Pakistan and Gray List: चीन-तुर्की की मदद से क्या ग्रे लिस्ट से निकल सकेगा पाकिस्तान? शहबाज शरीफ सरकार की होगी कूटनीतिक परीक्षा
हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने अलग-अलग देशों की यात्रा के दौरान एफएटीएफ पर अहम चर्चा की। इन यात्राओं को इसी कड़ी के रूप में जोड़कर देखा जा रहा है।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Wed, 15 Jun 2022 06:26 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में शामिल होगा या नहीं इसका फैसला 14 से 17 जून के बीच हो रही FATF की बैठक के दौरान किया जाएगा। ग्रे लिस्ट को लेकर एक बार फिर पाकिस्तान की सियासत में खलबली मची है। यह कहा जा रहा है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सरकार की कूटनीतिक परीक्षा की घड़ी निकट है। पाकिस्तान की नई सरकार ने इसके लिए कूटनीतिक प्रयास भी तेज कर दिए हैं। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने अलग-अलग देशों की यात्रा के दौरान एफएटीएफ पर अहम चर्चा की। इन यात्राओं को इसी कड़ी के रूप में जोड़कर देखा जा रहा है। आइए जानते हैं कि इस मामले में विशेषज्ञों की क्या राय है।
उलटा पड़ सकता है पाक का ये दांव विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि पाकिस्तान चीन, तुर्की और मलेशिया की मदद से FATF की ग्रे सूची से बाहर निकल सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए व्यापक स्तर पर कूटनीतिक प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन रूस यूक्रेन जंग का साया पाकिस्तान पर रहेगा। रूस यूक्रेन जंग के दौरान पाकिस्तान का चीन और रूस के प्रति झुकाव से पश्चिमी देश और अमेरिका खिन्न चल रहे हैं। हाल में पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की अमेरिका यात्रा के बाद यह संदेश कि वह रूस यूक्रेन जंग में तटस्थता नीति का पालन करता रहेगा। यह निर्णय पाकिस्तान पर भारी पड़ सकता है। पाकिस्तान के इस फैसले से अमेरिका व पश्चिमी देश खिन्न चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, पाकिस्तान की नई सरकार ने ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए सभी पत्ते खोल दिए है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि एफएटीएफ की टीम उसके किए कार्यों से कितना संतुष्ट होती है।
2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था पाकिस्तान पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। अक्टूबर 2018, 2019, 2020 और अप्रैल 2021 में हुए रिव्यू में भी पाकिस्तान को कोई राहत नहीं मिल सकी थी। पाकिस्तान सरकार एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में पूरी तरह से विफल रहा। इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है। एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट में शामिल किए जाने पर पाकिस्तान को उसी श्रेणी में रखा जाएगा, जिसमें ईरान और उत्तर कोरिया को रखा गया है और इसका मतलब यह होगा कि वह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे आईएमएफ और विश्व बैंक से कोई ऋण प्राप्त नहीं कर सकेगा। इससे अन्य देशों के साथ वित्तीय डील करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
क्या काम करता है FATFFATF अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को दुरुपयोग से बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कमजोरियों की पहचान करने के लिए काम करता है। अक्टूबर, 2001 में FTF ने धन शोधन (मनी लाड्रिंग) के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के प्रयासों को शामिल किया गया। एफएटीएफ अपनी सिफारिशों को लागू करने में देशों की प्रगति की निगरानी करता है। इसके अलावा मनी लांड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण की तकनीकों को खत्म करने के उपायों की समीक्षा करता है। इसके साथ ही एफएटीएफ विश्व स्तर पर अपनी सिफारिशों को अपनाने और लागू करने को बढ़ावा देता है।
कंगाल हो जाएगा पाकिस्तान प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि अगर पाकिस्तान फिर ग्रे लिस्ट में शामिल होता है तो इसका असर उसकी जर्जर हो चुकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। पाकिस्तान दिवालिएपन की कगार पर है। ग्रे लिस्ट में रखे जाने पर उसकी अर्थव्यवस्था को और नुकसान होगा। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय मानिटरिंग फंड (FATF), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल होगा। इससे जाहिर है कि उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा। बता दें कि जून 2018 में ही FATF ने पाक को सबसे पहली बार ग्रे लिस्ट में डाला था। इसके तहत उसे टेरर फंडिंग और मनी लाउंड्रिंग पर ऐक्शन लेना था।