इस जासूसी जहाज को ओडिशा तट से एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड से भारत के मिसाइल टेस्ट को ट्रैक करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में भेजा गया है।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Mon, 07 Nov 2022 08:25 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। Chinese Spy Ship and India: चीन का युआन वांग 6 जासूसी जहाज इन दिनों काफी चर्चा में है। इस शिप को चीनी सेना आपरेट करती है। इस जासूसी जहाज को ओडिशा तट से एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड से भारत के मिसाइल टेस्ट को ट्रैक करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में भेजा गया है। हालांकि, चीन का दावा है कि वांग-6 को एक रिसर्च और सर्वे करने के लिए रजिस्टर्ड किया गया है। आइए जानते है कि आखिर पूरा मामला क्या है। चीन के इस जासूसी जहाज से क्यों चिंतित है भारत।
चीनी सेना के बेड़े में जासूसी जहाज
- चीन के पास इस तरह के सात जासूसी जहाज हैं। चीनी सेना इन जासूसी जहाजों के जरिए प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में अपना वर्चस्व बढ़ाने में जुटी है। चीन के ये जासूसी जहाज बीजिंग के लैंड बेस्ड ट्रैकिंग स्टेशनों को पूरी जानकारी मुहैया कराते हैं। इसके अलावा चीन युआन वांग जहाज के जरिए सैटेलाइट, राकेट और इंटरकान्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की लांचिंग को ट्रैक करता है।
- अमेरिकी रक्षा रिपोर्ट के मुताबिक युआन वांग-6 एक मजबूत ट्रैकिंग शिप है। इस रिपोर्ट के मुताबिक चीन के ये जासूसी जहाज आवाजाही तक शुरू करते हैं जब चीन या कोई अन्य देश मिसाइल परीक्षण कर रहा होता है। इस जहाज में हाई टेक ईव्सड्रापिंग उपकरण लगे हैं। यह उपकरण एक हजार किलोमीटर दूर हो रही बातचीत को सुन सकता है।
- चीन के युआन वांग-6 में मिसाइल ट्रैकिंग शिप में रडार और एंटीना से बना इलेक्ट्रानिक सिस्टम लगा होता है। इसकी खास बात यह है कि यह सिस्टम अपनी रेंज में आने वाली मिसाइल को ट्रैक कर लेता है और उसकी जानकारी एयर डिफेंस सिस्टम को भेज देता है। एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज में आने से पहले ही मिसाइल की जानकारी मिल जाती है और हमले को नाकाम किया जा सकता है।
चीन के युआन वांग-5 को लेकर हुआ था विवाद
इस वर्ष अगस्त में युआन वांग की श्रेणी का एक जहाज युआन वांग-5 दक्षिण चीन सागर से लौटने से पहले श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर रुका था। इस जासूसी जहाज को लेकर भारत ने चीन और श्रीलंका से अपनी आपत्ति दर्ज की थी। भारत के विरोध के बाद श्रीलंका सरकार ने भारत को यह आश्वासन दिया था कि चीन का यह जासूसी जहाज हंबनटोटा बंदरगाह पर नहीं आएगा। हालांकि, बाद में श्रीलंका सरकार ने चीन के इस जहाज को हंबनटोटा बंदरगाह पर रुकने की अनुमति दी थी। भारत ने यह चिंता जाहिर की थी कि चीन के इस जासूसी जहाज की पहुंच दक्षिण भारत के प्रमुख सैन्य और परमाणु ठिकाने तक होगी। साथ ही केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कई पोर्ट यानी बंदरगाह चीन के रडार पर होंगे।
हंबनटोटा बंदरगाह से क्यों चिंतित है भारत श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह भारत के लिए सबब बना हुआ है। भारत की चिंता यह है कि चीन, श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह का जासूसी गतिविधियों के लिए भी इस्तेमाल कर रहा है। गौरतलब है कि यह बंदरगाह एशिया से यूरोप के बीच मुख्य समुद्री व्यापार मार्ग के पास स्थित है। यह चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के लिए भी काफी अहम है। इस बंदरगाह को चीनी सेना अपनी नौसेना बेस बना सकती है। अगर ऐसा हुआ तो चीन जमीन के साथ समुद्र से भी हिंद महासागर के जरिए भारत को घेर सकता है।
भारत का ट्रैकिंग शिप ध्रुव मिसाइल ट्रैकिंग जहाज भारत समेत सिर्फ इन पांच मुल्कों चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के पास है। अमेरिका ने अपने मिसाइल प्रोग्राम को सपोर्ट करने के लिए दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बचे हुए जहाजों को ट्रैकिंग शिप का रूप दिया था। इसके बाद अमेरिका ने 25 से ज्यादा ट्रैकिंग शिप बनाए। भारत ने 2021 को अपना पहला मिसाइल ट्रैकिंग शिप ध्रुव लांच किया था। ध्रुव एक्टिव इलेक्ट्रानिक स्कैन्ड अरे रडार्स से लैस है। यह दुश्मन की सैटेलाइट्स पर भी नजर रखता है। ध्रुव परमाणु मिसाइल को ट्रैक करने के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइल और लैंड बेस्ड सैटेलाइट्स को भी ट्रैक कर सकता है। ये समुद्र में दो हजार किलोमीटर तक 360 डिग्री नजर रख सकता है। शिप में कई रडार का काम्बिनेशन सिस्टम लगा है जो एक साथ मल्टिपल टारगेट पर नजर रख सकता है।