China CPC 2022: क्या और ताकतवर होंगे चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग? किस उम्र में Xi Jinping ने शुरू की राजनीति
China CPC 2022 यह माना जा रहा है कि चीन में माओत्से तुंग के बाद चिनफिंग सबसे शक्तिशाली नेता है। ऐसे में सवाल उठता है कि चिनफिंग कौन है। उन्होंने पार्टी पर अपनी पकड़ कैसे मजबूत बनाई। उनका कम्युनिस्ट पार्टी से क्या संबंध है। वह कब-कब सुर्खियों में रहे।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sun, 16 Oct 2022 04:05 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। China CPC 2022: चीन की राजधानी बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी की अहम बैठक हो रही है। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को पांच वर्ष के लिए सर्वोच्च पद सौंप सकती है। यह माना जा रहा है कि चीन में माओत्से तुंग के बाद चिनफिंग सबसे शक्तिशाली नेता है। ऐसे में सवाल उठता है कि चिनफिंग कौन है। उन्होंने पार्टी पर अपनी पकड़ कैसे मजबूत बनाई। उनका कम्युनिस्ट पार्टी से क्या संबंध है। वह कब-कब सुर्खियों में रहे।
राष्ट्रपति, महासचिव और प्रमुख सेनापति कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में चिनफिंग पार्टी के मुखिया है। राष्ट्रपति के रूप में चिनफिंग चीन के राष्ट्राध्यक्ष है। इतना ही नहीं चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के चेयरमैन की हैसियत से वह चीनी सेना के प्रमुख कमांडर भी हैं।
पार्टी महासचिव और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन प्रमुख के पद पर चिनफिंग के बने रहने का फैसला पार्टी कांग्रेस में हो जाएगा। पार्टी कांग्रेस का आयोजन प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार होता है। हालांकि, राष्ट्रपति पद पर उनके बने रहने का निर्णय नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में हो सकता है। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस का आयोजन वर्ष 2023 में होना है।
माओ के कट्टर विचारधारा को आगे बढ़ाया 1- चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग का बचपन से ही कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा से गहरा लगाव रहा था। उनके पिता कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े थे। चिनफिंग का किशोरावस्था माओ की किताबों में गुजरा था। चिनफिंग के बचपन में माओ की छोटी लाल किताब काफी प्रसिद्ध थी। यह चीन के सांस्कृतिक क्रांति का दौर था। इस तरह चिनफिंग की बाल्यावस्था और किशोरावस्था सांस्कृतिक क्रांति और लाल किताब के बीच गुजरी। इस पुस्तक का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव है।
2- चीन में साठ के दशक में माओ ने अपनी पार्टी नेताओं पर खूब जुल्म ढाया। खास बात यह है कि माओ के इस जुल्म का शिकार चिनफिंग का परिवार भी था। इस क्रम में चिनफिंग के पिता को कम्युनिस्ट पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। इससे परिवार की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। इस दौरान उनकी बहन की मौत हो गई। चिनफिंग की स्कूली शिक्षा भी प्रभावित हुई। इन सबका चिनफिंग पर गहरा असर पड़ा।
3- 18 वर्ष की उम्र में चिनफिंग ने अपनी सियासी पारी की शुरुआत की थी। चिनफिंग कम्युनिस्ट पार्टी यूथ लीग में शामिल हुए। 21 वर्ष की उम्र में वह कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने। कम्युनिस्ट क्रांति के बाद चिनफिंग एक कट्टर कम्युनिस्ट बन गए थे। पिता की मदद से चिनफिंग का करियर तेजी से आगे बढ़ा। पार्टी में उनके सहयोगियों की संख्या काफी बढ़ गई। सत्तर के दशक में वह चीन की सेना में शामिल हो गए।
4- चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग उस वक्त सुर्खियों में आए, जब उन्होंने पेंग लियुआन से शादी की। पेंग चीन की एक मशहूर गायिका थीं। वर्ष 2012 में राष्ट्रपति बनने से पहले चिनफिंग आयोवा के दौरे पर गए थे। इसी वर्ष चिनफिंग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बने। वह कम्युनिस्ट पार्टी के तमाम खेमों के आम सहमति से चुने गए नेता थे। सत्ता में आने के बाद उन्होंने चीन में एक साफ सुथरी सरकार का वादा किया।
5- चिनफिंग एक बार फिर सुर्खियों में आए, जब उन्होंने चीन में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त अभियान चलाया। चिनफिंग ने सरकार के शाही खर्चों पर रोक लगाई। इसके तहत बड़े-बड़े भोजों पर रोक लगा दिया गया। सरकारी कारों के काफिलों को बंद कर दिया गया। वह पांच वर्षों मे एक शक्तिशाली नेता बनकर उभरे। कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर भाई-भतीजावाद और बरसों से चली आ रही घूसखोरी एवं भ्रष्टाचार पर सख्ती से रोक लगाई। चिनफिंग उस वक्त भी सुर्खियों में आए जब चाऊ योंगकांग को मौत की सजा सुनाई गई। चाऊ कम्युनिस्ट पार्टी में चिनफिंग के विरोधी खेमे से संबंध रखते थे।
6- भ्रष्टाचार अभियान में चिनफिंग ने कई बड़े नेताओं को कम्युनिस्ट पार्टी से बाहर कर दिया। चिनफिंग के दूसरे कार्यकाल में वह पार्टी पर नियंत्रण की जंग लड़ रहे थे। इसके अलावा चिनफिंग इंटरनेट पर भी नियंत्रण पाना चाह रहे थे। कानून और तकनीक के सहयोग से चिनफिंग इंटरनेट पर काफी हद तक पाबंदी लगाने में सफल रहे। वह साइबर सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क थे। उन्होंने इसको चीन में एक बड़ा मुद्दा बनाया। चीन में सोशल मीडिया पर तब से काफी नियंत्रण है। विदेश जाने वाले चीनी नागरिकों पर भी साइबर सुरक्षा एजेंसियों की पैनी निगाह रहती है।
7- चिनफिंग ने अपने नजदीकी लोगों को भी नहीं छोड़ा। चिनफिंग राज में कम्युनिस्ट क्रांति या इसके नेताओं पर सवाल उठाना एक बड़ा अपराध है। यह संगीन जुर्म है। उनका परिवार भले ही माओ के शासनकाल में जुल्म का शिकार हुआ हो, लेकिन चिनफिंग माओ की परंपरा को ही आगे बढ़ाना चाहते हैं। वह खुद को माओ का वारिस समझते हैं।
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