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क्‍या Xi Jinping की सत्‍ता रहेगी कायम? कैसे होता है चीन राष्‍ट्रपति का चुनाव? कांग्रेस की बैठक के मायने

क्‍या चीन की बागडोर चिनफ‍िंग Xi Jinping के हाथों में रहेगी? यह सवाल सत्‍ताधारी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की कांग्रेस बैठक के पहले उठने लगे हैं। यह सवाल तब अहम हो जाता है जब बैठक के पूर्व शी चिनफ‍िंग के खिलाफ विरोध के स्‍वर सुनाई पड़ रहे हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sat, 15 Oct 2022 11:43 AM (IST)
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क्‍या Xi Jinping की सत्‍ता रहेगी कायम? कैसे होता है राष्‍ट्रपति का चुनाव।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। क्‍या चीन की बागडोर शी चिनफ‍िंग Xi Jinping के हाथों में रहेगी? अब यह सवाल चीन में सत्‍ताधारी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की कांग्रेस बैठक के पहले उठने लगे हैं। यह सवाल तब और अहम हो जाता है, जब इस बैठक के पूर्व शी चिनफ‍िंग के खिलाफ विरोध के स्‍वर सुनाई पड़ रहे हैं। चिनफ‍िंग के विरोध में चीन के कई इलाकों में पोस्‍टर व बैनर लगाए जा रहे हैं। ऐसे में यह सवाल प्रमुख हो जाता है कि चिनफ‍िंग अगर तीसरी बार चीन के राष्‍ट्रपति बने तो उनके पक्ष में लोगों का कितना समर्थन होगा।

राष्‍ट्रीय कांग्रेस की बैठक क्‍यों है अहम?

1- ऐसे में यह जिज्ञासा पैदा होती है कि आखिर चीन के राष्‍ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? चीन के राष्‍ट्रपति चुनाव की क्‍या प्रक्रिया है? चिनफ‍िंग पहली बार राष्‍ट्रपति कब बने? क्‍या चिनफ‍िंग तीसरी बार देश के राष्‍ट्रपति होंगे? दरअसल, चीन के राष्‍ट्रीय कांग्रेस की बैठक में ही चीन के नए राष्‍ट्रपति का नाम तय होगा? यानी चिनफ‍िंग की बतौर राष्‍ट्रपति तीसरी बार ताजपोशी होगी।

2- दरअसल, चीन की सत्‍ताधारी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (China National Congress) की कांग्रेस की पांच साल में होने वाली बैठक बेहद खास होती है। राष्‍ट्रीय कांग्रेस की इस बैठक में तय किया जाता है कि कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की कमान किसके हाथ में होगी। इस बैठक में यह तय किया जाता है कि चीन में सत्‍ता की कमान किसके हाथ में होगी। इस बैठक में यह तय होगा कि चीन में एक अरब 30 करोड़ लोगों पर किसका शासन होगा। वही शख्‍स दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था का संचालन करता है।

आखिर कैसे होता है राष्‍ट्रपति का चुनाव

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि चीन में कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का शासन है, लेकिन वहां राष्‍ट्रपति यानी पार्टी महासचिव के लिए चुनाव होता है। पार्टी का महासचिव ही राष्‍ट्रपति के पद पर आसीन होता है। इसकी एक पूरी वैधानिक प्रक्रिया है। चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी आफ चाइना (सीपीसी) देश भर से प्रतिनिधियों को नियुक्‍त करती है। कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में करीब 2,300 प्रतिनिधि हैं। सीपीसी एक सेंट्रल कमेटी का चुनाव करती है। इस सेंट्रल कमेटी में 200 सदस्‍य होते हैं। यह कमेटी पोलित ब्‍यूरो का चयन करती है। पोलित ब्‍यूरो स्‍थाई समिति का चयन करती है। पोलित ब्‍यूरो और स्‍थाई समिति ही चीन की विधायी निकाय हैं। चीन में अहम फैसले या नीतिगत निर्णय भी दोनों संगठन के सदस्‍य लेते हैं।

2- प्रो पंत ने कहा कि चीन में राष्‍ट्रपति चुनाव के लिए एक चुनाव की प्रक्रिया को अपनाया गया है। हालांकि, व्‍यवहार में यह नाम पहले से ही तय होता है। यह चुनाव प्रक्रिया केवल औपचारिक होती है। सेंट्रल कमेटी पार्टी के शीर्ष नेता का चुनाव करती है। इसे कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का महासचिव कहा जाता है। यही सीपीसी का महासचिव भी होता है। वही देश का राष्‍ट्रपति बनता है। कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की कांग्रेस में चीन के भविष्‍य के नए नेताओं को आगे किया जाता है। पार्टी के महासचिव यानी राष्‍ट्रपति के पास पांच वर्षों तक यह कमान रहती है। शी चिनफ‍िंग का इस बार भी पार्टी का महासचिव यानी राष्‍ट्रपति चुना जाना तय माना जा रहा है। वह अगले पांच वर्षों तक चीन के राष्‍ट्रपति रह सकते हैं।

कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में कितने मजबूत हैं चिनफ‍िंग (Xi Jinping)?

1- वर्ष 2012 में शी चिनफ‍िंग चीन की सत्‍ता में आए। वह कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के महासचिव यानी देश के राष्‍ट्रपति बने। इन दस वर्षों में चिनफ‍िंग ने पार्टी के अंदर अपनी स्थिति को काफी मजबूत किया है। अपनी इस ताकत के चलते च‍िनफ‍िंग को कई टाइटलों से नवाजा जा चुका है। चिनफ‍िंग को कोर डीलर आफ चाइना का भी टाइटल दिया गया। इसके बाद चिनफ‍िंग की तुलना चीन के महान नेता माओत्‍से तुंग से की गई। माना जाता है कि कांग्रेस में चिनफ‍िंग के समर्थकों की संख्‍या सर्वाधिक है। ऐसे मे पार्टी चार्टर में चिनफ‍िंग की नीतियों को स्‍थापित करना आसान होता है।

2- प्रो पंत ने कहा कि राष्‍ट्रीय कांग्रेस की बैठक में अगर चिनफ‍िंग पार्टी के महासचिव घोषित किए जाते हैं तो यह कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में एक इतिहास होगा। च‍िनफ‍िंग तीसरी बार देश के राष्‍ट्रपति होंगे। चिनफ‍िंग के नेतृत्‍व में वैश्विक स्‍तर पर कई मामलों में चीन मुखर रूप से सामने आया है। पांच वर्षों में चीन ने कई मसलों पर सीधे अमेरिका को चुनौती दी है। चिनफ‍िंग की देश के एकीकरण की नीति को लेकर खासकर हांगकांग और ताइवान के मुद्दे पर चीन में काफी समर्थन मिला है। दक्षिण चीन सागर और वन बेल्‍ट वन रोड योजना ने इनकी लोकप्र‍ियता को आगे बढ़ाया है। चिनफ‍िंग के नेतृत्‍व में चीन ने खुद को एक वैकल्पिक महाशक्ति के रूप में पेश किया है।