अंटार्कटिका से दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग टूटकर हुआ अलग, इसका आकार जानकर रह जाएंगे दंग
अंटार्कटिका में दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड टूटकर अलग हो गया है। अब ये स्वतंत्र रूप से वहां बह रहा है। ये हिमखंड करीब 175 किमी लंबा और 25 किमी चौड़ा है। इसका आकार न्यूयॉर्क के द्वीप पोर्टो रिको का करीब आधा है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 21 May 2021 06:33 PM (IST)
लंदन (एएफपी)। अंटार्कटिका में दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग टूटकर अलग हो गया है। इसकी लंबाई की यदि बात करें तो ये करीब 170 किमी है जबकि इसकी चौड़ाई करीब 25 किमी है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) क मुताबिक अंटार्कटिका के वेडेल सागर में रोने आईस शेल्फ के पश्चिम हिस्से में हुआ है। इसका पता ईएसए ने कॉपरनिकस सेंटीनल सेटेलाइट से लगाया है। ईएसए के मुताबिक अब ये आइसबर्ग का टूटा हुआ विशाल हिमखंड वहां पर धीरे-धीरे आगे बह रहा है जो वैज्ञानिकों के लिए कौतूहल का कारण बना हुआ है। इस विशाल हिमखंड का पूरा आकार करीब 4 हजार वर्ग किमी से भी अधिक है। वैज्ञानिकों ने इसको ए-76 नाम दिया है। इसका आकार न्यूयॉर्क के द्वीप पोर्टो रिको का करीब आधा है।
गौरतलब है कि बिटेन के अंटार्कटिका सर्वे टीम ने सबसे पहले इस घटना के बारे में जानकारी दी थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि दुनिया के सबसे बड़े इस हिमखंड के इस तरह से अलग होने से समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी होने की फिलहाल कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही है। इसकी वजह वैज्ञानिक मानते हैं कि ये तैरते हुए बर्फ के शेल्फ का एक हिस्सा था। ये ठीक ऐसे ही है जैसे किसी किसी बर्फ के गिलास में पिघलने से उसमें मौजूद पानी का स्तर नहीं बढ़ता है। इसलिए ही इसके टूटकर अलग होने से भी समुद्री जलस्तर नहीं बढ़ेगा। हालांकि वैज्ञानिकों ने गर्म होते अंटार्कटिका को लेकर चेतावनी जरूर दी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अंटार्कटिका धतरी के अन्य हिस्सों की तुलना में काफी तेजी से गर्म हो रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अंटार्कटिका का जलस्तर 1880 के बाद से करीब 10 इंच तक बढ़ चुका है।
आपको बता दें कि पांच माह पहले भी अंटार्कटिका से एक विशाल हिमखंड टूटकर अलग हो गया था। ये घटना अंटार्कटिका के दक्षिण में घटी थी। वैज्ञानिकों ने इसको ए68ए नाम दिया था। इस आइसबर्ग का क्षेत्रफल करीब 4 हजार किमी था। वैज्ञानिको के अनुसार ये हिमखंड धीरे-धीरे दक्षिणी जार्जिया की तरफ बढ़ रहा था। इसकी जांच के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम भी वहां पर भेजी गई थी। इस टीम ने हिमखंड के अलग होने से वहां के वातावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया था। वैज्ञानिकों का कहना था कि इससे समुद्री जीवों को खतरा हो सकता है साथ ही समुद्र का जलस्तर पर भी बढ़ सकता है। ए-68ए हिमखंड अंटार्कटिका के लार्सन सी नाम की चट्टान से टूटा था। जिस वक्त ये लार्सन सी से अलग हुआ था उस वक्त इसका आकार करीब 5,800 वर्ग किमी था।