FATF Exits Grey List: उठे सवाल, क्या पाकिस्तान आतंकी संगठनों को नहीं देगा संरक्षण? जानें- भारत का स्टैंड
FATF Grey List ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ग्रे लिस्ट से बाहर आने के बाद पाकिस्तान को क्या फायदा होगा। इसके पूर्व पाकिस्तान कितनी बार ग्रे लिस्ट में शामिला हुआ। इस मामले में भारत का क्या स्टैंड रहा है। इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sat, 22 Oct 2022 11:32 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। FATF Exits Grey List: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा दिया है। पाकिस्तान की शाहबाज शरीफ की हुकूमत इसका श्रेय अपनी सरकार को दे रही हैं। देश में वह अपनी सरकार के प्वाइंट को बढ़ा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ग्रे लिस्ट से बाहर आने के बाद पाकिस्तान को क्या फायदा होगा। इसके पूर्व पाकिस्तान कितनी बार ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ। इस मामले में भारत का क्या स्टैंड रहा है। इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
आतंकवाद का सबसे बड़ा पनाहगार है पाक
विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा दिया है। उन्होंने कहा कि एफएटीएफ के इस क्लीन चिट के बाद अब पाकिस्तान पूरी दुनिया में इस बात का ढिंढोरा पीट सकता है कि उसने आतंकवाद के खिलाफ काम किया है। प्रो पंत ने कहा कि लेकिन पाकिस्तान की हकीकत दुनिया जानती है। ग्रे लिस्ट से बाहर आ जाने के बावजूद पाकिस्तान आज भी आतंकवाद का सबसे बड़ा पनाहगार है। आज भी आतंकवादी संगठनों के कैंप व कार्यालय धड़ल्ले से चल रहे हैं। इस सच्चाई को नहीं झुठलाया जा सकता है। इससे पूरी तरह से आंख नहीं बंद की जा सकती है।
प्रत्यक्ष विदेश निवेश के लिए अस्थिर सरकार और आतंकवाद बाधा
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने पर उसकी अर्थव्यवस्था पर कोई बहुत प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा यह कहा जा रहा है कि एफएटीएफ की लिस्ट से बाहर आने के बाद पाकिस्तान में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ने के अनुमान हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अस्थिर राजनीति और आतंकवाद के चलते प्रत्यक्ष विदेश निवेश की संभावना एकदम न्यून है। उन्होंने कहा कि अलबत्ता देश की आंतरिक राजनीति पर इसका प्रभाव पड़ेगा। अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इसका श्रेय अपनी सरकार को दे सकते हैं।
पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कागजी कार्रवाई ज्यादा कियाउन्होंने कहा कि एफएटीएफ की कार्रवाई के डर से पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कागजी कार्रवाई ज्यादा की है, धरातल पर कम काम किया है। 18 अगस्त, 2020 को पाकिस्तान सरकार ने अंडरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहिम, जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर एवं जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद जैसे आतंकी संगठनों के प्रमुख नेताओं पर प्रतिबंध की घोषणा करते हुए दो सूची जारी की थी। हालांकि, हकीकत क्या है इसको पूरी दुनिया जानती है। पाकिस्तान में लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद संगठन खूब फलफूल रहे हैं। लश्कर ए तैयबा एवं जैश ए मोहम्मद दोनों भारत में होने वाले आतंकवादी हमलों का श्रेय लेते हैं। आज भी पाकिस्तान में खुंखार आतंकवादी पनाह लिए हुए हैं। इतना ही नहीं इन संगठनों को पाकिस्तान की सेना और आइएसआइ का संरक्षण भी हासिल है।
पाकिस्तान की कथनी और करनी में बड़ा फर्क प्रो पंत ने कहा कि ग्रे लिस्ट में रहना पाकिस्तान के लिए कोई नई बात नहीं है। इसके पूर्व भी पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में रह चुका है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दिखावे के लिए कई कार्य योजना लाता रहा है। कई बाद उसके इस नाटक से पर्दा उठ चुका है। अपनी इसी करतूत के कारण वर्ष 2008 में पाकिस्तान पहली बार ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ था। हालांकि, एक वर्ष बाद झूठ बोलकर इस लिस्ट से बाहर हो गया था। वर्ष 2012 में उसकी कथनी और करनी में फर्क को पकड़ा गया और वह फिर ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ। वह चार वर्ष तक ग्रे लिस्ट में रहा। वर्ष 2016 में वह इस लिस्ट से बाहर हुआ। वर्ष 2018 में फिर ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ था। इसके बाद अब वह इस लिस्ट से बाहर निकला है। इससे यह समझा जा सकता है कि उसकी कथनी और करनी में कितना फर्क है।
क्या है भारत का स्टैंड भारत संयुक्त राष्ट्र में कई बार पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आंतकवाद के खिलाफ कार्रवाई की बात कर चुका है। गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित लश्कर ए तैयबा और जैश ए मुहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तान सरकार खुला समर्थन देती रही है। पाकिस्तान ने इन संगठनों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया है। भारत सदैव से कहता रहा है कि आतंकवाद का खतरा गंभीर और सार्वभौमिक है। भारत का तर्क रहा है कि आतंकियों को आपके और मेरे के रूप में वर्गीकरण करने का दौर अब चला गया। भारत की मांग रही है कि आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा होनी चाहिए। भारत का तर्क रहा है कि धर्म, राजनीति या अन्य किसी भी कारण से आतंकवाद का वर्गीकरण की प्रवृति एक खतरनाक संकेत है।
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