FATF and Pakistan: क्या पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आएगा? शहबाज सरकार की असल कूटनीतिक परीक्षा अब, उठे सवाल
FATF and Pakistan एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्तान के पास क्या है विकल्प। पाकिस्तान की नीति आतंकवाद को बढ़ावा देने की रही है इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारत रहता है। ऐसे में भारत की नजर भी इस एफएटीएफ की बैठक पर होगी।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sun, 16 Oct 2022 01:16 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। FATF and Pakistan: पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सरकार के लिए अक्टूबर का महीना काफी चुनौतियों भरा है। शहबाज सरकार के समक्ष फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तलवार लटक रही है। इस महीने फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने वाली एफएटीएफ की प्लेनरी और वर्किंग की बैठक में यह फैसला लिया जाएगा कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट (Pakistan in Gray List) में रखा जाए या नहीं। FATF की कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्तान के पास क्या है विकल्प। पाकिस्तान की नीति आतंकवाद को बढ़ावा देने की रही है, इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारत रहता है। ऐसे में भारत की नजर भी इस एफएटीएफ की बैठक पर होगी। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है।
शहबाज के लिए अग्गिपरीक्षा की घड़ी
ग्रे लिस्ट (Gray List) को लेकर एक बार फिर पाकिस्तान की सियासत में खलबली मची है। यह कहा जा रहा है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सरकार की कूटनीतिक परीक्षा की घड़ी निकट है। पाकिस्तान की नई सरकार ने इसके लिए कूटनीतिक प्रयास भी तेज कर दिए हैं। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Prime Minister Shahbaz Sharif), विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने अलग-अलग देशों की यात्रा के दौरान एफएटीएफ पर अहम चर्चा की। इन यात्राओं को इसी कड़ी के रूप में जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, इस बैठक के पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का यह बयान पाकिस्तान पर भारी पड़ रहा है। हाल में बाइडन ने कहा है कि पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक मुल्क है।
पाकिस्तान और ग्रे लिस्ट
1- पाकिस्तान वर्ष 2008 में पहली बार ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ। एक वर्ष बाद वर्ष 2009 में यह ग्रे लिस्ट से बाहर हुआ था। इसके बाद वर्ष 2012 में पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ। चार वर्ष बाद यानी 2016 में वह इस सूची से बाहर निकल पाया। एक बार फिर आतंकी संगठनों की मदद के आरोप में वर्ष 2018 में फिर ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ, अब तक वह इस लिस्ट में शामिल है। प्रो पंत का कहना है कि अगर पाकिस्तान फिर से ग्रे लिस्ट में शामिल होता है तो इसका असर उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
2- उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में वह दिवालिएपन की कगार पर है। ग्रे लिस्ट में रखे जाने पर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को और नुकसान होगा। ग्रे लिस्ट में शामिल होने से अंतरराष्ट्रीय मानिटरिंग फंड (FATF), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना मुश्किल होगा। इसका पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा। गौरतलब है कि जून, 2018 में पाकिस्तान को पहली बार FATF की ग्रे लिस्ट में डाला था।